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UPTET 2019 : आपत्ति शुल्क पर राहत...प्रश्नों पर विवाद बरकरार, इलाहाबद हाई कोर्ट में चुनौती

UPTET 2019 परीक्षा संस्था ने जिन प्रश्नों पर मिली आपत्तियों को खारिज कर दिया था उनमें से कुछ सवालों के जवाब को इलाहाबद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 10:24 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 10:25 PM (IST)
UPTET 2019 : आपत्ति शुल्क पर राहत...प्रश्नों पर विवाद बरकरार, इलाहाबद हाई कोर्ट में चुनौती

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी)-2019 का परिणाम आने के बाद भी विवादों से इसका पीछा नहीं छूट रहा है। परीक्षा संस्था ने जिन प्रश्नों पर मिली आपत्तियों को खारिज कर दिया था, उनमें से कुछ सवालों के जवाब को इलाहाबद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। जल्द ही इस प्रकरण की आगे की सुनवाई होगी, क्योंकि कोर्ट ने तीन दिन में ही जवाब मांगा है।

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यूपीटीईटी कराने वाले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय उप्र ने गुरुवार शाम को ही परिणाम घोषित किया है। उसी के साथ हाई कोर्ट ने उत्तरकुंजी आने के बाद प्रश्नों के जवाब पर आपत्तियां लेने में शुल्क लिए जाने के प्रकरण को खारिज कर दिया। इससे परीक्षा संस्था को बड़ी राहत मिली। ज्ञात हो कि परीक्षा संस्था ने पहली बार प्रति प्रश्न पांच सौ रुपये आपत्ति करने का शुल्क लिया था। परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी प्राथमिक स्तर के इम्तिहान में पूछे गए 14 सवालों के जवाब गलत होने का दावा कर रहे थे। उनमें से दो प्रश्नों में दो-दो उत्तर विकल्प परीक्षा संस्था ने घोषित किया। इसके बाद भी 12 सवालों पर विवाद था।

अभ्यर्थियों ने उन 12 सवालों में से सिर्फ पांच प्रश्नों के जवाब को ही कोर्ट में चुनौती दी है। अभ्यर्थियों का तर्क है कि उन्होंने यह जवाब सरकार की ओर से अधिकृत प्रकाशकों की किताबों में पढ़ा है। कोर्ट ने परीक्षा संस्था से तीन दिन में जवाब मांगा है। ऐसे में अभी परिणाम में उलटफेर हो सकता है।

2018 में तीन प्रश्नों पर मिले थे अंक

यूपीटीईटी-2018 का परिणाम चार दिसंबर को जारी होने के बाद अभ्यर्थियों ने प्रश्नों को कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने तीन प्रश्नों में सभी को समान अंक देने का निर्देश दिया था, जिस पर संशोधित रिजल्ट में करीब 19 हजार अभ्यर्थी और सफल हो गए थे। इस बार परिणाम बदलने को लेकर अटकलें लग रही हैं। हालांकि यह सब विशेषज्ञों की रिपोर्ट और कोर्ट के निर्णय पर ही निर्भर है।


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