जलियांवाला बाग के गुमनाम शहीदों को मिला नाम, उकेरे गए नाम
जलियांवाला बाग के सैकड़ों गुमनाम शहीदों को आखिर 98 साल बाद नाम मिल गया। इन शहीदों के नाम जलियांवाला बाग में शिलापट्ट पर उकेरे गए हैं।
अमृतसर, [धीरज कुमार झा]। 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले सैकड़ों गुमनाम शहीदों को आखिर 98 साल बाद नाम मिल गया। इन शहीदों के नाम जलियांवाला बाग में शिलापट्ट पर उकेरे गए हैं। पंजाब सरकार की सौंदर्यीकरण योजना के तहत बाग के बाहर शहीदों की प्रतिमा बनाई गई है, जिसमें सैकड़ों शहीदों के नाम लिखे गए हैं। यहां 24 घंटे मशाल भी जलेगी।
जलियांवाला बाग कांड के शहीद अब तक गुमनाम थे। देश-विदेश से आने वाले सैलानी शहीदों की धरती पर नतमस्तक तो होते थे, लेकिन शहादत देने वालों का नाम नहीं जानते थे। कई बार जलियांवाला बाग के शहीदों के नाम स्वर्णाक्षरों में लिखने की मांग भी हुई।
पंजाब के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय तक को चिट्ठी लिखी गई। सामाजिक संस्थाओं के दबाव के बाद पूर्व डिप्टी कमिश्नर काहन सिंह पन्नू के प्रयास से जलियांवाला बाग के अंदर शहीदों के नाम दर्ज करने के लिए शिलापïट्ट तो लगाए गए, लेकिन शहीदों के नाम नहीं लिखे जा सके।
पंजाब सरकार ने 200 करोड़ रुपये की श्री हरिमंदिर साहिब सौंदर्यीकरण योजना के तहत जलियांवाला बाग के शहीदों की स्मृति को उजागर किया है। शहीदी स्थल के बाहर शहीदों की एक प्रतिमा बनाई गई है, जिसमें शहादत देने वाले महिला, बुजुर्ग व बच्चों की काल्पनिक तस्वीर के साथ नाम भी उकेरे गए हैं। जंग-ए-आजादी की पहली लड़ाई इसी पावन धरती पर लड़ी गई थी। प्रतिमा का अनावरण 25 अक्टूबर को किया जाएगा।
------
'शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि'
'सौंदर्यीकरण योजना में जलियांवाला बाग के बाहर एक स्टेच्यू बनाया गया है। शहीदों की याद में प्रतिमा बनाई गई है, जिसमें शहीदों के नाम भी लिखे गए हैं। यहां चौबीस घंटे मशाल जलेगी। शहीदों को यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
-सोनाली गिरि, निगम कमिश्नर, अमृतसर।
-----
' शहीदी स्थल में भी दर्ज होगा नाम'
'सरकार की अच्छी पहल है। जलियांवाला बाग के बाहर प्रतिमा पर शहीदों के नाम उकेरे गए हैं। यहां मशाल भी जलेगी। जलियांवाला बाग के अंदर शिलापïट्ट पर भी शहीदों के नाम दर्ज किए जाएंगे। सरकार से बातचीत चल रही है।
-एसके मुखर्जी, सचिव जलियांवाला बाग मेमोरियल ट्रस्ट।