सिविल अस्पताल में गायनी व स्पेशलिस्ट डॉक्टर आमने-सामने
। सिविल अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी को लेकर गायनी डॉक्टर्स एवं स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स आमने-सामने आ गए हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
सिविल अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी को लेकर गायनी डॉक्टर्स एवं स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स आमने-सामने आ गए हैं। वीरवार को ड्यूटी के मामले में दोनों गुटों में तल्खी भी हुई। दरअसल, गायनी डॉक्टर्स इमरजेंसी ड्यूटी नहीं कर रहीं, जबकि स्पेशलिस्ट डाक्टरों का कहना है कि जब वे इमरजेंसी ड्यूटी कर रहे हैं तो गायनी डॉक्टर इन्कार कैसे कर सकती हैं। हालांकि मामले की जानकारी मिलने पर सिविल सर्जन डॉ. हरदीप सिंह घई सिविल अस्पताल पहुंचे और दोनों पक्षों की बात सुनील।
सिविल अस्पताल में आने वाली यौन शोषण का शिकार महिला एवं पुरुषों का मेडिकल किया जाता है। पूर्व में गायनी डॉक्टर्स द्वारा मेडिकल किया जाता था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने गायनी डॉक्टर्स का यहां से स्थानांतरण कर दिया। इस वजह से सिविल अस्पताल में एक ही गायनी डॉक्टर शेष रह गई। ऐसे में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को मेडिकल करने ड्यूटी पर लगाया गया। अब जबकि सिविल अस्पताल में चार गायनी डॉक्टर आ चुकी हैं, तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स इनसे इमरजेंसी ड्यूटी करने को कह रहे थे। गायनी डॉक्टर्स ने यह कहकर इमरजेंसी ड्यूटी करने से इंकार कर दिया कि उनके पास काम का अत्यधिक बोझ है।
बुधवार को स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने चारों गायनी डॉक्टरों द्वारा पिछले तीन माह में किए गए कार्य का विवरण सिविल सर्जन के सामने रखा। स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स ने कहा कि गायनी डॉक्टर्स दो बजे के बाद अस्पताल से चली जाती हैं। जून माह में इन्होंने दो बजे के बाद महज नौ सिजेरियन किए। जुलाई में एक व अगस्त माह में नौ सिजेरियन किए। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने यह भी कहा कि डिलीवरी का ज्यादा काम तो स्टाफ नर्स करती हैं। ऐसे में गायनी डॉक्टरों पर काम का बोझ कहां है।
स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने यह भी कहा कि पंजाब के सभी सिविल अस्पतालों में गायनी डॉक्टर ही दुष्कर्म का शिकार महिलाओं का मेडिकल करती हैं। सिर्फ अमृतसर की गायनी डॉक्टर इससे इन्कार कर रही हैं। हमने उस वक्त इसलिए मेडिकल ड्यूटी की, क्योंकि अस्पताल में एक ही गायनी डॉक्टर थी। अब चार-चार हैं, तो फिर इन्हें ड्यूटी करनी ही चाहिए। गायनी डॉक्टर्स दस मिनट में दुष्कर्म की रिपोर्ट तैयार कर सकती हैं, क्योंकि वह इस विषय की माहिर हैं, जबकि स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं, इसलिए रिपोर्ट तैयार करने में काफी वक्त लगता है। हम मरीजों की जांच के साथ-साथ कोर्ट केस भी देखते हैं। इमरजेंसी ड्यूटी के साथ-साथ पोस्टमार्टम भी करते हैं। इसके अलावा हैंडीकैप सर्टिफिकेट, जॉब सर्टिफिकेट, मेडिको लीगल वर्क, मेडिकल कैंप इत्यादि लगाते हैं। गायनी डॉक्टरों के पास ये सब काम नहीं हैं। ये सिर्फ गर्भवती महिलाओं के सिजेरियन करती है, नॉर्मल डिलीवरी तो स्टाफ नर्स से करवाई जाती है।
इसी बीच, गायनी डॉक्टरों ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि वह ऑन कॉल अस्पताल में उपलब्ध हो जाती हैं। किसी भी गर्भवती महिला की रात के समय डिलीवरी होती है तो हमें आना पड़ता है।
सिविल सर्जन डॉ. हरदीप सिंह घई ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद गायनी डॉक्टर्स से कहा कि आप अपनी ड्यूटी इवनिग, मॉर्निंग और नाइट में करें। चारों गायनी डॉक्टर यदि इस सिस्टम से चलेंगी तो किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। जिस समय रेप केस आएगा, गायनी डॉक्टर उपलब्ध होगी और वह पीड़िता की जांच कर सकेगी।