दुर्गा पूजा फंड मामलाः ममता के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इन्कार पर वजह पूछी
28 हजार दुर्गापूजा कमेटियों को 10-10 हजार रुपये के आर्थिक अनुदान देने के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के फैसले पर सर्वोच्च अदालत ने भी रोक लगाने से इन्कार कर दिया।
कोलकाता [राज्य ब्यूरो]। कलकत्ता हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी शुक्रवार को ममता सरकार को बड़ी राहत दी। 28 हजार दुर्गापूजा कमेटियों को 10-10 हजार रुपये के आर्थिक अनुदान देने के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के फैसले पर सर्वोच्च अदालत ने भी रोक लगाने से इन्कार कर दिया।
मुख्यमंत्री के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने फिलहाल फंड जारी करने के फैसले पर रोक से साफ इन्कार कर दिया। हालांकि पीठ ने वकील सौरव दत्ता की याचिका को भी खारिज नहीं किया है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए छह हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह अनुदान राज्य पुलिस के माध्यम से पूजा कमेटियों को दिया गया है। इसके बदले में कमेटियां ट्रैफिक के प्रति जागरूकता फैलाएंगी।
इससे पहले 10 अक्टूबर को कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी पूजा कमेटियों को अनुदान देने के राज्य सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद वकील सौरव दत्ता ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने राज्य सरकार के फैसले को संविधान के पंथनिरपेक्ष ढांचे का उल्लंघन बताया था।
उन्होंने मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की थी। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 10 सितंबर को 28 हजार पूजा कमेटियों को अनुदान देने की घोषणा की थी। इनमें शहरी इलाकों की लगभग तीन हजार और ग्रामीण इलाकों की लगभग 25 हजार दुर्गापूजा कमेटियां शामिल हैं। अनुदान देने पर सरकारी खजाने से करीब 28 करोड़ रुपये खर्च हुआ है।