ट्रैफिक नियम तोड़ हादसों को दे रहे न्योता, पांच साल में गई 307 लोगों की जान
ट्रैफिक नियम तोड़ना हादसों का मुख्य कारण बन रहा है।
नवीन राजपूत. अमृतसर
ट्रैफिक नियम तोड़ना हादसों का मुख्य कारण बन रहा है। खतरनाक हादसों के पीछे कहीं न कहीं सड़क पर ट्रैफिक नियमों का टूटना माना जा रहा है। ज्यादातर हादसे गलत दिशा में वाहन चलाने, नाबालिग द्वारा वाहन चलाने, नशे की हालत में ड्राइविग, बिना हेलमेट और बिना सीट बेल्ट, सड़कों पर बेतरतीब वाहन खड़े करने के कारण हो रहे हैं।
प्रत्येक साल सड़क हादसों में मरने वालों का ग्राफ बीमारियों से मरने वाले लोगों से भी ऊपर चढ़ता जा रहा है। अगर समय पर सुधार नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब शहर की सड़कें रोजाना लहूलुहान होती दिखेंगी। इसके लिए संबंधित विभागों के अलावा जनता को भी सोचने की जरूरत है। तभी हादसों को रोका जा सकता है। आने वाले दिनों में सर्दी बढ़ने के साथ-साथ धुंध और कोहरा सड़कों को अपने आगोश में ले लेगा। इन हालातों में हादसों की संख्या में तेजी से इजाफा होगा।
पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में पिछले पांच साल में 307 लोगों ने जान गंवाई है। यहीं नहीं घायलों का यह आंकड़ा 2341 है, जो रोजाना बढ़ता जा रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कई मामलों में लोग घायल होने के बावजूद एफआइआर दर्ज तक नहीं करवाते। आरोपित पक्ष से समझौता कर लेते हैं। बेसहारा पशु भी कम नहीं हादसों में जिम्मेदार
शहर की प्रत्येक सड़क पर बेसहारा पशुओं को देखा जा सकता है। हजारों की संख्या में बेसहारा पशु घूम रहे हैं। रात के अंधेरे में तो वाहन चालक को पता भी नहीं लगता कि पशु किस तरह से निकल आया है और सीधे वाहन में टकरा जाता है। चालक ही नहीं इस तरह के हादसों में बेसहारा पशु भी कई बार जख्मी हो चुके हैं। पांच साल में हुए हादसे
साल मृतकों की संख्या
2015 63
2016 41
2017 38
2018 93
2019 72 चालान का डंडा भी नहीं आता काम
ट्रैफिक नियमों को मनवाने के लिए पुलिस हर साल लाखों की संख्या में चालान काटती है, लेकिन कुछ लोग नियमों को ताक पर रखकर अपनी जान की परवाह किए बगैर ट्रैफिक नियम तोड़ने से गुरेज नहीं करते। स्कूलों में लगाए जाते हैं जागरूकता सेमिनार
एडीसीपी परमिदर सिंह ने बताया कि ट्रैफिक नियमों के बारें जागरूक करने के लिए ट्रैफिक पुलिस का विग स्कूलों और कालेजों में जाकर सेमिनार करता है। यहीं नही आटो रिक्शा, ट्रक चालकों के साथ भी सर्दी से पहले वर्कशाप लगाकर नियमों की जानकारी दी जाती है।