गुरु नगरी के नंद किशोर नारद को दिया कला रत्न अवार्ड
संगीत के क्षेत्र में देश के प्रसिद्ध गायक व संगीतकार देने वाले गुरु नगरी के संगीत गुरु व ज्ञाता नंद किशोर नारद को देश की पौराणिक व प्रमुख संगीत शिक्षण संस्था प्राचीन कला केंद्र द्वारा रविवार को चंडीगढ़ में कला रत्न अवार्ड से नवाजा गया है।
हरदीप रंधावा, अमृतसर :
संगीत के क्षेत्र में देश के प्रसिद्ध गायक व संगीतकार देने वाले गुरु नगरी के संगीत गुरु व ज्ञाता नंद किशोर नारद को देश की पौराणिक व प्रमुख संगीत शिक्षण संस्था प्राचीन कला केंद्र द्वारा रविवार को चंडीगढ़ में कला रत्न अवार्ड से नवाजा गया है। साल-2018 के लिए प्राचीन कला केंद्र द्वारा देश के दो नाम चयनित किए गए थे, जिनमें पंजाब से पहली बार अमृतसर के नंद किशोर नारद का नाम शामिल किया गया था। कल्चरल नॉर्थ जोन के डायेक्टर डॉ. सौभाग्यवर्धन व प्राचीन कला केंद्र की रजिस्ट्रार शोभा कौसर से कला रत्न अवार्ड लेने के लिए नारद अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ चंडीगढ़ गए थे। इनमें उनकी पत्नी, दोनों बेटियां व उनके दामाद शामिल थे।
वर्ष 1959 को वजूद में आया था प्राचीन कला केंद्र
संगीत गुरु व ज्ञाता नंद किशोर नारद ने बताया कि शिक्षण संस्था प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ में है। यह संस्था 1959 में वजूद में आई थी। संगीत के प्रचार-प्रसार के साथ यह साल में 2 लोगों को सम्मानित करते हैं। साल-2018 के लिए पश्चिम बंगाल के एक संगीतकार के अलावा उनका नाम चयनित किया गया था। नारद संगीत सरिता के रचनाकार हैं, जो देश की विभिन्न यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई जाती है। नारद संगीत सरिता राग बसंत नाच संगीत सरिता भाग एक व दो सहित नारद ने संगीत सरिता रागों का परिचय की रचना की जो देश की विभिन्न यूनिवर्सिटियों में एमए की क्लास में पढ़ाई जाती है। नंद किशोर नारद गुरु नगरी के एक ऐसे संगीतकार हैं, जिन्होंने धीरज कपूर की पंजाबी फिल्म 'कौन दिलां दियां जाने' में मोहम्मद रफी के गीतों पर जीपी तपन के सहयोग से संगीत दिया था।
70 वर्षीय नारद ने संगीत के क्षेत्र में दिए हैं नायाब हीरे
नौवीं क्लास में पढ़ाई करते समय उनके पिता हाकम चंद नारद की मृत्यु होने के बाद परिवार का सारा बोझ उनके कंधों पर पड़ गया था। इसके चलते उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी और पिता की संगीत के प्रति रूचि को देखकर संगीत की ललक होने के चलते उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ संगीत सीखने व लिखने का सिलसिला जारी रखा। जब उन्होंने संगीत को ही अपना प्रोफेशन बनाना चाहा तो आगरा घराने के सोहन ¨सह से संगीत शिक्षा लेनी शुरू कर दी। सोहन ¨सह को गुरु मान संगीत सीखना शुरू किया और परिवार के पालन पोषण के साथ ही उन्होंने संगीत वोकल इंस्ट्रूमेंटल व इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की और बीएड करके केंद्रीय विद्यालय में नौकरी पर लग गए। वहां से वह 2003 में सेवानिवृत्त हो गए। वर्तमान समय में 70 वर्षीय नंद किशोर नारद कश्मीर एवेन्यू में अपनी नारद संगीत सरिता एकेडमी के जरिए संगीत की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने अपने हुनर के जरिए ह¨रदर सोहल, अमृतपाल ¨सह व सुलेमान जैसे प्रसिद्ध संगीतकार पैदा किए हैं, जो संगीत के क्षेत्र में गुरु नगरी का नाम रोशन कर रहे हैं।