शिव विवाह में आध्यात्मिक संदेश छिपा है : गरिमा भारती
। साध्वी गरिमा भारती जी ने कहा कि भगवान शिव का विवाह में किया अद्भुत श्रृंगार मात्र हमारे मनोरंजन के लिए नहीं है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर
साध्वी गरिमा भारती जी ने कहा कि भगवान शिव का विवाह में किया अद्भुत श्रृंगार मात्र हमारे मनोरंजन के लिए नहीं है। उसमें आध्यात्मिक संदेश छिपा है। हमें इस तन की नश्वरता की और भोलेनाथ के तन पर लगी भस्म संकेत करती है। मानव जीवन के खत्म होने से पहले भगवान शिव को जान लो। गले में पहनी हुई सर्पो की माला हमें प्रभु की भक्ति करते हुए कालजयी होने के लिए संदेश देती है।
गरिमा भारती श्री गोपाल मंदिर में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से करवाई जा रही श्री शिव कथा अमृत में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रवचन कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव के हाथ में पकड़ा हुआ त्रिशूल प्रभु के शाश्वत नाम को जानकर जीवन के तीनो तापों से मुक्त होने का व हाथ में पकड़ा हुआ डमरू अनहद संगीत से जुड़ कर मधुर आनंद लेने का संदेश देता है।
सिर पर सजा जटा जूट में चंद्रमा संकेत है भोले नाथ का वास्तविक स्वरूप प्रकाश है। भगवान शंकर की जटा में बहने वाली गंगा ईश्वर के अमृत स्वरूप की ओर संकेत करता है। भगवान भोलेनाथ के विवाह में बाराती भूत प्रेत पिशाच जिन्हें अपने शरणागत लेने के कारण भगवान भोलेनाथ भूतनाथ कहलाए। पशु जगत की पशु पक्षियों की अपनी ज्ञान खड़ग से हिसक प्रवृत्ति को समाप्त करने के कारण पशुपतिनाथ कहलाए। यह भूत प्रेत पिशाच वास्तव में मानव की निकृष्ट मानसिकता, दूषित सोच, नकारात्मक विचार, अपवित्र भावनाएं ही भूत प्रेत पिशाच हैं जिसके कारण आज मानव एक मानव को ही नहीं, अपितु इस प्रकृति माता का भी अहित कर रहा है।
संतान बनकर जिस प्रकृति माता का दोहन करना था, उसका शोषण करने पर उतारू है। जिस प्रकार भगवान शिव के मस्तक से बहती गंगा ने धरती पर जन्म-जन्म के पाप को धो कर पवित्रता प्रदान की। ठीक इसी प्रकार भगवान शिव का ज्ञान ही केवल मात्र हमारे मन को धोकर पवित्र कर सकता है। साध्वी जी ने कथा का सार बताते हुए कहा कि भगवान शिव की पावन कथा जन-जन को ईश्वर के उस सनातन ज्ञान के साथ जुड़ने का संदेश दे रही है।