UP VidhanMandal Winter Session : सरकार पर हमलावर हुआ विपक्ष, मांगा इस्तीफा
UP VidhanMandal Winter Session विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन असंतोष जताने वाले भाजपा विधायकों ने विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का मुद््दा थमा दिया।
लखनऊ, जेएनएन। गाजियाबाद के लोनी से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर के मामले ने विधानसभा में विपक्ष को हथियार दे दिया है। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन असंतोष जताने वाले भाजपा विधायकों ने विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का मुद््दा थमा दिया। विपक्षी दलों ने इसे सीधे तौर पर सरकार की नीतियों से जोड़ दिया है। उनका कहना है कि यह पहली बार हुआ है, जब किसी विधायक ने अपनी सरकार के खिलाफ असंतोष जताया हो।
नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने कहा कि विधानसभा इतिहास में पहली बार सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा इतनी संख्या में अपनी सरकार के खिलाफ ही असंतोष जताया गया है। ये एक गंभीर बात है। जितने विधायक लामबंद हुए, उन्हें देखकर लगता है कि मुख्यमंत्री के कामकाज से उनके लोग ही संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री में नैतिकता बची है तो उनको तत्काल त्यागपत्र दे देना चाहिए।
बसपा दल नेता लालजी वर्मा ने भाजपा विधायक की पीड़ा नहीं सुनने पर एतराज जताया। उन्होंने कहा कि सरकार में जब अपने विधायक की भी सुनवाई नहीं हो रही है तो आम आदमी का तो बुरा हाल होगा। बसपा पीडि़तों की मदद करती रहेगी। सरकार अपनों की सुनवाई नहीं कर पा रही तो उसे बने रहने का हक नहीं है।
विधानसभा के अध्यक्ष रहे सुखदेव राजभर कहते हैं कि उन्होंने पिछले 25 वर्षों में ऐसा दृश्य पहली बार देखा है, जब सत्ता पक्ष के विधायक ही अपनी सरकार में उत्पीडऩ का आरोप लगा रहे हों और सरकार भी उनकी न सुन रही हो। उन्होंने व्यवस्था का प्रश्न उठाया था। कोई भी सदस्य कभी भी अपनी बात कह सकता है। विधानसभा अध्यक्ष यदि दो मिनट उनकी बात सुन लेते तो इतना बड़ा हंगामा न होता। पुलिस ने विधायक के खिलाफ अभद्रता की थी। यदि वे अपनी बात सदन में नहीं रखेंगे तो फिर कहां रखेंगे।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी भाजपा विधायकों की बगावत पर चुटकी ली। उन्होंने ट्वीट किया, जब सरकार में रहकर अपनी पीड़ा बताता था तो कोई नहीं सुनता था। सत्ताधारी दल के 200 से अधिक एमएलए धरने पर बैठने को मजबूर क्यों हैं? यह भी सोचना चाहिए। आज जब विधायक अपनी पीड़ा स्वत: सामने रख रहे हैं तो लोगों को समझ आ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग के विधायकों की पीड़ा नहीं सुनी जाती है।
कांग्रेस विधानमंडल दल के पूर्व नेता प्रदीप माथुर का कहना है कि यह पहली बार हुआ है, जब किसी विधायक को सदन में अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठानी पड़ी हो। यह भी पहला मौका है, जब सत्ता पक्ष के विधायक के समर्थन में विपक्ष एकजुट हुआ है। इससे साफ है कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों को अब उसके विधायक भी सहन नहीं कर पा रहे।