एसजीपीसी पर काबिज होकर बादल लूट रहे गुरुघर की गोलक : रंधावा
अमृतसर एसजीपीसी के पूर्व सचिव कुलवंत ¨सह रंधावा ने कहा कि बादल परिवार अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति और सत्ता पर बने रहने के लिए एसजीपीसी के माध्यम से गुरु घर की गोलक को लूट रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
एसजीपीसी के पूर्व सचिव कुलवंत ¨सह रंधावा ने कहा कि बादल परिवार अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति और सत्ता पर बने रहने के लिए एसजीपीसी के माध्यम से गुरु घर की गोलक को लूट रहे हैं। यही कारण है कि अकाली दल बादल की ओर से एसजीपीसी पर हर हाल में कब्जा बना रखने के लिए दिन रात राजनीति खेली जाती है और अपना कब्जा एसजीपीसी पर जमाए रखने के लिए सिख कौम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है। यही नहीं पंथक मर्यादाओं की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं। रंधावा सोमवार को मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
रंधावा ने कहा कि एसजीपीसी की ओर से तैनात किए गए जत्थेदारों को किसी भी कीमत पर पंजाब सरकार की ओर से भारी सुरक्षा नहीं देनी चाहिए। क्योंकि यह जत्थेदार धार्मिक नेता हैं न कि राजनीतिज्ञ। जत्थेदारों की सुरक्षा वापस लेने के लिए वह मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं।
रंधावा ने खुलासा किया कि बादल परिवार सत्ता में बने रहने के लिए गुरुद्वारा एक्ट-1925 का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है। करोड़ों के घपलों को अंजाम दिया जा रहा है। डेरा मुखी को माफी देना पूरी तरह एक राजनीतिक चाल थी जो बादल परिवार ने खेली। यह वोट बैंक के साथ जुड़ हुआ एक सियासी फैसला था। इसके प्रचार के लिए अकाली दल ने एसजीपीसी की सहायता से गुरु घर की गोलक से 92 लाख रुपये सीधे ढंग से उपयोग किए। वहीं एसजीपीसी के सदस्यों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए भारी पैसे गुरु की गोलक से उपयोग किए गए। वहीं हर सदस्य को कहा गया कि वह अपने अपने दो दो कर्मचारी एसजीपीसी में भर्ती करवा सकते हैं। यही बस नहीं, गुरु की गोलक को सेंध लगाने के लिए बादल परिवार की ओर से अपनी कंपनियों का कामकाज देखने वाले एक चार्टड अकाउंटेंट को एसजीपीसी के फंडों का लेखा-जोखा करने के लिए तैनात कर दिया गया। गुरु की गोलक से इस कंपनी को हर वर्ष करोडों रूपये इस काम के लिए दिए जाते रहे। इसी तरह जो सारागढ़ी सराय का निर्माण किया गया, इसका पहले बजट 7 करोड़ रुपये था जो बाद में 55 करोड़ रूपये तक पहुंच गया। अभी इसके बिल भी पूरे अदा नहीं हुए हैं कि इसकी रिपेयर का काम शुरू हो गया है। श्री गुरु रामदास लंगर की इमारत के लिए बजट 14 करोड़ था जो अब बढ़ा कर 48 करोड़ तक पहुंचा दिया गया है। इमारत अभी भी अधूरी है और अब इसे मुकम्मल करने के लिए कार सेवा वाले बाबाओं को सौंप दिया गया है। केंद्रीय सिख अजायबघर के विस्तार के लिए अढ़ाई करोड़ का बजट रखा गया था जिसे बढ़ा कर 12 करोड़ कर दिया गया। बजट में इतनी अधिक वृद्धि के पीछे सीए कंपनी के कुछ ठेकेदार हैं जिनका संबंध बादल परिवार के साथ है। जो काम कम पैसे में भी हो सकते हैं उनको पूरा करने के लिए बजट कई गुणा बढ़ा दिए जाते हैं ताकि अपने लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सके।
रंधावा ने कहा कि मूल नानक शाही कैलेंडर को रद्द करने का फैसला हो जा फिर डेरा मुखी को माफी देने का इस सब के पीछे बादल परिवार के हुक्म ही मुख्य होते है। उन्होंने कहा कि 13 नवंबर को एसजीपीसी का जो जनरल इजलास हो रहा है उसमें सदस्यों को अपने जमीर की आवाज सुन कर बैठक में बादलों की धक्केशाही के खिलाफ आवाज बुलंद करें।