टीबी की दवा, अस्पतालों से 'हवा'
नितिन धीमान, अमृतसर : हर साल टीबी के मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित ढंग से इजाफा हो रहा है। केवल इ
नितिन धीमान, अमृतसर : हर साल टीबी के मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित ढंग से इजाफा हो रहा है। केवल इजाफा नहीं, मौतों का आंकड़ा भी चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुका है। टीबी मरीजों को चिकित्सा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने आधा दर्जन प्रोजेक्ट क्रियान्वित किए हैं। इसके विपरीत स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी की दवा उपलब्ध नहीं है। दरअसल, टीबी से ग्रसित मरीज के बच्चों को एहतियात के तौर पर दी जाने वाली आइसोनाइसिड सोलोनेक्स-100 दवाएं किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में नहीं मिल रही।
देश भर में टीबी के विकराल रूप को देखते हुए सरकार ने मरीजों को निशुल्क दवा वितरण का क्रम शुरू किया है। अक्षय प्रोजेक्ट को क्रियान्वित कर लोगों को इस रोग की भयावहता एवं बचाव के विषय में जानकारी भी दी जाने लगी। इन सबके बावजूद स्वास्थ्य केंद्रों में समय पर दवाएं नहीं पहुंच रहीं। वर्तमान में आइसोनाइसिड सोलोनेक्स-100 दवा का स्टॉक खत्म है। यह दवा चंडीगढ़ से जिलों में आपूर्ति के लिए भेजी जाती है। टीबी के वायरस की जकड़ में फंसी महिलाओं के 6 साल से कम आयु के बच्चों को एहतियात के तौर पर यह दवा खिलाई जाती है। चूंकि बच्चे हर पल मां के साथ रहते हैं, इसलिए जाहिर सी बात है कि टीबी वायरस का संक्रमण उनके शरीर में प्रविष्ट हो सकता है। पिछले कुछ महीनों से सरकारी अस्पतालों में दवा का स्टॉक नहीं पहुंचा। जिले के सबसे बड़े सिविल अस्पताल में भी दवा उपलब्ध नहीं है। पुतलीघर निवासी सुखदेव सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी को टीबी है। वह टीबी अस्पताल से इलाज करवा रहे हैं। डॉक्टर ने बताया था कि बच्चों को भी दवा खिला दो। सिविल अस्पताल में दवा लेने पहुंचा तो बताया गया कि यहां दवा नहीं है।
पूरे स्टेट में नहीं है दवा : नरेश चावला
जिला टीबी अधिकारी डॉ. नरेश चावला कहते हैं कि आइसोनाइसिड सोलोनेक्स-100 दवा पूरे राज्य में उपलब्ध नहीं हैं। फिलहाल उन्होंने अपने स्तर पर इसकी खरीद की है। कई स्वास्थ्य केंद्रों में कुछ दवाएं भेजी गई हैं। जैसे ही चंडीगढ़ से दवाओं की आपूर्ति शुरू होगी, सरकारी अस्पतालों में भी भेज दी जाएंगी।
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टीबी के लक्षण
तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी
- शाम को बढ़ने वाला बुखार
- छाती में दर्द
- वजन का घटना
- भूख में कमी
- बलगम के साथ खून आना
बचाव
- बच्चे के जन्म के एक माह में ही बीसीजी का इंजेक्शन लगवाएं
- रोगी खांसते व छींकते वक्त मुंह पर रूमाल रखें
- जगह-जगह थूकें नहीं।
- नियमित रूप से जांच करवाते रहें।