Rajya Sabha Election 2020: मतदान में कांग्रेस की फूट उजागर करने की जुगत में भाजपा
Rajya Sabha Election 2020 राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए शुक्रवार को होने वाले मतदान में भाजपा सत्तारूढ़ कांग्रेस की फूट उजागर करने की जुगत में है।
मनीष गोधा, जयपुर। राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए शुक्रवार को होने वाले मतदान में भाजपा सत्तारूढ़ कांग्रेस की फूट उजागर करने की जुगत में है। पार्टी के रणनीतिकारों की कोशिश है कि “अंतरात्मा की आवाज“ के नाम पर सत्तारूढ़ पार्टी के खाते से कुछ वोट उनके प्रत्याशी को मिलें ताकि सरकार में लम्बे समय से दिख रही खींचतान पर चुनाव की मुहर लग सके। राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के लिए मार्च में नामांकन से पहले विधानसभा में संख्या बल के आधार पर कांग्रेस के दो और भाजपा के एक प्रत्याशी के निर्विरोध निर्वाचन की बात हो रही थी, लेकिन जैसे ही कांग्रेस के दूसरे प्रत्याशी के रूप में नीरज डांगी का नाम सामने आया, कांग्रेस में अंदरखाने अंसतोष के स्वर सुनाई देने लगे, क्योंकि डांगी तीन बार विधानसभा चुनाव हार चुके है, इसके बावजूद उन्हें राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया गया। ऐसे में पार्टी में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के गुट के नेता और विधायक ही नहीं बल्कि कई अन्य विधायकों की नाराजगी दबे छुपे ढंग से सामने आई थी।
कांग्रेस में असंतोष की इन खबरों को देखते हुए ही भाजपा ने रातों-रात फैसला कर अपने अधिकृत प्रत्याशी राजेन्द्र गहलोत के साथ ही ओंकार सिंह लखावत का नामांकन भी भरवा दिया। पार्टी को उम्मीद थी कि कांग्रेस में सामने आ रहे असंतोष का फायदा भाजपा के दूसरे प्रत्याशी लखावत को मिल सकता है, हालांकि जीत की उम्मीद तो उस समय भी नहीं थी, क्यांेंकि दोनों दलों के बीच विधायकों की संख्या का अंतर बहुत ज्यादा है। कांग्रेस के पास खुद के 100 विधायक है, जबकि भाजपा के पास खुद के 72 ही विधायक है, ऐसे में 28 विधायकों की टूट हो पाना काफी मुश्किल था, लेकिन भाजपा को यह उम्मीद थी कि कांग्रेस के दस से बारह विधायक क्राॅस वोट कर सकते हैं और कुछ निर्दलीय भी साथ आ सकते है। ऐसे में सरकार में दिख रही फूट बडे पैमाने पर सामने आ सकती है।
अब लाॅकडाउन के कारण चुनाव तीन माह बाद हो पा रहा है और अभी भी भाजपा की रणनीति यही है कि “अंतररात्मक की आवाज“ पर कांग्रेस के कुछ विधायकों से क्राॅस वोट करा लें। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा भी है कि हम तो अंतरात्मा की आवाज के नाम पर वोट मांग रहे है। पार्टी की ओर से एक तरफ जहां उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के प्रति बयानों मंे नरम रूख दिखाया जा रहा है, वहीं अक्सर पार्टी लाइन से अलग रूख जाहिर करने वाले पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के टविटर अभियानों को समर्थन देकर और बयानों की तारीफ की जा रही है। अंदरखाने भी कांग्रेस की अन्य कमजोर कडियों से सम्पर्क का काम जारी है। हालांकि पार्टी सूत्रों की मानें तो अब पहले जैसी बात नहीं रह गई है। मार्च में चुनाव होते तो भाजपा को अपनी रणनीति में अच्छी सफलता हासिल हो सकती थी, लेकिन अब कांग्रेस ने अपना किला काफी हद तक मजबूत कर लिया है और इसमें बहुत ज्यादा सेंधमारी की गुंजाइश नहीं बची है।