Move to Jagran APP

Bihar Lok Sabha Election 2019: पांचवें चरण में चुनौती बने छोटे दल, जानिए सीटों का मौजूदा हाल

Bihar Lok Sabha Election 2019 बिहार में पांचवें चरण के मतदान में छोटे राजनीतिक दल मुकाबले में हैं। सारण को छोड़ दें तो शेष चार सीटों पर यहीं स्थिति है। पड़ताल करती रिपोर्ट।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 09:27 AM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 02:57 PM (IST)
Bihar Lok Sabha Election 2019: पांचवें चरण में चुनौती बने छोटे दल, जानिए सीटों का मौजूदा हाल
Bihar Lok Sabha Election 2019: पांचवें चरण में चुनौती बने छोटे दल, जानिए सीटों का मौजूदा हाल

पटना [अमित आलोक]। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में बिहार की पांच सीटों (सीतामढ़ी, मधुबनी, सारण, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर) के लिए वोट डाले जा रहे हैं। पांचवें चरण में सारण को छोड़कर, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच सीधी टक्‍कर है, अन्‍य सभी सीटों पर क्षेत्रीय या अन्‍य छोटे दल एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
पिछले चुनाव में पांचवे चरण की सभी सीटें राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के तत्‍कालीन घटक दलों के खाते में गईं थीं। हालांकि, इस बार परिस्थितियां बदल गईं हैं। तब राजग के साथ रही राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अब विपक्षी महागठबंधन में है तो विपक्ष में रहा जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अब राजग में है।

loksabha election banner

मुजफ्फरपुर: भाजपा के मुकाबले में वीआइपी उम्‍मीदवार
मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर राजग की तरफ से भाजपा ने सिटिंग सांसद अजय निषाद को मैदान में उतारा है। उनके सामने महगठबंधन के नए व छोटे घटक दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के राज भूषण चौधरी निषाद ताल ठोक रहे हैं। यहां निषाद (मल्‍लाह) वोटर निर्णायक हैसियत रखते हैं। वीआइपी के प्रमुख मुकेश साहनी बिहार में 'सन ऑफ मल्लाह' की इमेज को देखते हुए इस बार टक्‍कर आसान नहीं दिख रही है।
मुजफ्फरपुर में करीब पौने दो लाख यादव और लगभग ढाई लाख मुस्लिम मतदाताओं से भी वीआइपी को उम्‍मीद है। वहीं, लगभग चार लाख सवर्ण और ढाई लाख वैश्य मतदाताओं पर भाजपा की नजर है। इसमें महागठबंधन भी सेंधमारी की कोशिश करता रहा है। यहां अनुसूचित जाति और अन्य जातियों के करीब पौने छह लाख मतदाता निर्णायक हो सकते हैं।

मधुबनी: भाजपा व वीआइपी के बीच बागी का त्रिकोण
मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में भी वीआइपी के बद्री कुमार पूर्वे मैदान में हैं। उनका मुकाबला पांच बार सांसद रहे हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे व भाजपा प्रत्‍याशी अशोक यादव से है। यहां कांग्रेस के बागी नेता शकील अहमद निर्दलीय ताल ठोक कर मुकाबले को त्रिपक्षीय बनाते दिख रहे हैं।
मधुबनी में महागठबंधन के वीआइपी प्रत्‍याशी बद्री कुमार पूर्वे की राह में कांग्रेस के बागी शकील अहमद रोड़ा बनकर खड़े हैं। बड़ा मुस्लिम चेहरा होने के कारण शकील अहमद बद्री पूर्वे के लिए मुकाबला कड़ा बनाते दिख रहे हैं। हालांकि, उन्‍हें (बद्री पूर्वे को) महागठबंधन के वोट बैंक पर भरोसा है। उधर, अशोक यादव की अपनी राजनीतिक विरासत है। उनके साथ राजग के वोट बैंक का बड़ा आाधार भी है।

हाजीपुर: लोजपा बनाम राजद मुकाबले में भितरघात का पेंच
हाजीपुर लोकसभा सीट को रामविलास पासवान से जोड़कर देखा जाता रहा है। 67 वर्षों के संसदीय इतिहास में यहां 42 वर्षों तक रामविलास पासवान का दबदबा रहा है। यहां इस बार पासवान खुद चुनाव मैदान में नहीं हैं। हाजीपुर से उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस मैदान में हैं। लाोजपा भी राजग में शामिल छोटी पार्टी है। पशुपति कुमार पारस पर हाजीपुर में परिवार के गढ़ को बचाने की चुनौती है। उनके खिलाफ राजद के शिव चंद्र राम हैं।
पशुपति कुमार पारस लोजपा के प्रत्याशी हैं। वे राज्य सरकार में मंत्री हैं। राजद के शिवचंद्र राम राजापाकर (सुरक्षित) विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। पशुपति को राजग के आधार वोटों के साथ नरेंद्र मोदी के नाम और नीतीश कुमार के काम पर यकीन है। हालांकि, वैशाली के नाराज निर्वतमान सांसद रामा सिंह के लोजपा को बाय-बाय कर विरोध में सक्रिय रहने के कारण भितरघात की आशंका भी है। उधर, शिवचंद्र राम को महागठबंधन के आधार वोटों का भरोसा है।

सीतामढ़ी: शरद यादव व नीतीश कुमार की प्रतिष्‍ठा दांव पर
कभी समाजवाद की सरजमीं रहे सीतामढ़ी में आज समाजवादियों को खेमों में बंट जाने के कारण वजूद बचाने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। इस कारण राजग फील गुड की स्थिति में है। यहां शरद यादव व नीतीश कुमार की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी है।
सीतामढ़ी में महागठबंधन में राजद के अर्जुन राय और राजग में जदयू के सुनील कुमार पिंटू के बीच मुकाबला है। रालोसपा के राजग से बाहर जाने के बाद यह सीट जदयू के खाते में आई है। अर्जुन राय शरद यादव के सहयोगी अर्जुन राय राजद के टिकट पर उम्मीदवार हैं। अर्जुन राय राजद के टिकट पर मैदान में हैं, लेकिन वे शरद यादव के करीबी तथा उनकी नई पार्टी 'लोकतांत्रिक जनता दल' के राष्‍ट्रीय महासचिव रहे हैं।
राजग की बात करें तो सीतामढ़ी में जदयू के सुनील कुमार पिंटू की उम्मीदवारी आनन-फानन में तय हुई। सीतामढ़ी से पहले घोषित जदयू उम्मीदवार डॉ. वरुण कुमार द्वारा टिकट वापस किए जाने के बाद पार्टी ने उन्‍हें मैदान में उतारा। ऐसे में यहां राजग, खासकर जदयू के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है। ऐसे में आश्‍चर्य नहीं कि यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगातार जनसभाएं कीं।
जातिवाद की गिरफ्त में जकड़े सीतामढ़ी में राजनेताओं को कर्पूरी याद आते रहे। यह जननायक कर्पूरी ठाकुर का क्षेत्र जो रहा है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.