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दिव्यांग विद्यार्थियों की अंगुली थामेगा शिक्षा विभाग

अमृतसर दिव्यांग विद्यार्थियों का सहारा शिक्षा विभाग बनने जा रहा है। ऐसे 400 दिव्यांग विद्यार्थियों की पहचान शिक्षा विभाग ने की है जिन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। यह दिव्यांग बधिर होने के साथ चलने फिरने से असमर्थ है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 01:50 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 01:50 AM (IST)
दिव्यांग विद्यार्थियों की अंगुली थामेगा शिक्षा विभाग

अखिलेश ¨सह यादव, अमृतसर

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दिव्यांग विद्यार्थियों का सहारा शिक्षा विभाग बनने जा रहा है। ऐसे 400 दिव्यांग विद्यार्थियों की पहचान शिक्षा विभाग ने की है जिन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। यह दिव्यांग बधिर होने के साथ चलने फिरने से असमर्थ है। इन विद्यार्थियों की पहचान के लिए शिक्षा विभाग ने बाकायदा मेडिकल असेसमेंट कैंप लगाए और इनकी जरूरतों को नजदीक से समझा और इनकी बैसाखी बनने के लिए सरकारी अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी है।

शिक्षा विभाग ने स्कूल स्वास्थ्य प्रोग्राम की टीम द्वारा अमृतसर के पांच ब्लाकों के दिव्यांग छात्रों के लिए मेडीकल असेस्मेंट कैंप का आयोजन किया था। यह मेडीकल कैंप डिप्टी डीईओ एलिमेंटरी नीलम भल्ला की निगरानी में लगाए गए थे। ब्लाक शिक्षा अधिकारी चंद्रप्रकाश ने बताया कि इन कैंपों में 6 से 18 साल तक के आयुवर्ग के बच्चों का मेडिकल किया गया था। इस कैंप में 5 डाक्टरों की टीम ने भाग लिया। बीईओ चंद्रप्रकाश ने बताया कि इस कैप में हर डाक्टर की सहायता के लिए एक इनक्लयूसिव शिक्षा अधिकारी तथा 4 वलंटियर हाजिर थे। जिन्होंने बच्चों की परेशानी के बारे में डाक्टरों को बताया।

ब्लाक अमृतसर-1 की शिक्षा अधिकारी बल¨वदर कौर, अमृतसर-2 के बीईओ चंद्रप्रकाश, बलाक अमृतसर-3 की बीईओ अरुणा कुमारी, अमृतसर-4 की बीईओ र¨वदर कौर आदि अपने अपने ब्लाक से दिव्यांग छात्रों की जांच के लिए कैंपों में आए थे।

शिक्षा विभाग की तरफ से ऐलिमका कानपुर से पांच विशेष डाक्टरों की टीम ने अमृतसर पहुंच कर पांच ब्लाकों के दिव्यांगों की जांच की। कोआर्डिनेटर धर्मेद्र ¨सह गिल ने बताया कि ऐलिमका कानपुर के पांच डाक्टरों की टीम के साथ जिले के जिलाधीश ने तीन डाक्टरों की टीम सिविल अस्पताल से उनकी सहायता के लिए मुहैया करवाई थी, जिनमें कानों, हड्डियों व मेडीसन के डाक्टर शामिल है। गिल ने बताया कि उक्त डाक्टरों की टीम दिव्यांग बच्चों का मेडीकल चैकअप करके इस बात की जानकारी देगें कि किस किस छात्र को किस किस उपकरण की जरूरत है। इसके बाद बनावटी अंग, स्पेशल बूट,कानों से सुनने वाली मशीने, व्हील चेयर, ट्राई साईकल, बैसाखियां,ब्लाइंड केन, एमआर किटों आदि का जरुरत के हिसाब से आर्डर देकर तैयार करवाया जाएगा। दिव्यांग बच्चों के सामान पर जो खर्च आएगा उस में 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार तथा 40 प्रतिशत राशि पंजाब सरकार खर्च करेगी।


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