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Zero Tolerance on Corruption: भ्रष्टाचार तथा शिथिलता पर CM योगी आदित्यनाथ बेहद सख्त, VRS के साथ निलंबन व डिमोशन

Zero Tolerance on Corruptionसीएम योगी आदित्यनाथ ने कमाऊ माने जाने वाले 13 विभागों को रडार पर रखा और जो भ्रष्टाचार या फिर अनुशासनहीनता में लिप्त मिला उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 05:35 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 06:12 PM (IST)
Zero Tolerance on Corruption: भ्रष्टाचार तथा शिथिलता पर CM योगी आदित्यनाथ बेहद सख्त, VRS के साथ निलंबन व डिमोशन
Zero Tolerance on Corruption: भ्रष्टाचार तथा शिथिलता पर CM योगी आदित्यनाथ बेहद सख्त, VRS के साथ निलंबन व डिमोशन

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ प्रदेश में भ्रष्टाचार तथा भ्रष्टाचारी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं। कार्यकाल के करीब साढ़े तीन वर्ष में सीएम योगी आदित्यनाथ ने हर विभाग को देखा और परखा। इसके बाद भ्रष्टाचारी को सख्त से सख्त सजा दी।

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सीएम योगी आदित्यनाथ ने कमाऊ माने जाने वाले 13 विभागों को रडार पर रखा और जो भी भ्रष्टाचार या फिर अनुशासनहीनता में लिप्त मिला उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। इनको या तो वीआरएस दिया गया या फिर निलंबन और बर्खास्तगी झेलनी पड़ी। प्रदेश में बीते साढ़े तीन वर्ष में भ्रष्टाचार में लिप्त मिले 325 अफसर व कर्मियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। इसके अलावा भ्रष्ट लोगों पर निलम्बन और डिमोशन की कार्रवाई की गई है।

प्रदेश में बीते तीन दिन में दो आइपीएस अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संकेत दिया है कि उनके साढ़े तीन वर्ष वाले तेवर अभी भी वैसे ही है। योगी आदित्यनाथ ने मार्च, 2017 को यूपी की सत्ता संभालते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को सरकारी की नीति घोषित की थी। इसके तहत प्रदेश में पहली बार भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने की नीति पर अमल करना शुरू किया गया। साढ़े तीन वर्षों में भ्रष्टाचार में लिप्त अलग-अलग विभागों के 325 अफसर व कर्मियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। इसके साथ 450 अधिकारियों और कर्मचारियों पर निलंबन और डिमोशन की कार्रवाई की गई है। बीते वर्ष नवंबर में योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के सात अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त थी।

भ्रष्ट अफसरों की पहचान के लिए बनी विभागीय स्क्रीनिंग कमेटी ने भ्रष्टाचार और अक्षमता के आरोपों के आधार पर इन अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की संस्तुति की थी।यूपी में यह पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में एक साथ पुलिस अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया हो। सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रान्तीय सेवा संवर्ग के सात पुलिस उपाधीक्षकों (जिनकी उम्र 31-03-2019 को 50 वर्ष अथवा इससे अधिक थी) को अनिवार्य सेवानिवृत्त दी गई थी। इन अफसरों के खिलाफ लघु दंड, वृहद दंड, अर्थदंड, परिनिन्दा, सत्यनिष्ठा अप्रमाणित करने वेतनवृद्धि रोके जाने और वेतनमान निम्न स्तर पर किए जाने जैसी कार्रवाई पहले हो चुकी थी। इसके साथ ही इन अफसरों की उम्र 31 मार्च 2019 को 50 वर्ष या इससे अधिक हो चुकी थी।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कमाऊ माने जाने वाले ऊर्जा विभाग के 169, गृह विभाग के 51, परिवहन विभाग के 37, राजस्व विभाग के 36, बेसिक शिक्षा विभाग के 26, पंचायती राज विभाग के 25, पीडब्ल्यूडी के 18, श्रम विभाग 16, संस्थागत वित्त विभाग के 16, कॉमर्शियल टैक्स विभाग व मनोरंजन कर विभाग के 16-16, ग्राम्य विकास विभाग 15 और वन विभाग के 11 अधिकारी/कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई है।

दो दिन में दो आइपीएस अधिकारी निलंबित

महोबा के कबरई कस्बा के जवाहरनगर निवासी क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने सात सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए एक वीडियो जारी किया। इंद्रकांत ने कहा कि व्यवसाय में उनके साझेदार बालकृष्ण द्विवेदी को महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार ने बुलाकर छह लाख प्रतिमाह देने को निर्देश दिया। हर महीने धन न देने पर अनेक मुकदमे लगाने और हत्या की धमकी दी गई। जून और जुलाई में एसपी महोबा को छह-छह लाख रुपए दिए गए। इसके बाद में कारोबार में घाटा होने से एसपी को और पैसा दे पाने में असमर्थता जताई। इसके बाद भी रुपए देने का दबाव डाला जा रहा है। महोबा के पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ इंद्रकांत त्रिपाठी का वीडियो वायरल होने के बाद खलबली मच गई और वीडियो वायरल होने के अगले ही दिन अज्ञात लोगों ने इंद्रकात पर फायर झोंक दिया। गोली उनकी गर्दन पर लगी।

यह मामला जानकारी में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह विभाग से जांच कराने के बाद मामला सही मिलने पर 2014 बैच के आइपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार को निलंबित कर दिया। पाटीदार को पहली बार किसी जिले का चार्ज मिला था। पाटीदार का निलंबित करने से 24 घंटे पहले प्रयागराज में एसएसपी अभिषेक दीक्षित को भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथï ने निलंबित किया था। इतना ही नहीं दोनों की संपत्ति की जांच विजिलेंस विभाग से करने का निर्देश दिया है। अभिषेक दीक्षित प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) पद पर सिर्फ 84 दिन की सेवा दे सके। तमिलनाडु कैडर के आइपीएस अभिषेक दीक्षित प्रतिनियुक्ति पर प्रदेश में हैं। एक पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने ट्वीट कर प्रयागराज पुलिस के अधिकारियों पर माफिया से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए सवाल उठाए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह विभाग की जांच के आधार पर अभिषेक को 8 सितंबर को निलंबित कर दिया। 

गोवध में हुईं NSA की आधी से अधिक गिरफ्तारियां

19 अगस्त 2020 तक पुलिस ने 139 लोगों के खिलाफ एनएसए लगाया है जिनमें 76 गोवध से जुड़े हैं। 31 अगस्त तक अकेले बरेली जोन में इस मामले में 44 मामले दर्ज किए गए। इससे विपरीत पुलिस ने महिला और बच्चों के खिलाफ अपराध में 6 लोगों पर केस दर्ज किया। 2020 में अब तक 37 लोगों के खिलाफ जघन्य अपराध और 20 के खिलाफ अन्य आरोपों में एनएसए लगाया गया है। उत्तर प्रदेश में कई लोगों के खिलाफ गोवध के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए, रासुका) लगाए गए हैं। बहराइच के एक शख्स के खिलाफ 6 सितंबर को गोवध में एनएसए लगाया गया। सरकार ने गोवध के खिलाफ कड़े कानून बनाए हैं जिसमें एनएसए के तहत कार्रवाई हो रही है। एनएसए के आधे से ज्यादा केस कथित तौर पर गोवध से जुड़े हैं। एनएसएस के तहत बिना किसी आरोप के किसी व्यक्ति को 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। ऐसा तब होता है जब प्रशासन को लगता है कि उक्त व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून-व्यवस्था के खिलाफ खतरा पैदा कर सकता है।


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