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यूपी में संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश लागू, ट्रिब्यूनल के जरिये उपद्रवियों से होगी वसूली की कार्रवाई

यूपी की योगी सरकार ने यूपी रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश में संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए संपत्ति क्षय दावा अधिकरणों का गठन करेगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 09:57 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 08:02 AM (IST)
यूपी में संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश लागू, ट्रिब्यूनल के जरिये उपद्रवियों से होगी वसूली की कार्रवाई

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हिंसा फैलाने के आरोपितों से संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है। राजनीतिक जुलूसों, विरोध प्रदर्शनों, आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति वसूलने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संपत्ति क्षय दावा अधिकरणों (Property Damage Claims Tribunals) का गठन करेगी।

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दावा अधिकरण को सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त होंगी और वह उसी रूप में काम करेगा। उसका फैसला अंतिम होगा और उसके खिलाफ किसी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकेगी। क्षतिपूर्ति पाने के लिए संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटना के तीन माह के अंदर दावा अधिकरण के समक्ष आवेदन करना होगा। आवेदन में 30 दिन के विलंब को अधिकरण माफ कर सकता है, यदि आवेदक इसकी वाजिब वजह बताता है। 

हड़ताल, बंद, दंगों और लोक उपद्रव के कारण सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई कराने के लिए बनाया गया 'उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020' रविवार को लागू हो गया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के बाद यह अध्यादेश सरकारी गजट में अधिसूचित हो गया। अध्यादेश को लागू करने के लिए सरकार नियमावली बना सकती है।

क्षतिपूर्ति के लिए तीन माह में करना होगा आवेदन

अध्यादेश के मुताबिक संपत्ति को नुकसान की एफआईआर पर आधारित संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट और इस दौरान एकत्र की गई अन्य सूचनाएं प्राप्त होने पर डीएम या पुलिस कमिश्नर या कार्यालय प्रमुख को लोक संपत्ति को क्षति पहुंचाये जाने की तारीख से तीन माह के अंदर अधिकरण के समक्ष दावा याचिका दाखिल करने के लिए कदम उठाना होगा। वहीं क्षतिग्रस्त हुई निजी संपत्ति के मालिक को संबंधित थानाध्यक्ष या थाना प्रभारी से ऐसी रिपोर्ट की प्रति हासिल करने के बाद अपनी दावा याचिका तीन माह के अंदर दाखिल करनी होगी।

दावा याचिका के साथ लगेगी 25 रुपये की स्टांप फीस

मुआवजे के लिए दाखिल किये जाने वाले आवेदन/दावा याचिका के साथ न्यायालय फीस स्टांप के रूप में 25 रुपये की फीस लगेगी। मुआवजे से भिन्न सभी आवेदन 50 रुपये के न्यायालयीय फीस स्टांप के साथ स्टांपित होंगे। समन किये गए प्रत्येक साक्षी या पक्षकार के लिए 100 रुपये की प्रक्रिया फीस न्यायालयीय फीस स्टांप के रूप में होगी। दावा याचिका में संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले या इसके लिए उकसाने वाले, पुलिस की रिपोर्ट में नामित लोग, विरोध प्रदर्शन को प्रायोजित करने वालों को प्रतिवादियों के तौर पर शामिल किया जा सकता है। 

एकपक्षीय कार्रवाई भी

अधिकरण प्रतिवादियों को आवेदन की प्रति के साथ आवेदन पर सुनवाई करने की तारीख की नोटिस भेजेगा। प्रतिवादी पहली सुनवाई या उससे पहले या नोटिस तामील किये जाने की तारीख से 30 दिनों तक दावा की गईं क्षतियों के बारे में लिखित विवरण देना होगा। यदि प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुआ तो अधिकरण उसके खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई करेगा। पक्षकार के आवेदन या अन्य वाजिब कारणों से अधिकरण समय-समय पर सुनवाई स्थगित कर सकता है। किसी भी स्थिति में एक पक्षकार को तीन महीने से ज्यादा का स्थगन नहीं दिया जाएगा।

भू-राजस्व के बकाये की तरह होगी वसूली

दावा अधिकरण ऐसे प्रतिवादी की संपत्ति को कुर्क कर लेगा। साथ ही, प्राधिकारियों को निर्देश देगा कि वह प्रतिवादी की संपत्ति नहीं खरीदने के बारे में सार्वजनिक रूप से बड़े पैमाने पर चेतावनी जारी करें और इसके साथ उसका नाम, पता व फोटोग्राफ प्रकाशित करें। अधिकरण क्षतिपूर्ति की धनराशि के लिए कलेक्टर को प्रमाणपत्र जारी कर सकता है। कलेक्टर उसकी वसूली भू-राजस्व के बकाये की तरह करेगा। अधिकरण अनुकरणीय क्षति के तौर पर मुआवजे की दोगुनी धनराशि भी वसूलने का आदेश दे सकता है।

दावा आयुक्त और सर्वेयर की तैनाती का अधिकार

अधिकरण जांच और नुकसान के आकलन के लिए दावा आयुक्त की तैनाती कर सकता है। दावा आयुक्त अपर जिला मजिस्ट्रेट स्तर से निचले स्तर का अधिकारी नहीं होगा। अधिकरण दावा आयुक्त की मदद के लिए प्रत्येक जिले में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पैनल से एक-एक सर्वेयर भी नियुक्त कर सकता है, जो नुकसान के आकलन में तकनीकी विशेषज्ञ की भूमिका निभाएगा। दावा आयुक्त तीन महीने या बढ़ाई गई अवधि के भीतर अधिकरण को रिपोर्ट सौंपेगा। अधिकरण पक्षकारों की सुनवाई के बाद दायित्व तय करेगा।

जहां दो सदस्य, वहां रिटायर्ड जिला जज होगा अध्यक्ष

दावा अधिकरण में सदस्यों की संख्या राज्य सरकार जैसा उचित समझे, उतनी होगी। जहां दो या दो से अधिक सदस्य हों, वहां उनमें एक सदस्य की नियुक्ति अध्यक्ष के रूप में की जाएगी। अधिकरण का अध्यक्ष रिटायर्ड जिला जज और सदस्य अपर आयुक्त स्तर का अधिकारी होगा। किसी क्षेत्र के लिए दो या उससे अधिक अधिकरण गठित किए जाने पर वहां राज्य सरकार उनके बीच कार्य आवंटन कर सकती है।

कैबिनेट में पास हुआ है अध्यादेश

लखनऊ में 19 दिसंबर, 2019 को सीएए के विरोध के दौरान जमकर बवाल हुआ था। राज्य सरकार ने हिंसा के आरोप में दर्जनों लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था। 57 लोगों को नोटिस भेजकर निजी और सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया गया था। इन सभी की तस्‍वीरों वाला पोस्‍टर शहर में जगह-जगह लखनऊ जिला प्रशासन और पुलिस ने लगवाए थे। यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इसके बाद योगी सरकार ने विरोध प्रदर्शनों, जुलूसों व ऐसे अन्य आयोजनों के दौरान सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को क्षति पहुंचाने वाले लोगों से नुकसान की भरपाई के अध्यादेश को शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में रखा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश, 2020 के ड्राफ्ट को मंजूरी दी।


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