दुकानदारों ने निकाला तोड़ गट्टू बनगया लड्डू डोर
अमृतसर ड्रैगन डोर की बिक्री अब नए नाम लड्डू व खजूर पर होने लगी है।
कमल कोहली, अमृतसर
ड्रैगन डोर की बिक्री अब नए नाम लड्डू व खजूर पर होने लगी है। चोरी छुपे यह ड्रैगन डोर पांच सौ रुपये प्रति आधा किलो गट्टू बिक रहा है। पुलिस ने भले ही ड्रैगन डोर बेचने वालों पर शिकंजा कसा हुआ है। बावजूद इसके गट्टू नए नामों से चोरी छुपे आर्डर पर बिक रहे हैं। ड्रैगन डोर का मुकाबला करने के लिए बाजार में 12 तारी व 9 तारी वाली देसी डोर आ चुकी है पर इसकी बिक्री के लिए दुकानदार ग्राहकों के इंतजार में बैठे हुए है। जब शहर में काइट व डोर वाली दुकानों में देखा तो वहां पर बरेली की बारह व नौ तारी के डोर की चरखी और अड्डे की बनी देसी डोर के पिन्ने भी बिकने के लिए रखे हुए है।
सूत्रों के मुताबिक अधिकतर गट्टू एक कंपनी के नाम के बिक रहे हैं। यह कंपनी दिल्ली की बताई जा रही है। आधा किलो का यह चाइनीज गट्टू बाजार में चोरी छुपे 500 से 600 रुपये में बिक रहा है। गट्टू लेने के लिए पहले जान पहचान का आर्डर लिया जाता है। उसके बाद गट्टू की सप्लाई होती है। पतंग व डोर का व्यापार करने वाले दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन को सप्लाई लाइन को बंद करना चाहिए।
12 व 9 तारी की डोर करेगी मुकाबला
बाजार में ड्रैगन डोर का मुकाबला करने के लिए बरेली की 12 तारी व 9 तारी की डोर आई है। यह डोर 50 रुपये गॉट के हिसाब से बिक रही है। वही देसी डोर 40 रुपये के हिसाब से बिक रही है। काइट एंड डोर विक्रेता कृपाल ¨सह ने कहा कि पतंग व डोर का सीजन अब सिर्फ नाम का सीजन रह गया है। ड्रैगन डोर के आने के बाद हर वर्ष काइट व डोर का व्यापार कम हुआ है। बाजार में दो गोट से लेकर 12 गोट तक की चरखी आई हुई है।
डोर के अड्डे होते जा रहे बंद
एक जमाना था जब महानगर में करीब 50 डोर के अड्डे होते थे परंतु ड्रेगन डोर के कहर के कारण यह अड्डे अब सिर्फ आधा दर्जन ही रह गए हैं। अब सिर्फ डोर के अड्डे भूषणपुरा, बटाला रोड, चाटी¨वड, बेरी गेट तक सीमित रह गए है। कुंदन ¨सह डोर अड्डे के मालिक कुंदन ¨सह ने बताया कि लोग पहले आर्डर देकर अड्डों पर डोर लेने के लिए आते थे। ड्रैगन डोर के आने के बाद शहर के अधिकांश डोर के अड्डे बंद हो गए है। ड्रैगन डोर अब दीपावली पर्व पर आ जाती है जोकि लोगों तक पहुंच जाती है।