Gujarat: उपचुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस में गुटबाजी सतह पर, सीएम विजय रूपाणी का बयान हुआ सच साबित
Gujarat Assembly By Election 2020 अहमदाबाद महानगरपालिका सहित गुजरात की छह महानगर पालिका तथा डेढ़ सौ नगर पालिकाओं में साल के अंत में चुनाव होने हैं। उपचुनाव के परिणाम भी आना शेष है लेकिन इससे पहले ही अहमदाबाद शहर कांग्रेस में गुटबाजी सतह पर आ गई है।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। महानगर पालिका का चुनाव सिर पर है, लेकिन मनपा में नेता विपक्ष पद को लेकर कांग्रेस में सिर फुटव्वल शुरू हो गई है। शहर के दो विधायकों ने पूर्व नेता विपक्ष दिनेश शर्मा को हटवा कर कमला चावड़ा को नेता विपक्ष बनवा दिया, जिससे शहर कांग्रेस में दो फाड़ हो गई है। अहमदाबाद महानगरपालिका सहित गुजरात की छह महानगर पालिका तथा डेढ़ सौ नगर पालिकाओं में साल के अंत में चुनाव होने हैं। हाल ही विधानसभा की आठ सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम भी आना शेष है, लेकिन इससे पहले ही अहमदाबाद शहर कांग्रेस में गुटबाजी सतह पर आ गई है। अहमदाबाद शहर के विधायक हिम्मत सिंह पटेल तथा शैलेश परमार अहमदाबाद महानगर पालिका में नेता विपक्ष के पद पर विराजमान दिनेश शर्मा की जगह किसी और को नेता विपक्ष बनाना चाहते थे।
गत दिनों गुटबाजी के चलते दिनेश शर्मा ने खुद इस पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद कांग्रेस ने बैहरामपुरा की पार्षद कमला चावड़ा को नेता विपक्ष मनोनीत कर दिया। इससे नाराज दिनेश शर्मा गुट के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को अहमदाबाद के बापू नगर सरसपुर दरियापुर कालूपुर आदि क्षेत्रों में विरोध-प्रदर्शन किया। खुद दिनेश शर्मा ने भी कहा कि कार्यकर्ताओं की भावना का ख्याल रखते हुए वह चुप हैं, लेकिन समय आने पर जरूर आवाज उठाएंगे। नेता विपक्ष की दौड़ में विराटनगर के पार्षद रणजीत सिंह तथा अमराई वाडी के पार्षद बलदेव देसाई शामिल थे, लेकिन ऐन वक्त पर कमला बेन ने बाजी मार ली। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने विधानसभा उप चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि चुनाव के बाद कांग्रेसमें गुटबाजी खुलकर सामने आएगी।
रूपाणी की वाणी अब सत्य होती नजर आ रही है, चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस नेता पदों को लेकर आमने-सामने हैं। महानगर पालिका में भाजपा पिछले एक दशक से सत्ता से बाहर है वहीं गुजरात में करीब 25 साल से सत्ता में नहीं लौट पा रही है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में गुटबाजी के कारण ही अहम मौके पर पार्टी चुनाव हार जाती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस सत्ता में आने का दम भर रही थी, लेकिन वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेसी छोड़ने के बाद कांग्रेस सत्ता से 20 कदम ही दूर रह गई थी।