हरियाणा और दिल्ली के बीच गर्माया जल विवाद, मनोहर सरकार ने पानी के बदले मांगा 100 करोड़
हरियाणा और दिल्ली के बीच जल विवाद फिर गर्माएगा। हरियाणा सरकार ने दिल्ली को दिए जा रहे अतिरिक्त पानी की कीमत मांगी है। हरियाणा के सीएम मनोहरलाल ने दिल्ली पर निशाना साधा।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा और दिल्ली के बीच गर्मी के बीच फिर जल विवाद गर्माने वाला है। जल संकट से जूझ रहा हरियाणा खुद प्यासा रहकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रह रहे मंत्रियों, नेताओं और आम लोगों की प्यास बुझा रहा है। हरियाणा का कहना है कि वह दिल्ली को समझौते से अधिक पानी दे रहा है, लेकिन वह इसकी कीमत नहीं चुका रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने दिल्ली को तुरंत इ पानी का बकाया चुकाने को कहा है।
हरियाणा ने अतिरिक्त पानी की कीमत मांगी, मनोहरलाल ने दिल्ली सरकार के बारे में कह दी ऐसी बात
विभिन्न राज्यों के बीच हुए समझौते के तहत हरियाणा को सिर्फ 719 क्यूसिक पानी दिल्ली भेजना है। लेकिन, दिल्ली की जरूरत को महसूस करते हुए हरियाणा की ओर से 1049 क्यूसिक पानी दिल्ली भेजा जा रहा है। 330 क्यूसिक पानी अधिक देने के बावजूद दिल्ली सरकार 1995 से हरियाणा के पानी का भुगतान नहीं कर रही।
यह राशि 120 करोड़ रुपये के आसपास थी। हरियाणा सरकार द्वारा लगातार पत्र व्यवहार करने के बाद 20 करोड़ रुपये की राशि का भुगतानकर दिया गया, लेकिन 100 करोड़ रुपये की राशि अभी भी बची हुई है। दोनों राज्यों के बीच हुए पत्र व्यवहार के बाद भी दिल्ली ने 100 करोड़ रुपये की इस राशि का भुगतान नहीं किया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि शायद अब दिल्ली सरकार को शर्म आ जाए।
दिल्ली को 1995 से 330 क्यूसिक अधिक पानी दे रहा हरियाणा, पानी की कीमत के 100 करोड़ रुपये बकाया
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा किसी तरह के जल युद्ध में भरोसा नहीं करता। उसका जोर जल प्रबंधन पर है। एयसवाई नहर की ओर संकेत करते हुए सीएम ने इनेलो पर कटाक्ष किया। सीएम ने कहा कि धरती में कुदाल मारने से यदि पानी मिल गया होता तो हम कभी के पानी ले लिए होते। हरियाणा को न्यायपालिका पर भरोसा है। एसवाईएल नहर निर्माण की कानूनी प्रक्रिया जल्द पूरी होने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलने लगेगा। इसके लिए राज्य सरकार लगातार गंभीर पैरवी कर रही है।
मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यमुना नदी पर पानीपत के पास बांध बनाने की संभावनाएं तलाशी गई थी, लेकिन इसकी व्यवहारिता (फिजिबल्टी) नहीं पाई गई। इसके बाद हथनीकुंड बैराज से पहले रेणुका, लखवार और किसाऊ बांध बनाने की प्रक्रिया आरंभ की गई। इन तीनों बांध के बनने के बाद पहाड़ों का फालतू पानी इनमें रोका जा सकेगा। इससे हरियाणा में पानी की तीन से चार माह की जरूरत पूरी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में इस बार बरसात अच्छी हुई है, जिस कारण भाखड़ा नहर में जल स्तर 150 फीट तक ज्यादा है।
हरियाणा के 22 जिलों में हो चुका 74 फीसदी जल दोहन
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कम होते जा रहे भूजल स्तर पर आंकड़ों के जरिये चिंता जाहिर की। मुख्यमंत्री ने बताया कि 22 जिलों में 9504 मिलियन क्यूबिक पानी धरातल के नीचे में था। इसमें से 7081 मिलियन क्यूबिक पानी निकाला जा चुका है। यानी 74 प्रतिशत पानी की निकासी हो चुकी है। उन्होंने जल ही जीवन है का नारा देते हुए प्रदेश के लोगों खासकर किसानों से पानी की बचत का आह्वान किया है। इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियां अमल में लानी होंगी।
हरियाणा में हरियाली बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चों का सहयोग
हरियाणा में वन क्षेत्र खासकर हरियाली बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चों की मदद ली जाएगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जानकारी दी कि पिछले साल 20 लाख पौधे स्कूली बच्चों द्वारा रोपित कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन राज्य में 24 लाख पौधे रोपित किए गए। इस बार भी इतने ही पौधे रोपित कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन पौधों की देखभाल के लिए बच्चों और उनके अभिभावकों को प्रेरित करने के लिए स्कूल स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
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