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कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुस्त पड़ीं सियासी गतिविधियां, आगे कार्रवाई के लिए स्थिति स्पष्ट का इंतजार

कश्मीर प्रदेश भाजपा को छोड़ अन्य राजनीतिक दल हालात पर रखे हुए हैं नजर भाजपा 31 अगस्त व एक सितंबर को जम्मू व लद्दाख में जिला स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन करेगी

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 09:57 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 10:09 AM (IST)
कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुस्त पड़ीं सियासी गतिविधियां, आगे कार्रवाई के लिए स्थिति स्पष्ट का इंतजार
कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुस्त पड़ीं सियासी गतिविधियां, आगे कार्रवाई के लिए स्थिति स्पष्ट का इंतजार

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से सियासी गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं। राजनीतिक पार्टियां आगे की कार्रवाई के लिए स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रही हैं। प्रदेश भाजपा को छोड़ अन्य सभी राजनीतिक दल खामोशी से हालात पर नजर रखे हुए हैं। इस समय कश्मीर केंद्रित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस के साथ प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की नजरबंदी सबसे बड़ी चुनौती है।

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कश्मीर में हालात का जायजा लेने आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी व गुलाम नबी आजाद सहित अन्य नेताओं को एयरपोर्ट से ही लौटा दिया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार कश्मीर के हालात को लेकर राजनीति करने वाली पार्टियां चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही हैं।

दूसरी ओर जम्मू में प्रदेश भाजपा को छोड़कर कोई सियासी गतिविधि नहीं है। भाजपा इस समय अपने संगठनात्मक गतिविधियों को तेजी दे रही है। पार्टी 31 अगस्त और एक सितंबर को जम्मू व लद्दाख में जिला स्तरीय कार्यशालाओं के आयोजन के लिए तैयार है। इनमें प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। भाजपा ने फिलहाल कश्मीर संभाग के 10 जिलों में संगठनात्मक गतिविधियों का आयोजन न करने का फैसला किया है।

राज्य में भाजपा के संगठनात्मक चुनाव के प्रभारी विरेन्द्रजीत सिंह का कहना है कि जम्मू व लद्दाख में जिला स्तर तक चुनाव होंगे। हमारे पास दिसंबर के पहले हफ्ते तक का समय है। ऐसे में कुछ समय बाद कश्मीर में संगठनात्मक चुनाव करवाने का फैसला हो सकता है। इसी बीच केंद्र शासित प्रदेश बनने के फैसले के बाद जम्मू में डोमीसाइल व अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर भी राजनीति जारी है।

प्रदेश भाजपा की पूरी कोशिश है कि जम्मू कश्मीर के लोगों के भूमि संबंधी हितों के संरक्षण के लिए डोमीसाइल की व्यवस्था हो। पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने यह मुद्दा दिल्ली में उठाने का विश्वास दिलाया है।

जम्मू केंद्रित कुछ दल डोमीसाइल और जम्मू को अलग राज्य बनाने का मुद्दा उठा रहे हैं। इनमें पैंथर्स पार्टी के साथ एकजुट जम्मू और जम्मू वेस्ट असेंबली मूवमेंट आदि शामिल हैं। इन संगठनों का कहना है कि जम्मू से भेदभाव का दौर तभी खत्म होगा जब इसे कश्मीर से अलग कर राज्य बना दिया जाए। ऐसे हालात में जम्मू को अलग राज्य बनाने की मांग का जोर पकड़ना तय है।

अनुच्छेद 370 हटाने से पहले वादी में हुई थी मॉकड्रिल

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से पहले पूरी वादी में प्रशासन और केंद्रीय अर्धसैनिकबलों ने मॉकड्रिल कर अपनी तैयारियों का जायजा लिया था। 25 जुलाई को मॉकड्रिल में न सिर्फ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की संचार सेवा को ठप किया गया बल्कि कुछ समय के लिए इंटरनेट सेवा को भी रोका गया। इसके बाद सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने से लेकर कानून व्यवस्था की स्थिति संभालने की कवायद की गई थी।

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य प्रशासन के आला अधिकारियों ने पाच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेषाधिकार समाप्त होने के बाद वादी में अप्रिय घटना से निपटने के लिए जून के अंत में ही तैयारियां शुरू कर दी थी। सभी तैयारियों को अंतिम रूप देने के बाद 25 जुलाई को मॉकड्रिल की गई। इसे गंभीर आपदा से निपटने की तैयारी का नाम दिया गया।

मॉकड्रिल के दौरान सभी प्रमुख प्रशासनिक कार्यालयों की संचार सेवा को कुछ देर के लिए ठप कर दिया गया। अर्धसैनिकबलों और पुलिस की सामान्य संचार सेवा भी बंद कर दी गई। तलाशी के नाम पर कुछ रास्तों और इलाकों की घेराबंदी भी की गई। वादी में पुलिस व केंद्रीय अर्धसैनिकबलों के प्रशिक्षण केंद्रों में दंगाईयों से निपटने और आम लोगों को मुश्किलों के बीच राहत पहुंचाने की ड्रिल भी हुई थी।

सूत्रों ने बताया कि मॉक ड्रिल की सफलता के बाद ही केंद्रीय गृहमंत्रालय ने आतंकी खतरे का हवाला देते हुए राज्य में केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की लगभग 100 कंपनियों को भेजने की पहली अधिसूचना जारी की थी। मॉक ड्रिल के बाद लिए गए फैसलों के आधार पर ही सभी प्रमुख प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों, पुलिस थानों, चौकियों और अर्धसैनिकबलों को आपस में संपर्क बनाए रखने के लिए सेटेलाइट फोन की सुविधा प्रदान की गई थी। इसके साथ ही राज्य के अन्य भागों में केंद्रीय अर्धसैनिकबलों को द्रुत गति से तैनात किया गया।

मॉक ड्रिल का ही नतीजा है कि वादी में कानून व्यवस्था की स्थिति लगभग नियंत्रण में है। कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है। पेयजल आपूर्ति केंद्रों की सुरक्षा बढ़ाई गई जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव के बाद उपजी स्थिति में सभी पेयजल आपूर्ति केंद्रों की सुरक्षा को बढ़ाया गया है। इसके लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा चक्र बनाया गया है। पहले चक्र में केंद्रीय अर्धसैनिकबल, दूसरे में राज्य पुलिस और तीसरे में सेना के जवानों को तैनात किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठन सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए पेयजल आपूर्ति केंद्रों में जहर मिला सकते हैं। इस आशंका से निपटने के लिए ही यह कदम उठाया गया है। इस तरह के इनपुट खुफिया एजेंसियों को पहले भी मिलते रहे हैं। उसके आधार पर ही समय-समय पर सुरक्षाबलों के लिए पेयजल आपूर्ति केंद्रों की सुरक्षा की लगातार समीक्षा की जाती है। 

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