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वायरल बुखार ने मचाया कहर, चपेट में आया शहर

अमृतसर शरीर का खून सुखा देने वाली गर्मी की अकड़ अक्टूबर माह में ढीली पड़ चुकी है। सुकून भरी बारिश के बाद तापमान औंधे मुंह गिरा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 12:35 AM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 12:35 AM (IST)
वायरल बुखार ने मचाया कहर, चपेट में आया शहर

नितिन धीमान, अमृतसर

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शरीर का खून सुखा देने वाली गर्मी की अकड़ अक्टूबर माह में ढीली पड़ चुकी है। सुकून भरी बारिश के बाद तापमान औंधे मुंह गिरा है। मौसम में तेजी से बदलाव आया है, लेकिन बदलाव के इस क्रम में लोग वायरल बुखार की चपेट में आ रहे हैं। अमृतसर में वायरल बुखार का शिकार लोगों की संख्या अप्रत्याशित ढंग से बढ़ रही है। बच्चों, युवाओं व बुजुर्गों को वायरल बुखार सता रहा है।

दरअसल, इन दिनों सरकारी एवं निजी अस्पतालों में आने वाले 100 में से 40 लोगों को वायरल बुखार की शिकायत है। वायरल का शिकार बच्चों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। अक्टूबर माह की शुरूआत से ही इस बीमारी की चपेट में अब तक हजारों लोग आ चुके हैं। हैरानीजनक पहलू यह है कि इस बीमारी का स्पष्ट आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग नहीं जुटा पाता, इसलिए मरीजों की संख्या अंदाजे से कहीं ज्यादा हो सकती है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वायरल बुखार से तेजी से प्रसार किया है।

गुरुनानक देव अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 1500 से अधिक मरीज ओपीडी में जांच करवाने पहुंचते हैं। इनमें से तकरीबन 400 से अधिक मरीज वायरल बुखार की चपेट में हैं। अस्पताल के मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डॉ. निरंकार ¨सह नेकी का कहना है कि मौसम में बदलाव के साथ-साथ खाने-पीने की गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोर की वजह से वायरल फीवर हो रहा है। यह वायरल इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। वायरल बुखार से संक्रमित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को आसानी से इसका शिकार बना देता है।

दूसरी तरफ सिविल अस्पताल में पीडिएट्रिक व मेडिसिन वार्ड में प्रतिदिन 70 से अधिक मरीज रिपोर्ट हो रहे हैं। पीडिएट्रिक डॉ. संदीप अग्रवाल के अनुसार छह से बारह साल के बच्चे भी वायरल बुखार का शिकार हो रहे हैं। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण आम बुखार जैसे ही होते हैं, लेकिन इसे नजरअंदाज करना घातक सिद्ध हो सकता है। वायरल बुखार को ठीक होने में कम से कम छह दिन लगते हैं। फीवर के शुरुआती चरण में गले में दर्द, थकान, खांसी, नाक बहने की शिकायत होती है। बच्चे जंक फूड का सेवन करते हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण पड़ जाती है और वायरल बुखार उन्हें आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है।

डेंगू का खतरा भी बरकरार

वायरल बुखार के साथ साथ डेंगू बुखार का खतरा भी शहर में मंडरा रहा है। अमृतसर में डेंगू बुखार का शिकार 40 मरीज रिपोर्ट हो चुके हैं। दूसरी तरफ पंजाब सरकार के सरकारी अस्पतालों में डेंगू मरीजों को सिर्फ मच्छरदानियों के सहारे ट्रीटमेंट देने का प्रयास किया जा रहा है। गुरुनानक देव अस्पताल में ¨सगल डोनर प्लेट्सलेट्स मशीन पिछले लंबे समय से खराब है। इस अस्पताल में दो दर्जन डेंगू पेशेंट दाखिल हैं। इनमें से यदि किसी को प्लेटलेट्स की जरूरत पड़े तो उसे निजी ब्लड बैंक में हजारों रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

कैसे होता है वायरल बुखार

डॉ. निरंकार ¨सह नेकी के अनुसार इस मौसम में हवा में कीटाणुओं की सक्रियता बढ़ जाती है, जो इंसान के शरीर में प्रविष्ट होकर वायरल बुखार का कारण बनते हैं। स्वस्थ इंसान में प्रवेश कर ये कीटाणु वायरल बुखार चढ़ाते हैं और फिर सांस अथवा खांसने पर दूसरे मनुष्य को वायरल बुखार होता है। गली मुहल्लों में खेलने वाले बच्चे बहुत जल्दी इस बुखार की चपेट में आ रहे हैं। लक्षण

— थकान

— मांसपेशियों या बदन में दर्द

— खांसी

— तेज बुखार

— जोड़ों में दर्द

— दस्त

— त्वचा व लाल रैशेज

— सर्दी लगना

— गले में दर्द

— सिरदर्द

— आंखों का लाल होना और माथा तपना बचाव

— इस मौसम में प्यास कम लगती है। पानी अधिकाधिक पिएं। डाइट में सूप, जूस, कॉफी को शामिल करें। लहसुन को आहार में शामिल करें। घर पर बना पौष्टिक आहार ही लें। बच्चों को जंक फूड से दूर रखें।


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