Article 370: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक का विरोध करेंगीः ममता बनर्जी
Article 370. पश्चिम बंगाल की सीएम व टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि मुझे फारूक अब्दुल्ला उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मोदी सरकार के फैसले के 24 घंटे बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस पर नपा-तुला बयान देते हुए कहा कि केंद्र को इस तरह का कदम उठाने से पहले सभी राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा करना चाहिए था। ममता ने कहा कि उन्हें धारा 370 को निरस्त करने के प्रस्ताव पर आपत्ति नहीं है लेकिन इसकी पद्धति से वे सहमत नहीं हैं। उन्होंने हालांकि साफ शब्दों में यह जरूर कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक का कड़ा विरोध करेगी, जिसके तहत राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का प्रस्ताव है।
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की प्रतिमा का अनावरण करने मंगलवार को चेन्नई रवाना होने से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मीडिया से बातचीत में ममता ने कहा-'कल से जो हो रहा है, उस पर मैं भी देश की आम नागरिक की तरह नजर रख रही हूं। केंद्र सरकार सभी राजनीतिक दलों और कश्मीरियों से सलाह-मशविरा कर यह निर्णय ले सकती थी। कश्मीर मुद्दे को लेकर कोई वोटिंग या चर्चा भी नहीं की गई। यह लोकतांत्रिक तरीका नहीं है। हम इसका समर्थन नहीं करते। स्थायी समाधान के लिए सबको साथ लेकर चलना चाहिए। कश्मीर के निवासी हमारे भाई-बहन हैं।
ममता ने आगे कहा-'मुझे जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं केंद्र सरकार से अपील करूंगी कि उन्हें अलग-थलग नहीं करना चाहिए। वे 'आतंकी' नहीं हैं। उन्हें लोकतांत्रिक संस्थाओं के हित में तुरंत रिहा कर देना चाहिए।'
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठित करने और उसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का प्रस्ताव संबंधी संकल्प पेश किया था। सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। इस फैसले का बसपा, आप जैसी पार्टियों ने समर्थन किया, जबकि तृणमूल ने सोमवार को ही विरोध जता दिया था, हालांकि हर मोर्चे पर केंद्र सरकार की खिलाफत करने वाली ममता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। उनकी चुप्पी पर सवाल उठ रहे थे।
इससे पहले राज्यसभा में तृणमूल सांसदों ने बिल पर वोटिंग के दौरान वॉकआउट किया था। ममता ने कहा-हम बिल का समर्थन नहीं कर सकते। हम इस बिल के लिए वोट नहीं कर सकते थे, इसलिए वाकआउट किया। वॉकआउट का मतलब यह नहीं हैं कि हम इस बिल का समर्थन कर रहे हैं।
बंगाल की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप