कर मुक्त विदेशी व्यापार समझौते के खिलाफ किसान उग्र
16 देशों में हुए समझौते के चलते विदेशों से बिना टैक्स आने वाली वस्तुओं के खिलाफ किसान संघर्ष कमेटी ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
संस, अमृतसर : 16 देशों में हुए समझौते के चलते विदेशों से बिना टैक्स आने वाली वस्तुओं के खिलाफ किसान संघर्ष कमेटी ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। प्रदर्शन के दौरान पदाधिकारियों ने अमृतसर गोल्डन गेट के मुख्य गेट के पास मोदी सरकार का पुतला फूंका। वहीं आधा घंटे तक जीटी रोड को जाम किया। इसके साथ पंजाब सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की गई। कमेटी के प्रधान सरवन सिंह चंदेर की अगुवाई में गोल्डन गेट के पास केंद्र की सरकार के खिलाफ धरना दिया। सरवन सिंह चंदेर ने कहा कि मोदी सरकार 16 देशों के बीच आरसीईपी (रीजनल कम्परेहनसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप) कर मुक्त व्यापार समझौता करने जा रही है। अगर यह लागू हो जाता है तो पंजाब की खेती समाप्त हो जाएगी। बाहर से जितनी भी वस्तुएं आएंगी उन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा जिसमें धान, गेहूं, दूध, फल आदि हैं। उन्होंने कहा कि भारत की खुद की जो पहले मंडी है। उसमें धान व गेहूं का सही मूल्य नहीं मिल रहा, यहां तक कि दूध के भाव भी अच्छे से नहीं मिलते। मांग है कि मोदी सरकार इस समझौते से बाहर आए क्योंकि यह किसानों के हक में नहीं हैं। इस संबंध में आठ सितंबर को बैंकोक में मीटिग हुई थी। 14 व 15 सितंबर को दिल्ली में मीटिग बुलाई गई जिसका मीडिया में कोई जिक्र नहीं किया जा रहा। अब एक नवंबर को थाईलैंड में इसका सेमिनार हो रहा है। अगर आरसीईपी समझौता लागू हो जाता है, तो भारत के पूरे किसान तबाह हो जाएंगे।
तीन को रेल का चक्का जाम
किसान संघर्ष कमेटी के प्रधान सरवन सिंह चंदेर ने कहा कि वह शांतमयी ढंग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके तहत एक व दो अक्टूबर को पंजाब के सभी डीसी दफ्तरों के बाहर शांतिपूर्वक ढंग से प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं तीन अक्टूबर को पंजाब भर में रेल का चक्का जाम किया जाएगा।
भारत में दूध बेचकर अपना संकट हल कर रहा न्यूजीलैंड
किसान संघर्ष कमेटियों के पदाधिकारियों ने कहा कि चाइना के पास धान व ऑस्ट्रेलिया के पास गेहूं बहुत ज्यादा है। न्यूजीलैंड अपने दूध का संकट भारत में इसे बेचकर हल करना चाहता है। जब दूसरे देशों की वस्तुएं भारत में आकर डंप होगी वह भी बिना टैक्स के तो खेती तबाह होगी।
देश में भरपूर अनाज तो विदेशों से मंगवाने की क्या जरूरत
चंदेर ने कहा कि केंद्र सरकार के खुद के आंकड़े हैं कि साढे़ सात लाख करोड़ मीट्रिक टन मोटा अनाज भारत पैदा कर रहा है। फिर दूसरे देशों से अनाज मंगवाने की क्या जरूरत है। यह साफ है कि मोदी सरकार किसानों के हित में फैसला नहीं कर रही।
सभी पार्टियां किसान विरोधी
चंदेर ने कहा कि कैप्टन सरकार के साथ उनकी मीटिग हुई थी जिसमें वादा किया था कि यह समझौता लागू नहीं किया जाएगा। जबकि इस समझौते के बारे में बैठकें की जा रही हैं। वहीं अकाली दल बादल भी इसके बारे में जानते हैं। कांग्रेस को भी पता है, आम आदमी पार्टी भी जानती है, अंदर खाते में सभी लीडर व पार्टियां इसके बारे में जानने के बावजूद खामोश हैं। सभी पार्टियां किसानों के विरोध में हैं।