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पूर्व मंत्री ने गोल बाग पार्क की दुर्दशा का उठाया सवाल

अमृतसर पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू, मेयर करमजीत ¨सह ¨रटू व निगम आयुक्त सोनाली गिरि को पत्र लिख कर गोल बाग पार्क की दुर्दशा से अवगत करवाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 12:37 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 12:37 AM (IST)
पूर्व मंत्री ने गोल बाग पार्क की दुर्दशा का उठाया सवाल
पूर्व मंत्री ने गोल बाग पार्क की दुर्दशा का उठाया सवाल

जागरण न्यूज नेटवर्क, अमृतसर

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पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू, मेयर करमजीत ¨सह ¨रटू व निगम आयुक्त सोनाली गिरि को पत्र लिख कर गोल बाग पार्क की दुर्दशा से अवगत करवाया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि बार-बार आपके ध्यान में लाने के बाद भी हृदय प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाए गए नए पार्क की बुरी दुर्दशा हो गई है। पहले केवल कुत्ते थे, अब सुअर भी मिट्टी खोद खोद कर नए लगाए पौधों को नष्ट कर रहे हैं। काम तो निगम का है, फिर भी मैं वहां की सभी जानकारियां आपको देती रहती हूं, पर शायद निगम को इसका कोई फर्क नहीं पड़ता।

कुत्तों द्वारा फैलाई जा रही गंदगी पूरे बाग में देखने को मिलती है। सुअरों ने नए बने बाग की क्यारियां खोदकर कड़ी पत्ता और तुलसी को बहुत नुकसान पहुंचाया है।

शुक्रवार को एक बड़ा सा सांप बाग में घूम रहा था। निगम की ओर से कोई प्रबंध नहीं। पहले भी सांप निकलने की सूचना आपको दी गई थी, पर कुछ नहीं किया गया। हृदय योजना के अंतर्गत बने पार्क का उद्घाटन करने में जितना धन खर्च किया गया, अगर उसको ही बचा लेते तो उद्घाटन के दो दिन बाद ही नए बाग के चौकीदार और मालियों को न निकालते। इससे बाग की दुर्दशा न होती। वहां सफाई का भी कोई प्रबंध नहीं। गंदगी फैली है।

11 सितंबर को उद्घाटन के समय मुख्य पार्क का फव्वारा लगभग दो साल बाद चलाया गया, लेकिन 12 सितंबर को ही बंद हो गया। कमिश्नर की ओर से वचन तो यह दिया गया था कि फव्वारों वाले पार्क के बंद पड़े फव्वारे भी चला देंगे, लेकिन जो एक चलाया था वह भी केवल उद्घाटन के लिए था, जनता के लिए नहीं।

कृपया जनता के लिए बने महत्वपूर्ण पार्क की देखभाल के लिए आवश्यक कर्मचारी रखें। क्या कोई ऐसा सरकारी अधिकारी है जिसके सरकारी बंगले में बने पार्क की यह दुर्दशा हो। मेरी जानकारी के अनुसार निगम के कर्मचारी ही सरकारी कोठियों में बने पार्कों की देखभाल करने के लिए भेजे जाते हैं।

क्या इस पार्क को निगम बचाएगा अथवा जो पांच करोड़ रुपये इस पर खर्च करने का दावा किया जा रहा है वह भी व्यर्थ चला जाएगा।


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