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Rajasthan Political Crisis: विश्वास मत पर सत्र बुलाना जोखिम भरा हो सकता है गहलोत के लिए

Rajasthan Political Crisis राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेमा पूर्ण बहुमत होने का दावा तो कर रहा है लेकिन विश्वास मत के नाम पर विधानसभा का सत्र बुलाने से बचना चाहता है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 07:22 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 07:22 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: विश्वास मत पर सत्र बुलाना जोखिम भरा हो सकता है गहलोत के लिए

राज्य ब्यूरो, जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेमा पूर्ण बहुमत होने का दावा तो कर रहा है, लेकिन विश्वास मत के नाम पर विधानसभा का सत्र बुलाने से बचना चाहता है। इसका सबसे बडा कारण यह बताया जा रहा है कि विश्वास मत पर सत्र बुलाया जाता है तो यह बहुत जोखिम भरा हो सकता है। विश्वास मत की वोटिंग के दौरान क्राॅस वोटिंग तो छोडिए दो सदस्यों की गलती भी सरकार को अल्पमत में ला देगी।

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राजस्थान में राज्यपाल कलराज मिश्र अल्पावधि नोटिस पर विधानसभा सत्र के लिए बहुमत परीक्षण को उचित कारण मान रहे है। उनका मानना है कि यह कारण हो तो सुरक्षित सामाजिक दूरी के साथ सत्र बुलाया जा सकता है। उधर सरकार की ओर से पूर्ण बहुमत होने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन विश्वास मत हासिल करने के नाम पर सत्र बुलाने से बचा जा रहा है, क्योंकि सरकार के लिए काफी जोखिम भरा हो सकता है। एक-दो विधायकों की गलती भी सरकार के लिए मुश्क्लि खडी कर सकती है।

राजस्थान में संसदी कार्य विभाग के पूर्व अधिकारी और संवैधानिक मामलों के जानकार आरपी केडिया कहते हैं कि विश्वास मत पर चर्चा और वोटिंग होने तक किसी सदस्य को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। उस पर कार्रवाई वोटिंग के बाद ही हो सकती है और अभी जितना बहुमत सरकार के पास दिख रहा है, उसमें विश्वास मत पर चर्चा कराना सरकार के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।

इसलिए है सरकार को जोखिम

  • विश्वास मत पर सत्र बुलाया जाता है तो विश्वास मत पर चर्चा करानी होगी। यह चर्चा दो-तीन दिन तक चल सकती है। चर्चा लम्बी खिंचतीहै तो गहलोत खेमे के लिए मुश्किल बढ सकती है।
  • विश्वास मत पर सत्र बुलाया जाता है तो जब तक इस पर वोटिंग नहीं होती, तब तक सचिन पायलट गुट के सदस्यों को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई नहीं हो पाएगी।
  • ये 19 सदस्य अयोग्य नहीं ठहराए जाते तो पूरे 200 सदस्यों की संख्या पर मत विभाजन होगा। गहलोत गुट को बहुमत साबित करने के लिए 101 सदस्यों की जरूरत होगी, जबकि अभी इस गुट के पास 102 सदस्य दिख रहे है। ऐसे में बहुमत के आंकडे का मार्जिन बहुत कम रह जाता है। अभी हालांकि सरकार के एक मंत्री अस्पताल में भर्ती है। ऐसे में वोटिंग 199 सदस्यों की संख्या पर होगी। ऐसा होता है तो सरकार को बहुमत के लिए 100 का आंकडा चाहिए होगा। तब भी बहुमत का मार्जिन बहुत कम रह जाता है।
  • इस स्थिति में कोई एक-दो सदस्यों ने मतदान में गलती कर दी या क्राॅस वोटिंग हो गई तो सरकार के अल्पमत में आ जाएगी।
  • दूसरी तरफ सामान्य ढंग से सत्र बुलाया जाता है तो व्हिप जारी किया जाएगा और व्हिप का उल्लंघन करने मात्र से पायलट गुट के सदस्यों पर अयोग्यता की कार्रवाई हो सकती है। ये व्हिप का उल्लंघन नही  करते है तो सरकार ध्वनि मत से कोई विधेयक पारित करवा कर सदन स्थगित करवा देगी और फिर छह माह तक सदन बुलाने की जरूरत नहीं रहेगी।

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