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UP Cabinet Meeting : उत्तर प्रदेश में कामगारों और श्रमिकों को रोजगार देने के लिए बना आयोग

UP Cabinet Meeting उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग गठित करने का निर्णय लिया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 03:19 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 09:36 PM (IST)
UP Cabinet Meeting : उत्तर प्रदेश में कामगारों और श्रमिकों को रोजगार देने के लिए बना आयोग

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना आपदा काल से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के बीच कामगारों और श्रमिकों को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग गठित करने का निर्णय लिया है। प्रशासकीय रूप में गठित यह आयोग एक उच्च स्तरीय संस्था होगी जिसका उद्देश्य सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर सृजित कर प्रदेश के प्रवासी और निवासी कामगारों व श्रमिकों को उनकी क्षमता के अनुरूप रोजगार मुहैया कराना है।

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मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में आयोग के गठन समेत कुल 15 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जिसने कामगारों और श्रमिकों के व्यापक हित में आयोग का गठन किया है। मुख्यमंत्री ने इस आयोग के गठन का निर्देश दिया था। मंगलवार को इसका शासनादेश भी जारी हो गया। सरकार के प्रवक्ता व एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री या उनके द्वारा नामित कैबिनेट मंत्री आयोग के अध्यक्ष होंगे। श्रम एवं सेवायोजन मंत्री इसके संयोजक होंगे। आयोग के दो उपाध्यक्ष होंगे जिनमें एक औद्योगिक विकास मंत्री तथा दूसरे सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री होंगे।

कृषि मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, पंचायती राज मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त और अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन आयोग के सदस्य होंगे। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आइआइडीसी) आयोग के सदस्य सचिव होंगे। मुख्यमंत्री की ओर से नामित औद्योगिक व श्रमिक संगठनों तथा उद्योगों के विकास और श्रमिक हितों में रुचि रखने वाले पांच जनप्रतिनिधि भी आयोग के सदस्य होंगे। आयोग में अध्यक्ष की ओर से नामित विशेष आमंत्रित सदस्य भी होंगे। आयोग के गैर सरकारी सदस्यों में से महत्वपूर्ण औद्योगिक संगठनों के तीन और श्रमिक संगठनों का एक प्रतिनिधि मुख्यमंत्री की ओर से नामित किए जाएंगे जिनका कार्यकाल दो साल का होगा। मुख्यमंत्री की मंजूरी से उनके कार्यकाल को बढ़ाया जा सकेगा या उन्हेंं समय से पहले हटाया जा सकेगा।

आयोग के कार्य : आयोग प्रदेश के कामगारों व श्रमिकों के लिए सेवायोजन और रोजगार सृजन की स्थापित प्रक्रिया का क्रियान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन करेगा। उन्हेंं केंद्र व राज्य सरकार की ऐसी सभी विकासोन्मुख योजनाओं से जोड़ेगा जिनमें मानव श्रम का उपयोग होता है। विभिन्न सरकारी योजनाओं में रोजगार सृजन के अवसर बढ़ाने के प्रयास और उनकी निगरानी करेगा। साथ ही, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक जनपद एक उत्पाद योजना, माटी कला बोर्ड, खादी एवं कुटीर उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण,फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन तथा मनरेगा का विभिन्न विभागों की निर्माण संस्थाओं के साथ कन्वर्जेंस और निजी क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों से समन्वय कर के रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर सृजित करने का प्रयास करेगा। देश के अन्य राज्यों और विदेश में श्रमिकों की मांग और आपूर्ति के बारे में नीति और प्रक्रिया तय करेगा। आयोग की बैठक महीने में एक बार होगी।

पोर्टल पर अपलोड होगा श्रमिकों का विवरण : श्रमिकों को रोजगार दिलाने के मकसद से एकीकृत पोर्टल तैयार किया जाएगा। इसमें प्रदेश के प्रवासी व निवासी कामगारों/श्रमिकों की वर्तमान कौशल क्षमता का पूरा डेटा मौजूद होगा। इस व्यवस्था की निगरानी, फील्ड स्तर से डेटा इकट्ठा करने और उसको अपडेट करने के लिए जिला सेवायोजन कार्यालयों का इस्तेमाल किया जाएगा। पोर्टल पर मौजूद डाटा का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं के माध्यम से सृजित होने वाले रोजगारों में कौशल की मांग के अनुसार कामगारों को सेवायोजित कराने के लिए किया जाएगा। उद्योग, सॢवस सेक्टर और प्राथमिक क्षेत्र जैसे गैर सरकारी क्षेत्रों में भी कामगारों को सेवायोजित करने के लिए इस डाटा का उपयोग किया जाएगा।

ऑन जॉब ट्रेनिंग भी : उद्योगों में प्रशिक्षण के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए अप्रेंटिसशिप के माध्यम से ऑन जॉब ट्रेनिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।

आयोग के निर्देशों को लागू कराएगी कार्यकारी परिषद : आयोग के निर्देशों और सिफारिशों को अमली जामा पहनाने के लिए राज्य स्तरीय कार्यकारी परिषद/बोर्ड का गठन किया जाएगा। आइआइडीसी इसके अध्यक्ष तथा कृषि उत्पादन आयुक्त सह अध्यक्ष होंगे। प्रमुख विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव कार्यकारी परिषद के सदस्य होंगे। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन इसके सदस्य सचिव होंगे।

जिला स्तरीय समिति भी : आयोग और कार्यकारी परिषद के निर्देशों को जिला स्तर पर लागू कराने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति गठित की जाएगी। मुख्य विकास अधिकारी इस समिति के उपाध्यक्ष और जिला रोजगार सहायता अधिकारी नोडल अधिकारी/सदस्य सचिव होंगे। समिति कामगारों को रोजगार के अवसरों की जानकारी देने के लिए कॉमन पोर्टल का विकास करेगी। श्रमिकों की स्किल मैपिंग का कार्य करेगी।

यह प्रस्ताव भी पास

  •  इलेक्ट्रानिक वाहनों के निर्माण एवं प्रोत्साहन के लिए टैक्स में छूट प्रदान किया गया है। इसके लिए कुछ संशोधन किया गया है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा। पहले एक लाख बनने वाले टू व्हीलर इलेक्ट्रानिक वाहन पर रोड टैक्स में 100 फीसदी की छूट होगी। जबकि फोर व्हीलर पर रोड टैक्स में 75 फीसदी की छूट प्रदान की गई है।
  •  कैबिनेट में परिवहन विभाग में जुर्माने की राशि में भी वृद्धि का प्रस्ताव पारित किया है। इसमें पार्किंग के लिए पहली बार 500 व दूसरी बार 1500 रुपए कर जुर्माना होगा। सरकार काम में बाधा डालने के लिए 2000 रुपए, गलत तथ्य छुपाकर लाइसेंस बनवाने पर 10 हजार रुपए जुर्माना का प्रावधान किया गया है। इसी तरह बिना हेलमेट गाड़ी चलाने पर अब 1000 रुपए जुर्माना होगा। फायर ब्रिगेड व एंबुलेस को रास्ता नहीं देने वाले पर 10 हजार रुपए का जुर्माना का प्रावधान किया गया।
  •  सेना और अर्धसैनिक बलों के शहीद की पत्नी एवं आश्रितों को राज्य सरकार की तरफ से अब 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। पहले यह राशि 25 लाख रुपए थी। इस फैसले का पूरी कैबिनेट ने स्वागत किया। 
  •  मिर्जापुर में ग्राम देवरी में तहसील सदर में 6.50 एकड़ भूमि केंद्र सरकार को निशुल्क जमीन दी गई है। यहां केंद्रीय विद्यालय बनेगा।

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