विस्थापितों को यहीं दिलाई जाएगी नागरिकता : खन्ना
अविनाश राय खन्ना शुक्रवार को पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों से मिलने अमृतसर पहुंचे।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना शुक्रवार को पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों से मिलने अमृतसर पहुंचे। शरणार्थियों ने सीएए के लिए जहां मोदी सरकार का धन्यवाद किया, वहीं खन्ना के हाथ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह के नाम धन्यवाद बैनर भी भेजा। इस अवसर पर पूर्व स्वास्थ्यमंत्री डॉ. बलदेव राज, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेश हनी, भाजपा जिला प्रधान सुरेश महाजन भी उनके साथ थे। खन्ना राजस्थान, गोवा और जम्मू एवं कश्मीर के पार्टी प्रभारी भी हैं।
खन्ना ने शरणार्थियों को भरोसा दिलाया कि सीएए उन लोगों के लिए ही लागू किया गया है, जो मुस्लिम बाहुल देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बाग्लादेश से धर्म और जात के आधार पर प्रताड़ित होकर शरण लेने भारत पहुंचे हैं। उक्त पड़ोसी देशों में हिदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख उत्पीड़न, शोषण, जबरन धर्म-परिवर्तन, सामूहिक नरसंहार, गुलाम बनाए जाने तथा उनके धर्मस्थलों, शिक्षण-स्थलों का विनाश जैसे मामले रोज समाने आते हैं। ऐसे पीड़ित परिवार दशकों से भारत में शरण लिए हैं, लेकिन उन्हें आज तक भारत की नागरिकता नहीं मिली। यहां बसे विस्थापितों को अमृतसर में ही नागरिकता दिलवाने का प्रयास है।
इस अवसर पर जहाजगढ़ कबाड़िया एसोसिशन के प्रधान संतोख सिंह, अफगानिस्तान के शरणार्थी सूरवीर सिंह, पेशावर के प्रीमत सिंह और सुरजीत सिंह के अलावा वरुण महाजन, मन्नू ग्रोवर तथा वरिदर सिंह भी उपस्थित थे।
कहा, पंजाब में सीएए लागू न करना असंवैधानिक
खन्ना ने कहा कि पंजाब में नागरिकता संशोधन कानून को लागू नहीं करना असंवैधानिक है। कैप्टन अमरिदर सिंह की सरकार को हर हाल में इसे लागू करना होगा। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस मुस्लिम समुदाय के युवा वर्ग को भ्रमित कर हिसक विरोध प्रदर्शन करवा रही है। उन्होंने कांग्रेसियों व प्रदर्शनकारियों को इस कानून को ध्यान से पढ़ने की नसीहत दी तो वहीं इसका विरोध करने वालों से शांति की अपील भी की। इसके साथ ही खन्ना ने कहा कि इस संशोधन से दशकों से भारत में रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों की नागरिकता पर कोई खतरा नहीं है।
2019 से पहले पांच बार हो चुका संशोघन
भाजपा नेता ने कहा कि नागरिकता कानून 1855 में लागू किया गया। साल 2019 से पहले इसमें 1986, 1992, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन किया गया। भारतीय संविधान के मुताबिक 1 जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि जन्म के समय उसके माता या पिता (दोनों में से कोई एक) भारत के नागरिक था। जन्म अगर भारत के बाहर हुआ हो तो उसके माता या पिता में से कोई एक भारतीय होना चाहिए और बच्चे का पंजीकरण भारतीय दूतावास में एक वर्ष में करवाना है। ऐसा नहीं करने पर परिवार को अलग से भारत सरकार से इजाजत लेनी होगी। इसमें मां की नागरिकता के आधार पर विदेश में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नागरिकता देने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992 के जरिए किया गया है।