रावण दहन देखने की जिद थी, गर्भवती सहित परिवार के चार की मौत
दशहरे पर नजदीक से रावण का पुतला दहन देखना एक परिवार को इस कदर भारी पड़ गया कि परिवार की चार महिलाएं मौत के मुंह में चली गईं।
जेएनएन, अमृतसर। दशहरे पर नजदीक से रावण का पुतला दहन देखना एक परिवार को इस कदर भारी पड़ गया कि परिवार की चार महिलाएं मौत के मुंह में चली गईं। घर में सबसे छोटी लाडली कुसुम जिद कर रही थी कि वह अपनी भाभी कर्मजोत कौर के साथ दशहरा देखना चाहती है। कर्मजोत कौर गर्भवती थी और परिवार के सदस्य उसे रेल ट्रैक पार कर दशहरा देखने नहीं जाने देना चाहते थे। इसलिए घर की बड़ी सदस्य निर्मला देवी अपनी बेटी रितु को लेकर उसके साथ चली गई, लेकिन साढ़े सात बजे परिवार में कोहराम मच गया।
हादसे में कई लोगों के मारे जाने की जानकारी मिलते ही परिवार के सदस्य, गली के लोग और रिश्तेदार महिलाओं को तलाशने के लिए दौड़ पड़े। आधी रात तक पता नहीं चल रहा था कि चारों महिलाएं कहां हैं। परिवार के सदस्यों ने बताया कि कुसुम (20) की जिद के सामने परिवार के सभी लोग हार गए थे।
निर्मला देवी ने सोचा था कि वह अपनी बेटी रितु को साथ ले जाएगी गर्भवती कर्मजोत कौर को किसी तरह की दिक्कत में संभाल लिया जाएगा। तीनों महिलाएं मिलकर कर्मजोत को दशहरा स्थल से सुरक्षित ले आएंगी लेकिन चारों में से एक भी महिला घर नहीं लौट पाई।
छत से देखते तो बच जाती मासूम सार्थक की जान
प्रदीप सिंह और उसके मासूम भतीजे सार्थक (4) की जिंदगी बच सकती थी अगर वह घर की छत से ही रावण दहन देख लेते, लेकिन करीब जाकर जलता रावण देखना आज परिवार पर भारी पड़ गया। दरअसल सार्थक ने जिद की थी कि वह छत से नहीं रावण दहन नहीं देखेगा। जब परिवार के सदस्यों को सूचना मिली कि प्रदीप और सार्थक की ट्रेन से कटने से मौत हो गई है तो वे सन्न रह गए।
ट्रेन के बारे में पूछने पर रो पड़ती है काजल
पांच साल की काजल भी रावण दहन देखने पर अड़ी थी। हादसे के बाद उसका कहीं अता पता नहीं चल रहा था। घटनास्थल पर परिवार पागलों की तरह लोगों से उसकी जानकारी लेना चाह रहा था लेकिन वहां सब को अपनी-अपनी पड़ी थी। कोई अपनों को बचाने में लगा था तो कोई खोजने में। देर रात उन्हें पता चला कि काजल अस्पताल में दाखिल है। घटना के 24 घंटे बीत जाने पर भी मासूम काजल की आंखें पथराई हुई हैं। ट्रेन के बारे में पूछने पर वह रोने लगती है।