दिवंगत सुषमा स्वराज का पलवल से था खास नाता, कानूगो मोहल्ले में बीता था बचपन Palwal News
भारतीय राजनीति के शिखर तक पहुंचकर मिसाल बनीं सुषमा स्वराज का हरियाणा के पलवल से गहरा नाता रहा।
पलवल[संजय मग्गू]। भारतीय राजनीति के शिखर तक पहुंचकर मिसाल बनीं सुषमा स्वराज का हरियाणा के पलवल से गहरा नाता रहा। 14 फरवरी 1952 को यहां के कानूगो मोहल्ले जन्मीं सुषमा के बचपन की यादें यहां कम ही जुड़ पाईं। करीब पांच वर्ष की उम्र में मां के निधन के बाद नाना वैद्य हरदेव सहाय उन्हें अपने साथ अंबाला छावनी ले गए और वहीं पर उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई।
पलवल के प्रकांड पंडितों में शामिल पंडित अखेराम (अक्षयराम भारद्वाज) के पुत्र परमात्मा शरण भारद्वाज उर्फ छैलमोहन और उनकी पत्नी राममूर्ति की दूसरी संतान के रूप में सुषमा स्वराज का जन्म हुआ था। चार भाई-बहनों में सुषमा से बड़े जगदंबा प्रसाद थे, जबकि वंदना शर्मा और अरविंद उनसे छोटे थे। अरविंद का करीब पांच वर्ष पूर्व बीमारी के चलते निधन हो गया। मां राममूर्ति के निधन के बाद उनके नाना नारनौल के गांव मांदी के मूल निवासी वैद्य हरदेव सहाय सुषमा और वंदना को बेहतर लालन-पालन के लिए अपने साथ ले गए थे।
कानूगो मोहल्ला निवासी रतीराम बताते हैं कि सुषमा में नेतृत्व के गुण बाल्यकाल से ही दिखते थे। वे छोटे बच्चों की अपनी अलग टोली बनाकर खेलती थीं। पड़ोसी डॉ. हरेंद्र पाल राणा बताते हैं कि सुषमा के दादा पंडित अखेराम उनके पुरोहित थे। प्रदेश की शिक्षा मंत्री रहते सुषमा जी जब पैतृक निवास पर आती थीं तो उनके निवास पर भी जरूर आती थीं। क्योंकि पूरे मोहल्ले में सिर्फ उनके (राणा के) घर में ही था तो जरूरी फोन करने के लिए भी उनके ही फोन का इस्तेमाल करती थीं।
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