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पहले बाप पीता था फिर लड़के के साथ बहू भी बन गई चिट्टे की आदी

खेमकरण से चार किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव के एक किसान के घर में हर तरह की सुख सुविधा थी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 01:07 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 01:07 AM (IST)
पहले बाप पीता था फिर लड़के के साथ बहू भी बन गई चिट्टे की आदी
पहले बाप पीता था फिर लड़के के साथ बहू भी बन गई चिट्टे की आदी

जागरण संवाददाता, तरनतारन : खेमकरण से चार किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव के एक किसान के घर में हर तरह की सुख सुविधा थी। वह कंबाइन पर रहता था। मालवा क्षेत्र में चार वर्ष पहले जब वह गेहूं की कटाई के लिए गया तो वापस आते समय चिट्टे की सौगात ले आया।

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यह बात उसके लड़के ने बताई। उसने कहा कि धीरे-धीरे उसका पिता पिता हेरोइन (चिट्टा) का पक्का आदी बन गया। घर की कमाई नशे में उजड़ने लगी। आठ एकड़ जमीन का बडे़ भाई के साथ बंटवारा हो गया। बाकी बची जमीन में से ढाई एकड़ जमीन गिरवी रख कर नशा करता रहा। पिता का देखकर वह भी नशा का आदी हो गया। आर्थिक मंदहाली के कारण मोटरसाइकिल से लेकर कंबाइन तक बिक गई। उक्त लड़के ने बताया कि 2016 में उसने चंडीगढ़ निवासी युवती से प्रेम विवाह किया। एक दिन उसकी पत्नी ने हेरोइन का कश लगाते देख लिया। वह कही अपने मायके को खबर न कर दे। इसके लिए उसने अपनी पत्नी को भी हेरोइन का ऐसा आदी बनाया। दोनों पति पत्नी नशे में चूर रहने लगे। घर के बर्तन बिकने की बारी आई तो उसकी मां ने बेदखल कर दिया। अब उसका और उसकी पत्‍‌नी का सिविल अस्पताल से इलाज चल रहा है। अस्पताल में इलाज लिए आए उक्त युवक ने बताया कि चार वर्ष के दौरान घर की बर्बादी अपने हाथों से करता रहा। अब वह नशा छोड़ कर अपनी जिंदगी की जिम्मेदारी निभाना चाहता है।

नशा करने वाले हाथ अब पेंटिंग पर

नशा छोड़ाओ केंद्र में दाखिल होकर पिता और पुत्र पेंटिंग बनाने लगा है। उनका कहना है कि पेंटिंग के माध्यम से वह अपने इलाके के युवाओं को नशे खिलाफ जागरूक करेंगे। पुत्रवधू सप्ताह में एक बार यहां आ रही है। पहले से कुछ राहत महसूस होते देख अब उसका मनोबल बढ़ रहा है।

नशा छोड़ने की बढ़ रही है हिम्मत

मनोरोचिकित्सक डॉ. सुमनजीत कौर कहती है कि नशे ने बहुत सारे घर बर्बाद किए है। अब लोग नशा छोड़ने की हिम्मत करने लगे हैं। नशा छोड़ने के लिए इरादा बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि नशे में फंसे लोगों की कौंसलिंग करके उनको दाखिल किया जाता है। दवाइयों के माध्यम से इलाज तो होता है साथ ही सेहत को तंदुरुस्त रखने व समाज भलाई कार्यो से भी जोड़ने की कवायद की जाती है।


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