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स्वाइन फ्लू से 7 मौतों के बाद अमृतसर पहुंची केंद्रीय टीम

अमृतसर पंजाब की आबोहवा में तैर रहे स्वाइन फ्लू वायरस ने इस सीजन में 34 लोगों को मौत की नींद सुला दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 11:55 PM (IST)
स्वाइन फ्लू से 7 मौतों के बाद अमृतसर पहुंची केंद्रीय टीम

— दिल्ली से पहुंचे स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी डॉ. महेश ने सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू लैब की व्यवस्था का जायजा लिया, वहीं सिविल अस्पताल की आइसोलेशन वार्ड का निरीक्षण भी किया।

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— राज्य में स्वाइन फ्लू से 34 लोगों की हो चुकी है मौत

फोटो — 21—22

जागरण संवाददाता, अमृतसर

पंजाब की आबोहवा में तैर रहे स्वाइन फ्लू वायरस ने इस सीजन में 34 लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। माझा क्षेत्र के अमृतसर में ही 7 मरीजों की मौत हुई है। स्वाइन फ्लू के एच1एन1 वायरस का शिकार 337 मरीजों की पुष्टि भी हो चुकी है। पॉजिटिव केसों में तेजी से हो रही वृद्धि के कारण लोग दहशत में हैं। मंगलवार को नेशनल कंट्रोल डिजीज प्रोग्राम के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. महेश व पंजाब की स्टेट माइक्रोबायोलॉजिस्ट मोनिका अमृतसर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने सरकारी मेडिकल कॉलेज स्वाइन फ्लू टे¨स्टग लैब एवं सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू मरीजों के लिए बनाई गई आइसोलेशन वार्ड का जायजा लिया।

इन अधिकारियों ने स्वाइन फ्लू टे¨स्टग लैब में अब तक कितने सैंपलों की जांच हुई, इस विषय में जानकारी हासिल की गई। मेडिकल कॉलेज स्थित माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रभारी डॉ. लविना ओबरॉय ने टीम को बताया कि लैब में 85 सैंपलों की जांच की गई है। टे¨स्टग किटस खत्म होने वाली हैं। किट्स की डिमांड भेजी गई है। डॉ. महेश ने कहा कि अमृतसर स्थित स्वाइन फ्लू लैब में चार जिलों अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर व पठानकोट जिलों से सैंपल पहुंचते हैं। ऐसे में इस लैब पर वर्किंग लोड अधिक है। यह जरूरी है कि लैब में सभी टे¨स्टग उपकरण एवं किट्स उपलब्ध रहें।

इसके बाद डॉ. महेश व मोनिका ने सिविल अस्पताल में बनी आइसोलेशन वार्ड का जायजा लिया। इस दौरान पत्रकारों ने पूछा कि सिविल अस्पताल में वेंटीलेटर्स नहीं हैं। यदि स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीज को यहां एडमिट किया जाए और उसकी सांसें उखड़ने लगे तो ऐसी स्थिति में उसका जीवन रक्षण कैसे हो सकेगा। इस पर डॉ. महेश ने कहा कि आइसोलेशन वार्ड में वेंटीलेटर्स की जरूरत नहीं है। गुरुनानक देव अस्पताल में वेंटीलेटर्स हैं। सीरियस मरीजों का ट्रीटमेंट वहां करवाया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वाइन फ्लू मरीजों को चिकित्सा प्रदान करने के लिए सरकारी अस्पतालों में बेहतरीन चिकित्सा प्रबंध हैं।

इस अवसर पर डिस्ट्रिक्ट एपिडिमोलॉजिस्ट डॉ. मदन मोहन, डॉ. नवदीप कौर, डॉ. सपना, डॉ. शैलप्रीत कौर, डॉ. कुणाल बांसल, डॉ. विजय कुमार, डॉ. गौतम आदि उपस्थित थे।

सिविल अस्पताल में एक दिन में बनाया फ्लू कॉर्नर

सिविल अस्पताल प्रशासन ने एक बार फिर उच्च स्तरीय टीम की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की। दरअसल, स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों को सरकारी अस्पतालों में मिल रही सुविधाओं का जायजा लेने पहुंची इस टीम के आने से पूर्व ही सिविल अस्पताल में फ्लू कॉर्नर बना दिया गया। यह कॉर्नर बीते सोमवार को बनाया गया था। फ्लू कॉर्नर का इस्तेमाल उस स्थिति में किया जाता है जब खांसी व जुकाम से पीड़ित कोई मरीज अस्पताल आता है। उसे डॉक्टर के पास भेजने से पहले फ्लू कॉर्नर में लाया जाता हैं। फ्लू कॉर्नर में उसे मास्क दिया जाता है, जिसे वह चेहरे पर लगाता है और फिर डॉक्टर के पास जाता है। इससे डॉक्टर व अन्य मरीजों को संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता। टीम के आगमन सूचना मिलते ही सोमवार को अस्पताल प्रशासन ने यह फ्लू कॉर्नर बनाया। इससे पूर्व भी पिछले वर्ष क्वॉलिटी इंश्योरेंस प्रोजेक्ट की टीम जब सिविल अस्पताल पहुंची थी तब भी अस्पताल प्रशासन ने कई व्यवस्थाओं में बदलाव किया, जबकि टीम के जाते ही ये व्यवस्थाएं अव्ययवस्था में बदल गईं।


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