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Maharashtra By Election 2019: छत्रपति पर भारी छत्रप, सातारा उपचुनाव में उदयनराजे भोसले की हार

Udayanraje Bhosle. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही हुए सातारा उपचुनाव में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले को पराजय का मुंह देखना पड़ा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 02:45 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 02:45 PM (IST)
Maharashtra By Election 2019: छत्रपति पर भारी छत्रप, सातारा उपचुनाव में उदयनराजे भोसले की हार

राज्य ब्यूरो, मुंबई। Maharashtra By Election 2019 इसी साल हुए लोकसभा के आम चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1,26,528 मतों से जीत दर्ज करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले को राकांपा छोड़कर भाजपा का दामन थामना भारी पड़ा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही हुए सातारा संसदीय सीट के उपचुनाव में उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा है। यह क्षेत्र हमेशा से कांग्रेस-राकांपा का मजबूत गढ़ माना जाता था। कांग्रेस के टिकट पर यहां से यशवंतराव चह्वाण और प्रतापराव भोसले सरीखे दिग्गज चुनाव जीतकर संसद में जाते रहे। शरद पवार द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन करने के बाद से यह सीट राकांपा के पास रहती आई है।

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राकांपा के ही टिकट पर 2009 से उदयनराजे भोसले लगातार चुने जाते रहे। छह माह पहले 2019 का लोकसभा चुनाव भी उन्होंने राकांपा के टिकट पर जीतने के बाद विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले ही उन्होंने राकांपा के साथ-साथ लोकसभा से भी त्यागपत्र दे दिया था। विधानसभा चुनाव के साथ हुए सातारा लोकसभा सीट के उपचुनाव में वह भाजपा के टिकट पर मैदान में थे। दूसरी ओर मराठा छत्रप के नाम से मशहूर शरद पवार ने दो बार के सांसद रहे पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं सिक्किम के पूर्व राज्यपाल श्रीनिवास पाटिल को उम्मीवारी दी और उनके पीछे अपनी पूरी ताकत झोंक दी। शरद पवार ने सातारा में ही चुनाव से दो दिन पहले बरसात में भीगते हुए चुनावी रैली को संबोधित किया।

राकांपा ने यहा नारा दिया था - 'मान छत्रपति की गद्दी का, मत राष्ट्रवादी पार्टी को'। यहां उदयनराजे के पक्ष में सभा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी हुई थी। माना जा रहा है कि पवार और कांग्रेस के वर्षों पुराने जनाधार को अपनी व्यक्तिगत ताकत समझते रहे उदयनराजे भोसले का जीत के तीन महीने बाद ही इस्तीफा देकर दलबदल करना क्षेत्र की जनता को रास नहीं आया और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।  

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