अमृतसर में कोरोना पाजिटिव आने पर जच्चा-बच्चा को सिविल अस्पताल से निकाला
सिविल अस्पताल स्थित गायनी विभाग के स्टाफ पर बार-बार संवेदनहीनता के आरोप लग रहे हैं। एक महिला ने अस्पताल में डिलीवरी के बाद शिशु को जन्म दिया। इस बीच महिला की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आने पर गायनी विभाग के स्टाफ ने उसे अस्पताल से चले जाने को कह दिया।
अमृतसर [नितिन धीमान]। सिविल अस्पताल स्थित गायनी विभाग के स्टाफ पर बार-बार संवेदनहीनता के आरोप लग रहे हैं। एक महिला ने अस्पताल में डिलीवरी के बाद शिशु को जन्म दिया। इस बीच महिला की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आने पर गायनी विभाग के स्टाफ ने उसे अस्पताल से चले जाने को कह दिया। आधी रात को महिला व उसका पति नवजात शिशु को लेकर सड़क पर पैदल घूमते रहे। दूसरी तरफ अस्पताल प्रशासन ने इसे महिला के स्वजनों की लापरवाही बताया है।
दरअसल, 24 वर्षीय सुमन को गायनी वार्ड में दाखिल करवाया गया था। शुक्रवार की सुबह तकरीबन पांच बजे उसने बेटे को जन्म दिया। रात तकरीबन साढ़े नौ बजे गायनी विभाग की स्टाफ नर्स सुमन के पास आई और कहा कि तुम कोरोना पाजिटिव हो। सुमन के पति म¨हदर पाल के अनुसार उसने नर्स से रिपोर्ट मांगी तो नर्स ने कहा कि रिपोर्ट नहीं है। हमें ऊपर से मैसेज आया है। स्टाफ ने कहा कि सुमन को यहां से ले जाओ। म¨हदर पाल ने कहा कि वह कहां ले जाए, कुछ घंटे पहले ही तो इसकी डिलीवरी हुई है।
दर्द से तड़प रही है। ऐसे हालात में कहां ले जाऊंगा। स्टाफ ने बात सुने बिना ही सुमन को वार्ड से बाहर निकाल दिया। नवजात शिशु को गोद में उठाकर वह पत्नी के साथ वार्ड के बाहर ही बैठे रहे। उन्होंने स्टाफ से फिर मिन्नतें कीं, मगर वे टस से मस न हुए। ऐसे में वह स्टाफ का वीडियो बनाने लगा। वीडियो बनते देख स्टाफ ने कहा कि सुमन कोरोना पाजिटिव है, इसलिए उसे गुरु नानक देव अस्पताल ले जाओ, एंबुलेंस मंगवा दी है। महिंदर पाल ने कहा कि डिलीवरी यहां हुई है और आपके अस्पताल में भी आइसोलेशन वार्ड है तो फिर वहां क्यों ले जाऊं। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी को यहीं अलग कमरे में आइसोलेट कर दो, लेकिन स्टाफ नहीं माना। इस बात को लेकर उनकी स्टाफ से काफी बहस हुई। हारकर उन्होंने पत्नी और नवजात को घर ले जाने का फैसला लिया। रात तकरीबन बारह बजे वह, उनकी पत्नी और मेरी सास अस्पताल से बाहर निकले।
18 घंटे पूर्व जन्मा नवजात शिशु भी गोद में था। सुनसान सड़कों पर एक भी वाहन नजर नहीं आ रहा था। तकरीबन एक किलोमीटर चलने के बाद सुमन थककर का चूर हो गई। पौने एक बजे सड़क पर आटो दिखाई दिया। बड़ी मुश्किल से उसे रामतीर्थ रोड तक जाने के लिए राजी किया। म¨हदर के अनुसार यदि उनकी पत्नी व बच्चे को कुछ हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता? अगर उनकी पत्नी कोरोना पाजिटिव थी तो नवजात शिशु का कोविड टेस्ट क्यों नहीं किया गया। सच तो यह है कि सिविल अस्पताल के डाक्टर अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ने के लिए हमसे ऐसा व्यवहार करते हैं, जैसे हम अछूत हों। म¨हदर ने इस घटना की शिकायत एसएमओ व डायल-104 पर कर कार्रवाई की मांग की है।
डाक्टर नहीं, स्वजनों की लापरवाही : डा. चरणजीत
सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. चरणजीत सिंह का कहना है कि महिला के स्वजनों ने ही लापरवाही का प्रमाण दिया है। गर्भवती महिला के कोरोना पाजिटिव आने के बाद उसे गुरु नानक देव अस्पताल स्थित आइसोलेशन सेंटर में ही भेजा जाता है, क्योंकि वहां कोरोना उपचार की हर सुविधा है। डाक्टरों ने सुमन की डिलीवरी कर दी, क्योंकि उसे प्रसव पीड़ा हो रही थी। म¨हदर को इस बात की जानकारी हमने डिलीवरी से पहले ही दे दी थी कि उसकी पत्नी सुमन पाजिटिव है। जब उसकी कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई तो हमने डायल-108 एंबुलेंस भी मंगवा दी, ताकि उसे गुरु नानक देव अस्पताल पहुंचाया जा सके, मगर परिवार वाले कह रहे थे कि हम वहां नहीं जाना चाहते।
स्टाफ ने सुमन को एंबुलेंस में बिठाया, लेकिन ये लोग एंबुलेंस से उतर गए। डाक्टर ने उन्हें समझाया कि हमने गुरु नानक देव अस्पताल में फोन कर गायनी डाक्टर्स को बता दिया है कि सुमन को वहां लाया जा रहा है, उसे एडमिट कर लें। कोरोना पाजिटिव सुमन को गायनी वार्ड में नहीं रख सकते थे। यहां 50 से अधिक गर्भवती महिलाएं उपचाराधीन हैं। डाक्टर व स्टाफ भी है। एक संक्रमित मरीज से कई लोग संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए नियमानुसार ही सुमन को गुरु नानक देव अस्पताल भेजा जा रहा था। उसके नवजात शिशु का सैंपल भी गुरु नानक देव अस्पताल में लिया जाना था, पर वह गई नहीं।