jammu and Kashmir: बीडीसी चुनाव के लिए हालात बेहतर बनाने में सहयोग देंगे पंच, सरपंच
Amit Shah से मिलकर लौटे पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान ने विश्वास दिलाया कहा- सरपंचों की सभी प्रमुख मांगें स्वीकार कर ली गई हैं। 25 सदस्यीय दल में जम्मू के 12 और कश्मीर के थे 13 सरपंच
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्य में ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) चुनाव के लिए माहौल तैयार करने में पंच, सरपंच पूरा सहयोग देंगे। कश्मीर में पंचायत प्रतिनिधि लोगों से गांवों की तरक्की के लिए हालात बेहतर बनाने की अपील करेंगे।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भेंट कर लौटे जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा ने यह बात कही। गृहमंत्री से मिले सरपंचों के 25 सदस्यीय दल का नेतृत्व करने वाले प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि राज्य की तरक्की के लिए पंच, सरपंच शांति चाहते हैं। हर जिम्मेदार नागरिक को कानून व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग देना चाहिए।
दिल्ली में गृहमंत्री के साथ हुई बैठक का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि इस दौरान जम्मू कश्मीर में पंचायती राज को मजबूत बनाने संबंधी मुद्दे उठाए गए। गृहमंत्री ने स्पष्ट संकेत दिए कि पंचायतों को मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। सरपंचों की सभी प्रमुख मांगें स्वीकार कर ली गई हैं। ऐसे में हम गृहमंत्री के आभारी हैं। तीन सितंबर को गृहमंत्री से भेंट करने वाले 25 सदस्यीय दल में जम्मू के 12 व कश्मीर के 13 सरपंच शामिल थे।
अनिल शर्मा ने बताया कि हमने मांग की कि जम्मू कश्मीर में संविधान के 73वें व 74वें संशोधन को जल्द प्रभावी बनाया जाए। इसके साथ मनरेगा के बकाया 700 करोड़ जारी करने पर भी जोर दिया गया। गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर व लद्दाख में एक नवंबर से संविधान का 73वां व 74वां संशोधन प्रभावी हो जाएगा। गांवों को विकासशील बनाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। सभी मसले हल किए जाएंगे।
शर्मा ने बताया कि 14वें वेतन आयोग के 3700 करोड़ के अलावा गृहमंत्री ने जम्मू कश्मीर की पंचायतों के लिए अतिरिक्त 3000 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है। इससे ग्रामीण विकास को तेजी मिलेगी। गृहमंत्री ने स्पष्ट किया है कि जम्मू कश्मीर में मध्य अक्टूबर में बीडीसी के चुनाव हो जाएंगे।
शर्मा ने कहा कि हर पंच, सरपंच का दो लाख रुपये का इंश्योरेंस करने के साथ हर गांव में पांच युवाओं को सरकारी नौकरी देने का गृहमंत्री का फैसला सराहनीय है। इसके साथ ही आतंकी हमलों में 18 पंचों, सरपंचों की हत्याओं का हवाला देकर कश्मीर में सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया गया। मारे गए पंचों, सरपंचों के परिवारों का उचित मुआवजा देने पर भी जोर दिया गया।
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