Rajasthan:हाईकोर्ट का फैसला,बसपा विधायकों पर 3 महीने में फैसला सुनाएं अध्यक्ष
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया है ।
जयपुर, जागरण संवाददाताा। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया है । हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से कहा है कि वे 3 महीने में इस मामले में सुनवाई कर फैसला करें । हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद बसपा विधायकों की सदस्यता के मसले पर अध्यक्ष को एक बार फिर सुनवाई कर नया फैसला देना होगा ।
इस मामले में भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा महासचिव सतीश मिश्रा की ओर से दायर की गई याचिका में अध्यक्ष पर बिना सुनवाई के फैसला करने का आरोप लगाया गया था।ऑनलाइन सुनाये गये इस फैसले में जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने कहा कि अध्यक्ष ही इस मामले की सुनवाई कर निस्तारित करें। इसके साथ ही कोर्ट ने अध्यक्ष के 22 जुलाई के फैसले को रद्द कर दिया है । इस फैसले में अध्यक्ष ने मदन दिलावर की याचिका को खारिज कर दिया था । कोर्ट ने कहा कि बसपा और मदन दिलावर की विलय को रद्द करने तथा विधायकों को अमान्य घोषित करने सहित अन्य मांगों पर स्पीकर ही सुनवाई ही करें । जज ने कहा अध्यक्ष ही फैसला करे कि विलय सही है या गलत । वहीं फैसला आने के बाद बसपा के वकील दिनेश कुमार गर्ग ने कहा अच्छे से फैसले का अध्ययन करेंगे । उसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती से राय लेंगे, फिर मामले में आगे चुनौती देने पर बात होगी। हाईकोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर उसे विधानसभा को भेज दिया है।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि राजस्थान की 15वीं विधानसभा के चुनाव में बसपा के सिंबल पर चुनकर आये सभी छह विधायकों लाखन मीणा,राजेंद्र गुढ़ा,जोगेंद्र सिंह अवाना,वाजिब अली,दीपचंद खेरिया व संदीप यादव ने पिछले साल कांग्रेस में विलय कर लिया था । इस विलय को विधानसभा अध्यक्ष ने 19 सितंबर,2019 को मान्यता दी थी । इस विलय को भालपा विधायक मदन दिलावर ने अध्यक्ष के समक्ष चुनौती दी थी । इस चुनौती को अध्यक्ष ने पिछले महीने खारिज कर दिया । इस पर दिलावर ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि अध्यक्ष ने उन्हे सुने बिना ही याचिका को खारिज कर दिया । उन्होंने विलय करने वाले विधायकाो को वोटिंग पर रोक लगाने व विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी । इसी के साथ बसपा महासचिव सतीश मिश्रा ने भी हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि बसपा राष्ट्रीय पार्टी है इसका प्रदेश स्तर पर विलय नहीं हो सकता,इसलिए इन विधायकों की सदस्यता रद्द की जाए । करीब दो माह तक चली सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया ।