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2021 चुनाव से पहले ममता ने पार्टी संगठन में किया बड़ा फेरबदल, छत्रधर महतो राज्य कमेटी में

बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार को पार्टी संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने की घोषणा की।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 08:47 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 08:47 PM (IST)
2021 चुनाव से पहले ममता ने पार्टी संगठन में किया बड़ा फेरबदल, छत्रधर महतो राज्य कमेटी में

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार को पार्टी संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने की घोषणा की। उन्होंने 21 सदस्यों की एक नई प्रदेश कोऑर्डिनेशन कमेटी और सात सदस्यीय एक कोर कमेटी गठित करने के साथ कई जिलों के पार्टी जिलाध्यक्षों को हटाकर  युवा और नये चेहरों को जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि ममता ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान नए नामों का ऐलान किया।

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सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तृणमूल की 40 सदस्यीय नई राज्य कमेटी में कथित तौर पर माओवादी नेता व बहुचर्चित लालगढ़ आंदोलन के अगुआ रहे छत्रधर महतो को भी शामिल किया गया है। जंगलमहल क्षेत्र में नक्सल आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे महतो 10 वर्षों तक जेल की सजा काटने के बाद इसी साल फरवरी में रिहा हुए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के काफिले पर शालबनी में हुए माओवादी हमले के आरोप में 2009 में महतो को गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ यूएपीए जैसी संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। ज्ञानेश्वरी ट्रेन दुर्घटना में भी उनका नाम आया था जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। वे माओवादियों के प्रमुख संगठन पुलिस संत्रास विरोधी जनसाधारण कमेटी के भी प्रमुख रहे हैं। माना जा रहा है कि जंगलमहल इलाके में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तृणमूल ने उन्हें राज्य कमेटी में बतौर सचिव शामिल किया है।

जंगलमहल इलाके में महतो की अच्छी पैठ मानी जाती है। दरअसल इस इलाके में पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने मजबूत स्थिति दर्ज कराई है और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां की अधिकतर सीटें जीत दर्ज की थी। भाजपा की इसी चुनौती से पार पाने के लिए छत्रधर को सामने लाना बड़ा कदम है। बताते चलें कि छत्रधर के साथ ममता की नजदीकी कोई नई बात नहीं है। 2019 में गिरफ्तारी से पहले जंगलमहल इलाके में छत्रधर के साथ ममता बाइक पर बैठकर चुनाव प्रचार करते हुए भी देखी गई थी। वहीं, जेल से रिहा होने के बाद छत्रधर ने कहा था कि वह ममता बनर्जी पर विश्वास रखकर आगे की लड़ाई जारी रखेंगे। राज्य कमेटी में कुछ और नए चेहरों को जगह दी गई है जिनमें छत्रधर के अलावा जंगलमहल क्षेत्र के कुछ और नेता शामिल हैं।

हावड़ा में अरूप राय को हटाकर लक्ष्मी रतन शुक्ला को जिम्मेदारी 

इसके अलावा  हावड़ा, कूचबिहार, पुरूलिया, नदिया, झाड़ग्राम और दक्षिण दिनाजपुर सहित कई जिलों में पार्टी अध्यक्षों को हटाकर नये एवं युवा चेहरों को मौका दिया गया है। इनमें हावड़ा सदर में पिछले कई वर्षों से जिला अध्यक्ष पद पर काबिज वरिष्ठ नेता व मंत्री अरूप राय को हटाकर उनके स्थान पर पूर्व क्रिकेटर व खेल राज्य मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। शुक्ला हिंदी भाषी चेहरे हैं और इसके जरिए हिंदी भाषी वोटरों को साधने की कोशिश की है।

वहीं, नदिया जिले की जिम्मेदारी तृणमूल सांसद व तेजतर्रार युवा नेता महुआ मोइत्रा को दी गई है। दक्षिण दिनाजपुर जिला अध्यक्ष के पद से राज्यसभा सदस्य अर्पिता घोष को हटा कर गौतम दास को जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह बांकुरा में श्यामल संतरा, पुरुलिया में गुरुपद टूडू, कूचबिहार में पार्थ प्रतिम राय, झारग्राम में दुलाल मुर्मू को अध्यक्ष बनाया गया है।

इसके अलावा तृणमूल युवा कांग्रेस की भी नई कमेटी की घोषणा की गई है। गौरतलब है कि एंटी इनकंबेंसी को दबाने व स्वच्छ छवि वाले चेहरे को सामने लाकर तृणमूल ने विधानसभा चुनाव से पहले यह दांव चला है। दरअसल, कट मनी, सिंडिकेट, एम्फन राहत वितरण में भ्रष्टाचार आदि को लेकर तृणमूल विपक्षी दलों के निशाने पर है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व ने कुछ वरिष्ठ चेहरों को बदलकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


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