हरी झंडी पाकर भी राज्यसभा की उड़ान नहीं भर पाये राजीव शुक्ल
कांग्रेस के लिए सियासी राहत की बात यह रही कि पार्टी के पूर्व घोषित उम्मीदवार नारायण भाई राठवा ने आखिरी समय में नामांकन दाखिल कर दिया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गुजरात में राज्यसभा के चुनाव में सियासी रोमांच का संयोग कुछ ज्यादा ही दिलचस्प होने लगा है। राजीव शुक्ल को आखिरी कुछ घंटों में राज्यसभा का नामांकन दाखिल करने की हरी झंडी और फिर उनका अहमदाबाद नहीं पहुंच पाने का वाकया इसकी ताजा कड़ी रही। सियासी लफ्जों में कहें तो हाईकमान की हरी झंडी जब तक मिली तब तक राजीव शुक्ल की राज्यसभा की ट्रेन छूट चुकी थी। कांग्रेस के लिए सियासी राहत की बात यह रही कि पार्टी के पूर्व घोषित उम्मीदवार नारायण भाई राठवा ने आखिरी समय में नामांकन दाखिल कर दिया।
गुजरात की राज्यसभा की अपनी दो सीटों में से एक पर कांग्रेस ने राठवा को ही औपाचारिक तौर पर उम्मीदवार घोषित किया था। मगर नामांकन के लिए जरूरी कागजातों में एक एनओसी राठवा के पास नहीं थी और इसके अभाव में उनका नामांकन खारिज न हो जाए इसे देखते हुए सोमवार सबेरे पार्टी में हड़कंप मच गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार शुक्ल को दोपहर सवा बारह बजे फोन पर निर्देश दिया गया कि वे अहमदाबाद पहुंचकर तत्काल नामांकन दाखिल करें।
हाईकमान ने भले ही शुक्ल को उम्मीदवार के रुप में नामांकन ही हरी झंडी दे दी मगर तब तक उनके लिए काफी देर हो चुकी थी। चार्टड विमान से भी शुक्ल के लिए सोमवार तीन बजे तक पहुंच पाना संभव नहीं था क्योंकि अहमदाबाद एयरपोर्ट निर्माण कार्यो की वजह से शाम 7 बजे तक बंद बताया गया। गुजरात राज्यसभा चुनाव के नामांकन की इस सियासी दिलचस्पी में शुक्ल एक तरह से टिकट पाकर भी राज्यसभा की उड़ान में नहीं बैठ पाये मगर कांग्रेस के लिए गनीमत रही कि आखिरी घंटे में राठवा ने पर्चा दाखिल कर दिया। वैसे शुक्ल राज्यसभा की दावेदारी के रेस में थे और पश्चिम बंगाल, बिहार या गुजरात में से किसी एक सूबे से उनको उम्मीदवार बनाने की चर्चा भी गरम थी। मगर बिहार और गुजरात में स्थानीय नेताओं को तरजीह दी गई तो पश्चिम बंगाल में अभिषेक मनु सिंघवी ने ममता बनर्जी को राजी कर बाजी मार ली।