EXCLUSIVE: VIP सुरक्षा की वजह से नेताओं को समस्या का अंदाजा नहीं, महिलाएं असुरक्षितः स्वाति
महिला सुरक्षा को लेकर स्वाति जयहिंद लगातार आवाज उठाती रही हैं। हैदराबाद की घटना के बाद वो राजघाट स्थित समता स्थल पर आमरण अनशन पर बैठी हैं।
नई दिल्ली। महिला सुरक्षा को लेकर स्वाति जयहिंद लगातार आवाज उठाती रही हैं। हैदराबाद की घटना के बाद वो राजघाट स्थित समता स्थल पर आमरण अनशन पर बैठी हैं। वह दुष्कर्म के दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिये छह माह में सजा दिलाने की मांग कर रही हैं। इन सभी पहलुओं पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद से रीतिका मिश्र ने बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:
आखिर आपको क्यों अनशन पर बैठना पड़ा? ऐसी क्या परिस्थितियां बनीं?
देश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध चरम सीमा पर पहुंच चुका है। हैदराबाद की डॉक्टर के साथ न सिर्फ दुष्कर्म हुआ बल्कि उसको जिंदा जला दिया। एक मासूम छह साल की स्कूल की छात्र के साथ राजस्थान में बर्बरता से दुष्कर्म हुआ। उन्नाव में एक दुष्कर्म पीड़िता को अदालत जाते हुए रास्ते में घेरकर जला दिया गया। हाल ही में त्रिपुरा में एक 17 साल की लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ और उसे जिंदा जला दिया गया। देश की सभी कोनों में बेटियां ऐसे ही जघन्य अपराध की शिकार हो रही हैं। केवल कानून बना देना ही काफी नहीं है, उसको लागू भी करना पड़ेगा। इसके लिए मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और उनसे मांग की है कि तत्काल सभी आरोपितों को छह माह में फांसी की सजा देने का कानून लागू किया जाए। इस व्यवस्था में बदलाव के लिए मैं अपनी मांगों को लेकर तीन दिसंबर से आमरण अनशन पर हूं। जब तक मेरी मांग पूरी नहीं की जाएंगी तब तक मैं अनशन नहीं तोडूंगी।
निर्भया मामले के बाद महिला सुरक्षा को लेकर क्या बदलाव हुआ। आपके हिसाब से दिल्ली महिलाओं के लिए कितनी सुरक्षित हैं?
आज तक निर्भया के दोषियों को फांसी पर नहीं लटकाया जा सका है। पिछले सात सालों से वो सरकारी मेहमान बने हुए हैं। पिछले साल छोटे बच्चे के साथ हुए दुष्कर्म को लेकर छह माह में फांसी की सजा की मांग को लेकर मैंने आमरण अनशन किया था। मेरे अनशन के दसवें दिन पर केंद्र सरकार ने देश में कानून बनाया कि दुष्कर्मी को छह माह में फांसी की सजा दी जाएगी। साथ ही केंद्र सरकार ने यह कानून भी बनवाया था कि महिलाओं के साथ हुए दुष्कर्म की सुनवाई छह माह में खत्म होगी। केंद्र सरकार द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि तीन महीने में पूरे देश की पुलिस के संसाधन बढ़ा दिए जाएंगे, पुलिस की जवाबदेही तय की जाएगी तथा फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ा दी जाएगी। इन सभी आश्वासनों के बाद ही मैंने अपना अनशन दसवें दिन पर तोड़ा था, लेकिन बहुत दुख की बात है कि दुष्कर्म की घटनाओं पर आज तक कोई अंकुश नहीं लगा। क्योंकि सरकारों ने कानून पारित होने के बाद इस दिशा में कोई भी कार्य नहीं किया। इसके चलते एक मजबूत कानून मजाक बनकर रह गया और आज हर दिन देश की बेटियां कुर्बान हो रही हैं।
क्यों राजधानी में महिलाएं रात को निकलने में असहज महसूस करती हैं?
कठोर सिस्टम न होने के कारण दिन-प्रतिदिन अपराधियों की हिम्मत बढ़ती जा रही है। कठोर सिस्टम का जो खौफ अपराधियों के मन में होना चाहिए, वो सिस्टम के अभाव में महिलाओं के मन में रात के वक्त निकलते समय होता है। मैं और मेरा परिवार भी आज खुद को बहुत बार असुरक्षित महसूस करता है। जब भी मेट्रो से बाहर निकल कर घर के लिए पैदल चलती हूं तो डर लगता है।
क्या देश में सख्त कानून का अभाव है या कानून का पालन नहीं हो रहा है?
आज नेताओं में संवेदनशीलता और इच्छाशक्ति का सबसे ज्यादा अभाव नजर आता है। शायद सभी को वीवीआइपी सुरक्षा की वजह से समस्या की गंभीरता का अंदाजा ही नहीं है। आज जरूरत है कि पुलिस के संसाधन बढ़ाए जाए, पुलिस की जवाबदेही तय हो, देश भर में फास्ट ट्रैक कोर्ट बढ़ाए जाएं। ताकि देश में एक ऐसा कठोर सिस्टम हो कि दुष्कर्म करने वाले को छह महीने के अंदर फांसी दी जा सके।
क्यों आज तक निर्भया फंड का इस्तेमाल नहीं हो पाया है?
केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता के चलते निर्भया फंड का ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। हमने कई बार प्रधानमंत्री को भी लिखा है कि निर्भया फंड को राज्यों को दिया जाए ताकि उसका इस्तेमाल सीसीटीवी कैमरे लगवाने में, रेप पीड़िताओं के पुनर्वास में, फॉरेंसिक लैब तथा फास्ट ट्रैक कोर्ट बनवाने में किया जा सके। निर्भया फंड का केंद्र सरकार द्वारा इस्तेमाल न किया जाना, दरअसल हर एक निर्भया के मुंह पर एक तमाचा है।
महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए समाज को क्या कदम उठाने चाहिए, दिल्ली महिला आयोग इस दिशा में क्या कदम उठा रहा है?
दिल्ली महिला आयोग द्वारा जागरूकता फैलाने के लिए पूरी दिल्ली में महिला पंचायत चलाई जा रही है। इसके अलावा मेरी सभी से अपील है कि आप अपने बेटों से बात करना शुरू करें और उन्हें महिलाओं का सम्मान करने के लिए व महिला सुरक्षा के प्रति उनकी जिम्मेदारी के लिए शिक्षित करें।