ईएसआइ अस्पताल के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर होगी जनहित याचिका
अमृतसर ईएसआइ विभाग की सरकारी व्यवस्था से मरीजों की पीड़ा बढ़ रही है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
ईएसआइ विभाग की सरकारी व्यवस्था से मरीजों की पीड़ा बढ़ रही है। ईएसआइ कार्ड धारकों को कागजी औपचाकिताओं में फंसाकर रखा जाता है। इससे उन्हें उपचार करवाने में भारी परेशानी आ रही है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। अमृतसर निवासी निरपाल ¨सह को कैंसर डायग्नोस होने की सूरत में जालंधर के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने उसे कीमोथैरेपी करवाने को कहा। चूंकि निरपाल ¨सह ईएसआइ कार्ड धारक है, इसलिए उसने निजी अस्पताल प्रबंधन से कहा कि उनका ट्रीटमेंट ईएसआइ कार्ड के आधार पर किया जाए। इसके बाद निरपाल ¨सह अमृतसर के मजीठा रोड स्थित ईएसआइ अस्पताल में आया। यहां उसे सरकारी औपचारिकताओं में उलझाया गया। तकरीबन दो घंटे बाद सारी कार्रवाई पूरी होने के बाद वह जालंधर के निजी अस्पताल में पहुंचा और कीमोथैरेपी करवाई। अब जितनी बार वह निजी अस्पताल से कीमोथैरेपी करवाएगा, उसे ईएसआइ अस्पताल आकर कागजों की औपचारिकता पूरी करनी पड़ेगी। ठीक ऐसे ही किडनी फैल्योर का शिकार मरीज को डायलिसिस करवाने से पहले ईएसआइ अस्पताल में आकर डॉक्टरों व स्टाफ के आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है।
इस घटना का खुलासा करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता बलजीत ¨सह वालिया ने कहा कि वह ईएसआइ विभाग में मरीजों के साथ हो रहे अन्याय के संदर्भ में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे। उन्होंने वकील से सलाह-मशवरा कर इसकी रूपरेखा तय कर ली है। वालिया ने कहा कि ईएसआइ विभाग हर महीने कामगारों के वेतन से अपने आप राशि की कटौती कर लेता है। जब लोगों को इलाज की जरूरत होती है तो उन्हें परेशान किया जाता है। मेरे परिवार के सदस्य का दिल्ली में एक्सीडेंट हुआ था। मेरे पास निजी बीमा कंपनी का कार्ड था। बीमा कंपनी ने अस्पताल को इलाज का सारा खर्च दिया। न कोई कागजी कार्रवाई और न ही निजी कंपनी के पास जाने की जरूरत पड़ी। ई-मेल के जरिए सारा काम हुआ। क्या ऐसी व्यवस्था ईएसआई विभाग नहीं कर सकता? कैंसर से जंग लड़ रहे मरीज के साथ ऐसा व्यवहार क्यों
बलजीत ¨सह वालिया ने आरोप लगाया कि ईएसआइ अस्पताल में कार्यरत क्लेरिकल स्टाफ लोगों से दुर्व्यवहार करता है। मरीजों को घंटों इंतजार करवाया जाता है। मैंने इसकी शिकायत मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. न¨रदर कौर से की तो उन्होंने दो टूक कहा कि इन्हें विभाग ने नियुक्त किया है, मैंने नहीं। यहीं बस नहीं, निजी अस्पताल में इलाज करवाने वाले मरीजों को ईएसआइ अस्पताल में बार-बार बुलाया जाता है। पहले डॉक्टर से लिखवाओ फिर क्लर्क के पास जाओ। जो मरीज कैंसर से जंग लड़ रहा है, वह बार-बार ईएसआइ अस्पताल कैसे आ सकता है। सच तो यह है कि ईएसआइ अस्पताल लोगों के लिए परेशानियां उत्पन्न कर रहा है। लोगों को अपना हक हासिल करने के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं, डॉक्टरों व स्टाफ के दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ रहा है।