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केशव को मुलायम और दिनेश को सोनिया के गढ़ में भगवा फहराने की मिली जिम्मेदारी

जिला योजना समिति की अध्यक्षता के लिए मंत्रियों को जिले आवंटित किये गए हैं लेकिन इससे सियासी समीकरण भी सधेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 08:46 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 08:46 PM (IST)
केशव को मुलायम और दिनेश को सोनिया के गढ़ में भगवा फहराने की मिली जिम्मेदारी
केशव को मुलायम और दिनेश को सोनिया के गढ़ में भगवा फहराने की मिली जिम्मेदारी

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। जिला योजना समिति की अध्यक्षता के लिए मंत्रियों को जिले आवंटित किये गए हैं, लेकिन इससे सियासी समीकरण भी सधेगा। इस बार विकास के एजेंडे के साथ ही जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी साधे गए हैं। कद के हिसाब से भी जिम्मेदारी दी गई है। कुछ लोगों को बड़े जिलों के प्रभार से हटा दिया गया है।

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उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पास आजमगढ़ का प्रभार तब था जब वहां के सांसद सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव थे। अब केशव को कानपुर नगर के साथ मुलायम के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी की जिम्मेदारी दी गई है। मैनपुरी में शाक्य, सैनी और कुशवाहा के अलावा पिछड़ों की संख्या भारी है। सपा के गढ़ में भाजपा का परचम फहराने के लिए जहां केशव पर दारोमदार है वहीं उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा का आगरा जिला बहाल रखते हुए उन्हें रायबरेली का भी प्रभार सौंपा गया है। रायबरेली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का क्षेत्र है और भाजपा इस गढ़ को अपना बनाने की मुहिम में जुट गई है। पिछली बार रामपुर का प्रभार दिनेश शर्मा के पास था, जिसे कानून मंत्री बृजेश पाठक को सौंपा गया है। पाठक को अंबेडकरनगर भी दिया गया है।

खादी ग्रामोद्योग मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह से मेरठ जिला लेकर अब ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को दिया गया है। श्रीकांत बरेली के भी प्रभारी रहेंगे। सिद्धार्थनाथ के पास अब सिर्फ गोंडा का प्रभार है, जबकि पहले बस्ती जिला भी उनके ही पास था। नंदगोपाल गुप्ता नंदी से रायबरेली और मऊ का प्रभार लेकर अब सिर्फ चित्रकूट जिला दिया गया है। इन दोनों मंत्रियों को पहले की अपेक्षा महत्वहीन विभाग भी दिये गए हैं। सुरेश खन्ना को लखनऊ और गाजियाबाद का प्रभार देकर उनका महत्व बढ़ाया गया है।

इसी प्रकार से आशुतोष टंडन को अब वाराणसी जिला सौंपा गया है। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के नाते उनका महत्व बढ़ा है। पहले उनके पास प्रयागराज और संतकबीरनगर की जिम्मेदारी थी। प्रयागराज अब जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह के हाथों में है। सिंचाई व नमामि गंगे विभाग उनके पास होने की वजह से विकास कार्यों के अलावा गंगा-यमुना की स्वच्छता भी प्राथमिकता है। पर्यटन और धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी को अयोध्या का प्रभार दिया गया है। गोरखपुर का जिम्मा समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री के पास है।

जातीय संतुलन पर जोर

पहली बार मंत्री बने राम नरेश अग्निहोत्री को फतेहपुर का प्रभार दिया गया है। फतेहपुर में कोई भी ब्राह्मण जनप्रतिनिधि नहीं है, जबकि इस बिरादरी की अच्छी संख्या है। ऐसे ही जातीय संतुलन के लिए मीरजापुर व बाराबंकी में वन मंत्री दारा सिंह चौहान और आजमगढ़ में गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा, कुशीनगर और फर्रुखाबाद में मुकुट बिहारी वर्मा, बलरामपुर में चेतन चौहान और सुलतानपुर में जयप्रताप सिंह भी इसी वजह से प्रभारी बनाये गए हैं। इस्तीफा देने वाले मंत्रियों के प्रभार वाले 17 जिलों में नए और पुराने मंत्रियों को समायोजित किया गया है।


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