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डेढ़ करोड़ शरणार्थियों को नागरिकता दिलाएंगे संत, मठ-मंदिरों-आश्रमों व पीठों में खोले जाएंगे काउंटर

देश भर में शरण लेकर रह रहे लगभग डेढ़ करोड़ हिंदुओं को नागरिकता दिलाने के लिए संत समाज भी आगे आया है। संगम तट पर हुए संत सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 10:27 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 03:07 PM (IST)
डेढ़ करोड़ शरणार्थियों को नागरिकता दिलाएंगे संत, मठ-मंदिरों-आश्रमों व पीठों में खोले जाएंगे काउंटर

प्रयागराज [ज्ञानेन्द्र सिंह]। देश भर में शरण लेकर रह रहे लगभग डेढ़ करोड़ हिंदुओं को नागरिकता दिलाने के लिए संत समाज भी आगे आया है। संगम तट पर मंगलवार को हुए संत सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई। देश के शीर्ष संतों ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन करते हुए हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने की विशेष योजना तैयार की है। 

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इस संत समागम में निर्णय लिया गया कि हिंदू शरणार्थियों की सहूलियत के लिए मठ-मंदिरों, आश्रमों व पीठों में नागरिकता देने वाले काउंटर खोले जाएंगे। संत और उनके शिष्य नागरिकता प्रदान करने की कमान संभालेंगे। विहिप के कार्यवाहक अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि इसके लिए हर जिले में संतों की टोली गठित की जाएगी, जो शरणार्थियों की तलाश करेगी। टोली में शामिल संत और विहिप कार्यकर्ता शरणार्थियों के घर-घर जाएंगे। उनके कागजात तैयार कराएंगे और फिर उनका आवेदन केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

उन्होंने कहा कि देश भर में फैले संतों के शिष्यों को नागरिकता दिलाने के काम में लगाया जाएगा। यह प्रक्रिया संत समाज जल्द शुरू कराएगा। लगभग दो माह तक यह अभियान चलाया जाएगा। खासतौर पर उन राज्यों में तेजी से अभियान चलेगा, जहां की सरकारों ने यह एलान किया है कि वे इस कानून को नहीं मानेंगी।

शिक्षित शिष्यों को नागरिकता दिलाने की प्रक्रिया में लगाएं

अखिल भारतीय संत समिति के सचिव स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि काफी संख्या में साधु-संन्यासी कम पढ़े-लिखे हैं, मगर उनके शिष्य काफी शिक्षित हैं, इसलिए संत-महात्मा अपने शिष्यों को नागरिकता दिलाने की प्रक्रिया में लगाएं। ये शिष्य लैपटॉप, डेस्कटॉप लेकर बैठे और शरणार्थियों के आवेदन कराएं। कहा कि देश भर में नौ लाख मंदिर और लगभग 17.5 लाख संत हैं, जो इस काम में लगाए जाएंगे।

मलबा देंगे एक साथ, अयोध्या-मथुरा-काशी विश्वनाथ

स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने यह भी बताया कि विपिन रावत जब थल सेनाध्यक्ष थे, तब बोले थे कि ढाई मोर्चे पर युद्ध करना होगा। दो मोर्चा पाकिस्तान और चीन तो समझ में आ गया, मगर आधा मोर्चा बाद में समझा गया। यह आधा मोर्चा वहां है जहां मिनी पाकिस्तान बन रहा है। संतों का दायित्व बनता है कि इस आधा मोर्चा के युद्ध के लिए वे तैयार हो जाएं। कहा कि लगभग 491 वर्ष से मंदिर का मसला टलता रहा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो लोगों ने रिव्यू पिटीशन दायर किया जो खारिज हो गई। इसके बाद मलबा के लिए रिट दाखिल की गई। संत समिति के सचिव ने कहा कि मलबा देंगे एक साथ, अयोध्या-मथुरा-काशी विश्वनाथ।

खास बातें

  • 17.5 लाख संत-महात्मा इसके लिए हिंदू शरणार्थियों के घर-घर जाएंगे
  • 10 टोलियां संतों की बनेंगी हर जिले में, टोली में शामिल होंगे 15 संन्यासी
  • 02 माह तक 22 राज्यों में विहिप और संत संयुक्त रूप से चलाएंगे अभियान

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