बढ़ती जनसंख्या के खिलाफ मेरठ के दंपती ने जलाई अलख
देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को लेकर शहरवासियों को जागरूक करने के लिए मेरठ निवासी दंपती ने वीरवार को जलियांवाला बाग से अपनी उल्टी पैदल यात्रा शुरू की।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को लेकर शहरवासियों को जागरूक करने के लिए मेरठ निवासी दंपती ने वीरवार को जलियांवाला बाग से अपनी उल्टी पैदल यात्रा शुरू की। इस दौरान उन्होंने अमृतसरवासियों को जनसंख्या विस्फोट के प्रति जागरूक किया, वहीं उनमें छोटा परिवार-सुखी परिवार की भावना पैदा करने का प्रयास किया। बाग में पहुंचे सैलानियों से जनसंख्या पर काबू पाने के लिए नीति बनाए जाने संबंधी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पोस्ट कार्ड भी लिखवाए। दिल्ली में पहुंच कर वे एक बार फिर अपने परिवार के साथ जंतर-मंतर पर 81वां उपवास करेंगे।
मेरठ के हरि नगर निवासी दिनेश तलवाड़ ने बताया कि 1994 में पहली बार एक रैली में शामिल हुए तो सोचा कि क्यों न इस तरह अभियान चला कर देशवासियों को जनसंख्या विस्फोट के प्रति जागरूक किया जाए। इसके बाद उन्होंने इसकी शुरुआत की और उल्टे पैदल यात्रा करते हुए लोगों को इसका संदेश दिया। इसके 3 साल बाद दिशा के साथ शादी हुई तो उनकी पत्नी भी इस अभियान का हमेशा-हमेशा के लिए हिस्सा बन गई। बेटी सिमरन और बेटा यश पैदा हुए तो ये भी लोगों को यह संदेश देने के लिए उनके साथ उल्टी पैदल यात्रा करने लगे।
उन्होंने बताया कि आज उन्होंने अपनी ¨जदगी की 135वीं उल्टी पैदल यात्रा अपनी पत्नी दिशा तलवाड़, बेटी सिमरन और बेटे यश के अलावा मां मोहनी देवी और फरीदाबाद निवासी भांजी स्मृति धवन के साथ जलियांवाला बाग से शुरू की। यहां शहीदों की धरती पर पहुंच कर उन्हें एक नई ऊर्जा मिली है। उन्होंने बताया कि 1992 में 79वें संशोधन बिल को लेकर एक विधेयक बना, जिसे आज तक कभी संसद में पेश ही नहीं किया गया। देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने जनसंख्या कंट्रोल करने को गंभीरता से नहीं लिया।
दिशा तलवाड़ ने बताया कि कभी देश में दीवारों पर छोटा परिवार-सुखी परिवार और हम दो-हमारे दो स्लोगन दिखाई देते थे, लेकिन उक्त स्लोगान दीवारों से गायब हुए भी जमाना गुजर गया है। राजनीतिक लोग देश को धर्म की नजर से देखते हैं और तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को समस्या नहीं मानते। अभियान के दौरान लोगों को पीएम के नाम पोस्ट कार्ड लिख प्रधानमंत्री आफिस तक पहुंचाने का मकसद सरकार को जनसंख्या के बढ़ते खतरे प्रति जागरूक करना है, ताकि संसद में विधेयक पेश कर इसके लिए नीति बनाई जा सके।