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राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा का सियासी पारा गरम, पायलट समर्थक विधायक नहीं हुए शांत; वसुंधरा विरोधियों की पार्टी में वापसी की तैयारी

राजस्थान में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और भाजपा दोनों में आंतरिक खींचातान जारी है। सचिन पायलट समर्थक अभी शांत नहीं हुए हैं वसुंधरा विरोधियों की पार्टी में वापसी की तैयारी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 07:15 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 07:15 PM (IST)
राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा का सियासी पारा गरम, पायलट समर्थक विधायक नहीं हुए शांत; वसुंधरा विरोधियों की पार्टी में वापसी की तैयारी
राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा का सियासी पारा गरम, पायलट समर्थक विधायक नहीं हुए शांत; वसुंधरा विरोधियों की पार्टी में वापसी की तैयारी

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान का सियासी पारा अभी गरम है। सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और भाजपा दोनों में आंतरिक खींचातान चरम पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच 35 दिन तक चली खींचतान के बाद कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बावजूद दोनों नेताओं में दिखावे के लिए तो सुलह हो गई, लेकिन उनके समर्थकों में अभी भी एक-दूसरे के खिलाफ विरोध की आग सुलग रही है। वहीं, भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विरोधी नेता एक साथ आ रहे हैं। वसुंधरा राजे का विरोध करते हुए 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी में वापसी की कवायद तेज हो गई।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस ) से जुड़े नेता तिवाड़ी की वापसी को लेकर सक्रिय हुए हैं। वसुंधरा राजे के रुख भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी. सतीश, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया व विधानसभा में विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ पार्टी आलाकमान के समक्ष तिवाड़ी की वापसी को लेकर भूमिका बनाने में जुटे है। सूत्रों के अनुसार, शीघ्र ही विधिवत रूप से तिवाड़ी की भाजपा में वापसी हो जाएगी।

सचिन पायलट समर्थक अभी नहीं हुए शांत

आकाकमान के हस्तक्षेप के बाद गहलोत और पायलट के बीच ऊपरी तौर विवाद शांत हो गया, लेकिन पायलट समर्थक विधायकों ने सत्ता और संगठन में हिस्सेदारी को लेकर आवाज बुलंद कर रखी है। पायलट समर्थक विधायक मुरारी लाल मीणा का कहना है कि पूर्वी राजस्थान ने कांग्रेस को दो तिहाई से अधिक सीट दी है। इसके बावजूद सरकार इस क्षेत्र में ध्यान नहीं दे रही। कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो रहे। ऐसे में विधायक बने रहने का क्या फायदा। उन्होंने कहा कि वोट दिया है तो हिस्सेदारी चाहिए। छह बार विधायक रहे पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि पायलट जैसा राजस्थान में कोई नेता नहीं है। डेढ़ साल में जनता के विश्वास पर कांग्रेस सरकार काम नहीं कर पा रही। सीएम ने हमारी बात नहीं सुनी तो हम दिल्ली आलाकमान के पास गए।

उन्होंने कहा कि मैं तो चुनाव भी नहीं लड़ना चाहता था, लेकिन पायलट के कहने पर चुनाव लड़ा। उन्होंने कहा कि मैं और पायलट दोनों पद के भूखे नहीं हैं, हमें सम्मान चाहिए। पायलट के एक अन्य समर्थक विधायक पीआर मीणा ने कहा कि विरोध सिर्फ इस बात का था कि जनता के काम नहीं हो रहे। उन्होंने कहा कि उपेक्षा केवल सचिन पायलट की नहीं बल्कि 60 विधायकों की हो रही थी। सीएम पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने तो 156 सीट से 56 आ गई, दूसरे कार्यकाल में 121 सीट से 21 सीटों पर पार्टी आ गई थी। अब गहलोत एक बार फिर सीएम बने हैं तो पार्टी का नुकसान कर रहे हैं।

भाजपा की आंतरिक राजनीति

पिछले डेढ़ साल से वसुंधरा राजे विरोधी खेमा पिछले डेढ़ साल से उनके खिलाफ माहौल बनाने में जुटा है। यह खेमा वसुंधरा राजे को प्रदेश की राजनीति की मुख्य धारा से अलग करना चाहते हैं। इसी के तहत वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका सार्वजनिक रूप से विरोध करने वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी को फिर से भाजपा में शामिल किया जा रहा है। वसुंधरा राजे से नाराजगी के चलते तिवाड़ी ने पिछले विधानसभा चुनाव में नई पार्टी बनाई थी और फिर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

अब वसुंधा राजे के विरोधी नेताओं ने तिवाड़ी को पार्टी में फिर से शामिल करने को लेकर लगभग निर्णय कर लिया। इनमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी. सतीश, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया व उप नेता राजेंद्र राठौड़ शामिल हैं। 


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