UP Assembly Winter session : विधानमंडल का शीतकालीन सत्र कल से, जोरदार हंगामा होने के आसार
UP Assembly Winter session शीतकालीन सत्र की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए सोमवार को कार्यमंत्रणा समिति व सर्वदलीय नेताओं की बैठकें होंगी।
लखनऊ, जेएनएन। उन्नाव व पीलीभीत दुष्कर्म प्रकरणों के अलावा ध्वस्त कानून व्यवस्था, मंहगाई और गन्ना मूल्य जैसे मुद्दों को लेकर विधानमंडल का मंगलवार से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने के आसार हैं। सत्र के पहले दिन ही सरकार अनुपूरक बजट भी प्रस्तुत करेगी। शीतकालीन सत्र की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए सोमवार को कार्यमंत्रणा समिति व सर्वदलीय नेताओं की बैठकें होंगी। वहीं, सदन में सरकार की घेराबंदी के लिए प्रमुख विपक्षी दलों की बैठकें भी सोमवार को होंगी। विपक्षी दलों के हमलों से निपटने के लिए सत्ता पक्ष भी कमर कस रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने बताया कि सदन को शांतिपूर्ण व व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए सोमवार दोपहर एक बजे दलीय नेताओं की बैठक होगी। कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए कार्यमंत्रणा समिति की बैठक भी होगी। आगामी 20 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही सरकार अपना दूसरा अनुपूरक बजट भी ला रही है। दीक्षित ने बताया कि सुरक्षा से संबंधित बैठक इस बार न होगी क्योंकि संविधान दिवस पर आयोजित विशेष सत्र में सुरक्षा संबंधित निर्देश दिए जा चुके हैं।
उधर नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार जन समस्याओं से किनारा कर रही है, इसलिए शीतकालीन सत्र की अवधि बहुत कम रखी गई है। हर मोर्चे पर फेल सरकार विपक्ष के प्रश्नों से बचने की राह तलाश रही है परंतु उसको बचने न दिया जाएगा। सोमवार को पार्टी मुख्यालय में आहूत विधायक दल की बैठक में इसके लिए रणनीति तय होगी। बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को भी सोमवार शाम छह बजे पार्टी दफ्तर में बुलाया गया है। बैठक में सदन में सरकार के विरोध का तरीका भी तय किया जाएगा। कांग्रेस विधानमंडल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने दावा किया कि सड़क पर जारी भाजपा विरोध की तरह सदन में भी विरोध जताया जाएगा। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सत्ता पक्ष के विधायकों की बैठक बीते दिनों हो चुकी है, इसलिए फिर से बैठक का कोई औचित्य नहीं है।
सदन में होगी विपक्ष की भी परीक्षा
विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में विपक्ष की परीक्षा भी होगी। चार दिवसीय इस सत्र में सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास पर्याप्त मुद्दे है परंतु एकजुटता नहीं हो पाने से सत्ता पक्ष को इसका लाभ मिल सकता है। लोकसभा चुनाव के बाद सदन में विपक्ष अक्सर बिखरा नजर आया है। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आयोजित 36 घंटे के विशेष सत्र में विपक्ष ने कार्रवाई का बहिष्कार कर एकजुटता दिखाने की कोशिश की परंतु कांग्रेस, बसपा व सपा के बागियों ने विरोध की हवा निकाल दी थी।
सरकार के पास बताने के लिए कुछ नहीं
मंगलवार से आरंभ विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था, मंहगाई, उन्नाव व अन्य स्थानों पर महिलाओं से दुष्कर्म की लगातार बढ़ती घटनाएं, आवारा पशुओं का आतंक, धान खरीद और गन्ना मूल्य जैसे मुद्दों को विपक्ष की ओर से हथियार बनाया जाएगा। नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी का कहना है कि सरकार के पास उपलब्धि के नाम पर बताने के लिए कुछ नहीं है। भारी बहुमत होने के बाद भी सरकार का इकबाल नहीं है। बसपा व कांगेे्रस नेताओं के सुर में सुर मिलाने के लिए इस सत्र में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी रहेगी। देखना यह है कि उक्त विपक्षी पार्टियों एक जुट होकर सरकार पर हमला बोलती है अथवा सदन में अपनी ढपली अपना राग जैसे हालात रहेंगे।
सूत्रों का कहना है कि मिशन 2022 की तैयारी में जुटी पार्टियों को अपना अलग वजूद जताने की फिक्र लगी है। भाजपा का विकल्प बनने की होड़ में अकेले लड़ने पर विपक्ष का अधिक जोर है। सबकी निगाहें सोमवार को होने वाली दलीय बैठकों पर लगी हैं। नेता प्रतिपक्ष अन्य दलों को साथ में लेने में कामयाब रहे तो विपक्ष कुछ कारनामा दिखा सकता है।