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Gujarat: शराबबंदी को लेकर शंकर सिंह वाघेला व प्रदीप सिंह जडेजा आमने-सामने

Liquor Ban In Gujarat गुजरात में पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला जहां लंबे समय से गुजरात की शराबबंदी की नीति को अतार्किक व भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा देने वाली बता रहे हैं। वहीं सरकार में गृह राज्‍यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा का कहना है कि शराब से कई परिवार उजड़े हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 05:35 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 05:35 PM (IST)
गुजरात में शराबबंदी को लेकर शंकर सिंह वाघेला व प्रदीप सिंह जडेजा आमने-सामने।

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। Liquor Ban In Gujarat: गुजरात में शराबबंदी को लेकर दो बापू आमने-सामने आ गए हैं। पूर्व मुख्‍यमंत्री शंकर सिंह वाघेला जहां लंबे समय से गुजरात की शराबबंदी की नीति को अतार्किक व भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा देने वाली बता रहे हैं। वहीं, सरकार में गृह राज्‍यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा का कहना है कि शराब जैसी बुराई से कई परिवार उजड़े हैं और कई महिलाएं विधवा हुई हैं, उनकी सरकार शराबबंदी के प्रति कटिबद्ध है। गांधी जयंती पर शुक्रवार को आयोजित एक समारोह में शिरकत करते हुए जाडेजा ने कहा कि गुजरात सरकार शराबबंदी के लिए प्रति कटिबद्ध है। राज्‍य में कई लोग शराबबंदी कानून का समाप्‍त करने की बात कर रहे हैं तथा सोशल मीडिया पर इसके विरोध में अभियान चला रहे हैं, लेकिन सरकार स्‍पष्‍ट कर देना चाहती है कि राज्‍य में शराबबंदी की नीति लागू रहेगी इसे लागू रखने को लेकर सरकार संकल्‍पबद्ध है।

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जडेजा ने कहा कि शराब की बुराई के चलते राज्‍य में कई परिवार बर्बाद हुए हैं, कई माताओं व बहनों के सुहाग उजड़ गए तथा कई युवतियों को कम उम्र में विधवा होने का दंश झेलना पडा है। वाघेला व जडेजा दोनों ही क्षत्रिय समुदाय से आते हैं तथा स्‍थानीय बोलचाल में उन्‍हें बापू कहकर भी संबोधित करते हैं। पूर्व मुख्‍यमंत्री शंकर सिंह वाघेला कुछ समय से राज्‍य की शराबबंदी की नीति को गलत बताते हुए इसके खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका दावा है कि वर्ष 1996-97 में उनकी अल्‍प कार्यकाल की सरकार के साथी दलों के दबाव के चलते वे शराबबंदी को नहीं हटा सके, लेकिन अब सत्‍ता में आए तो सबसे पहले शराबबंदी कानून को समाप्‍त कर देंगे।

इससे सरकार की तिजोरी को तीन से पांच हजार करोड़ रुपये की आवक होगी और राज्‍य की जनता को मुफ्त शिक्षा व स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा दी जा सकेगी। साथ ही, शिक्षित युवाओं को बेरोजगारी भत्‍ता दिया जाएगा। वाघेला गुजरात के युवकों से कहते हैं कि शराबबंदी कानून हटाने का मतलब ये नहीं है कि शराब खुले में बिकने लगेगी तथा खुले में पीने लगेंगे। शराब बिक्री व सेवन के लिए भी एक नीति बनेगी, ताकि शांति व कानून व्‍यवस्‍था में खलल नहीं पहुंचे। 


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