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अमृतसर हादसे की जांच दावों में उलझी, कार्यक्रम की मंजूरी पर 'जंग', रेलवे ने उठाया यह कदम

जोड़ा फाटक के पास धोबीघाट मैदान में आयोजित दशहरा समारोह के दौरान हुआ रेल हादसा की जांच उलझती दिख रही है। मामला दशहरा कार्यक्रम की अनुमति लेने और न लेने के दावों में उलझी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 11:37 AM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 07:52 PM (IST)
अमृतसर हादसे की जांच दावों में उलझी, कार्यक्रम की मंजूरी पर 'जंग', रेलवे ने उठाया यह कदम

अमृतसर, [विपिन कुमार राणा]। जोड़ा फाटक के पास धोबीघाट मैदान में आयोजित दशहरा समारोह के दौरान हुआ रेल हादसा की जांच उलझती दिख रही है। मामले की जांच में अब तक कोई गति नहीं दिख रही और सारा कुछ दशहरा कार्यक्रम की अनुमति लेने और न लेने के दावों के 'जंग' में उलझी है। 62 लोगों का काल बन गई इस घटना पर अब रेलवे ने नया कदम उठाया है। उसने पटरी पर लाेगों को रौंदने वाली डीएमयू ट्रेन के ड्राइवर, गार्ड और जोड़ा रेलवे फाटक पर तैनात गेटमैन को छुट्टी पर भेज दिया है। 

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सौरभ मदान का दावा- नगर निगम से ली थी कार्यक्रम के लिए मंजूरी, निगम ने कहा- कोई मंजूरी नहीं दी

समारोह की अनुमति को लेकर पहले ही दिन से सवाल उठते रहे हैं। पूरे मामले में कार्यक्रम का अायोजक सौरभ मदान उर्फ मिट्ठू मदान नगर निगम और पुलिस से समारोह के लिए अनुमति लेने का दावा कर रहा है। मिट्ठू मदान का कहना है कि नगर निगम ने कार्यक्रम की अनुमति देने के साथ-साथ समारोह स्‍थल पर पानी के टैंकर और फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी भेजी थी।

मिट्ठू ने पहले पुलिस परमीशन की कॉपी वायरल की गई, जिसमें साफ था कि सशर्त परमीशन थी, पर उसकी शर्तें आयोजकों द्वारा पूरी नहीं की गई। सोमवार को मिट्ठू ने वीडियो अपलोड करते हुए निगम की परमीशन की बात कही। उसने कहा कि परमीशन के तहत ही वाटर टैंकर और फायर ब्रिगेड आई थी, लेकिन नगर निगम इससे इन्‍कार कर रहा है। नगर निगम का कहना है कि वाटर टैंकर मौखिक अाग्रह पर भेजे गए थे।

निगम के अफसर बोले- मौखिक आग्रह पर वाटर टैंकर व फायर ब्रिगेड गाड़ी भेजी

निगम अधिकारियों ने कहा कि समारोह की निगम द्वारा कोई परमीशन नहीं दी गई। आयोजकों द्वारा वहां वाटर टैंकर और फायर ब्रिगेड भेजने के दावे पर उनका कहना है कि किसी अधिकारी को कोई आदेश या निर्देश नहीं दिया गया। एडीएफओ ने बताया है कि उसने पुलिस अनुमति के आधार पर फायर ब्रिगेड वहां भेजी थी और पार्षद के मौखिक अनुरोध पर सुपरिंटेंडेंट द्वारा वाटर टैंकर भेजा गया । अगर किसी भी स्तर पर ड्यूटी में कोताही की बात सामने आई तो संबंधित कर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

धोबीघाट मैदान पर नगर निगम नहीं ट्रस्ट की मालिकी

धोबीघाट का मैदान निगम की संपत्ति है या फिर नगर सुधार ट्रस्ट, इसे लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। बताया जाता है कि यह जगह नगर सुधार ट्रस्ट की डिवेल्पमेंट स्कीम 59 का हिस्सा है, जिसे ट्रस्ट ने 1998 में निगम को हैंडओवर कर दिया। उस दौरान यहां के प्लाट ट्रस्ट द्वारा बेचे गए थे और जमीन हैैंडओवर होने के बाद से निगम यहां के नक्शे, पानी व सीवरेज आदि का काम करवा रहा है। अगर यह ट्रस्ट की मालिकी है, तो फिर यहां से निगम से परमीशन का सवाल ही नहीं उठता।

डिवीजन कमिश्नर ने भी तलब किए अधिकारी

जोड़ा फाटक के पास ट्रेन हादसे की जांच के लिए गठित जांच कमेटी ने छानबीन शुरू की है। जालंधर डिवीजन के कमिश्नर बी. पुरुषार्थ ने नगर सुधार ट्रस्ट के कार्यालय में डिप्टी कमिश्नर कमलदीप सिंह संघा, नगर निगम कमिश्नर सोनाली गिरि तथा ट्रस्ट के अधिकारियों के साथ जांच शुरू की।

डिवीजनल कमिश्नर की जांच में निगम कमिश्नर अपने अधीनस्थ अधिकारियों एस्टेट अफसर सुशांत भाटिया, एमटीपी आईपीएस रंधावा, ओएंडएम सैल के एसई अनुराग महाजन के अलावा कई अधिकारियो के साथ पहुंची। निगम अधिकारियो ने धोबीघाट को ट्रस्ट की मलकीयत बताया। इस पर जांच टीम ने ट्रस्ट अधिकारियों से डेवेल्पमेंट स्कीम की फाइल मांगी।

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धोबीघाट ट्रस्ट की मालिकी : गिरि

'' धोबीघाट नगर सुधार ट्रस्ट की मालिकी वाली जगह है। निगम द्वारा वहां किसी भी प्रकार के आयोजन की कोई आज्ञा नहीं थी और न ही किसी भी आयोजकों को किसी भी प्रकार की सेवाएं प्रदान करने के लिए ही अधिकारियों को लिखित आदेश दिए गए है।

                                                                                           - सोनाली गिरि, कमिश्नर नगर निगम।

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हैंडओवर हो चुकी है स्कीम : सेखड़ी

'' धोबीघाट सहित जितनी भी विकास स्कीमें हैं, उसकी मालिकी ट्रस्ट की ही रहती है। लेकिन स्कीम हैंडओवर होने के बाद उस जगह के प्रबंधन का दायित्व संबंधित एजेंसी का बन जाता है। हमारे पास भी परमीशन के लिए एक पत्र आया था, जिस पर निगम से मंजूरी लेने संबंधी लिख दिया गया था।

                                                                                              - राजीव सेखड़ी, एसई नगर सुधार ट्रस्ट।

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रेलवे ने डीएमयू ट्रेन के ड्राइवर, गार्ड व गेटमैन को छुट्टी पर भेजा

उधर, इस मामले में रेलवे ने हादसे करने वाली डीएमयू ट्रेन के ड्राइवर, गार्ड व गेटमैन को छुट्टी पर भेज दिया है। रेलवे का कहना है कि यह फैसला तीनों कर्मचारियों की की सुरक्षा को लेकर लिया है। घटना की जांच मजिस्ट्रेट व जीआरपी की एसअाइटी द्वारा अलग-अलग की जा रही है। दोनों द्वारा रेलवे से जोे भी जानकारी मांगी जा रही है उसे रेलवे उपलब्ध करवा रहा है। घटना में शामिल डीएमयू ट्रेन के पटरी पर लौटने को लेकर संशय है।

डीएमयू ट्रेन को अरविंद कुमार चला रहा था और इस पर गार्ड मिथलेश कुमार तैनात थे। हादसा स्थल से महज 400 मीटर दूर गेट नंबर 27 पर गेटमैन अमित सिंह ड्यूटी पर तैनात था। इन तीनों को सोशल मीडिया पर घटना का दोषी बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर तरह-तरह की आ रही खबरों व लोगों के आक्रोश को देखते हुए रेलवे ने तीनों को छुट्टी पर भेज दिया है। मजिस्ट्रेट व एसआईटी की जांच में जब भी जरूरत होगी तीनों उपस्थित होंगे। एडीआरएम एनके वर्मा ने बताया कि ड्राइवर, गार्ड व गेटमैन को सुरक्षा के मद्देनजर ड्यूटी से फिलहाल दूर रखा गया है।


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