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अपनी ही मजबूत राजनीतिक जमीन खो चुका है देश के पूर्व PM का यह बेटा

पिछले पांच वर्षों के दौरान रालोद का ग्राफ गिरा है। स्थिति यह है कि पूर्व पीएम के पुत्र चौधरी अजित सिंह की पार्टी इस बार यूपी की 80 लोस सीटों में मात्र 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 08:34 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 09:57 AM (IST)
अपनी ही मजबूत राजनीतिक जमीन खो चुका है देश के पूर्व PM का यह बेटा
अपनी ही मजबूत राजनीतिक जमीन खो चुका है देश के पूर्व PM का यह बेटा

नोएडा [पंकज मिश्रा]। एक वक्त था जब पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह का खासा प्रभाव था। चौधरी चरण सिंह की किसानों में जबरदस्त पैठ थी। वह खासतौर पर जाटों के खैरख्वाह के तौर पर जाने जाते थे। इतनी बड़ी राजनैतिक विरासत होने के बावजूद चौधरी चरण सिंह के पुत्र चौधरी अजित सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए।

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स्थिति यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र चौधरी अजित सिंह की पार्टी इस बार राज्य की 80 लोकसभा सीटों में मात्र तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पिछले पांच वर्षों के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद का ग्राफ तेजी से गिरा है। 2014 में पार्टी की सभी आठ सीटों पर हार हुई।

गौतमबुद्धनगर के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक रालोद एक बार भी यहां से लोकसभा सीट नहीं जीत सकी है। 1998 में राष्ट्रीय लोक दल के गठन के बाद चौधरी अजित सिंह अब तक पांच लोकसभा चुनावों में मैदान में उतरे। जिसमें से 2009 को छोड़ दें तो किसी में भी उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है।

2011 में रालोद यूपीए में शामिल हो गई और रालोद प्रमुख अजित सिंह नागरिक उड्डयन मंत्री बने। 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में आठ सीटों पर रालोद ने चुनाव लड़ा, लेकिन उसका सूपड़ा साफ हो गया। चौधरी अजित सिंह खुद बागपत सीट से मुंबई के पूर्व कमिश्नर व भाजपा प्रत्याशी सत्यपाल सिंह से हार गए।

अब तक का रालोद का प्रदर्शन

1998 में रालोद के गठन के बाद चौधरी अजित सिंह खुद बागपत लोकसभा सीट में सोमपात्र शास्त्री से चुनाव हार गए। हालांकि, 1999 में उन्हें बागपत सीट पर जीत मिली। 2004 में रालोद ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर के लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें तीन सीटों पर पार्टी को जीत मिली। 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में रालोद ने भाजपा के साथ गठबंधन कर सात सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें पांच सीटों पर पार्टी को सफलता मिली।

राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं की मानें तो कि जाटों की बहुलता वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों की  दर्जनभर से अधिक लोकसभा सभा सीटों में उनकी पार्टी निर्णायक भूमिका में है। करीब एक दशक पहले अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की छवि के कारण अजित सिंह की पार्टी का यूपी के जाटों पर अच्छा खासा असर था। लेकिन 'चौधरी साहब' के निधन और 2014 के आम चुनाव में इस पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के कारण स्थिति पहले जैसी नहीं रह गई है। लोकसभा चुनाव में रालोद यूपी में एक भी सीट नहीं जीत पाया था।

इसके बावजूद क्षेत्र में 2019 के लोकसभा चुनाव में अजित सिंह का असर पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता।समाजवादी पार्टी के एक नेता ने के मुताबिक, एसपी के समर्थन से रालोद सीटें जीत सकती हैं। 


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