Rajasthan political crisis: राजस्थान के सियासी दंगल में नोएडा के दो दिग्गजों के बीच धोबी पछ़ाड़ का दांव
मदन दिलावर का आरोप है कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय में कानूनी प्रक्रिया सही तरीके से नहीं अपनाई गई। उन्होंने बसपा विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की है।
ग्रेटर नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। राजस्थान के रण में नोएडा (गौतमबुद्धनगर) के दो दिग्गज सचिन पायलट व जोगिंदर अवाना के बीच अब धोबी पछ़ाड़ का दांव शुरू हो गया है। सियासी दंगल में दोनों की हार जीत का फैसला अब हाइकोर्ट करेगा। गहलोत सरकार की डूबती नैया के खिवैया बने जोगिंदर की नाव भाजपा विधायक की हाइकोर्ट में दाखिल याचिका के बाद खुद भंवर में फंसती नजर आ रही है।
भाजपा विधायक ने राजस्थान बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है। इसे पायलट की शह पर चली गई चाल मानते हुए जोगिंदर समर्थक सचिन के खिलाफ हो गए हैं।
गहलोत के समर्थन में जोगिंदर अवाना
नदबई सीट से बसपा के टिकट पर पहली बार चुनाव जीतकर राजस्थान विधानसभा पहुंचे जोगिंदर, गहलोत व सचिन के बीच चल रही सियासी जंग में फंस गए हैं। जोगिंदर ने बसपा के पांच विधायकों के साथ कांग्रेस का दामन थामा था। राजस्थान बसपा के कांग्रेस में विलय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अहम भूमिका थी। इसलिए जब सचिन पायलट ने सरकार के खिलाफ विरोध का डंका बजाया तो जोगिंदर समेत सभी छह विधायक अशोक गहलोत के साथ खड़े हो गए।
सूत्रों का कहना है कि इनमें से दो विधायक सचिन पायलट के संपर्क में थे। एक विधायक मानेसर तक भी पहुंचे थे। राजनीति हलकों में चर्चा है कि दोनों विधायकों को सचिन खेमे से वापस खींचने में जोगिंदर ने अहम किरदार निभाया। इस वजह से जोगिंदर, पायलट गुट की आंख कि किरकिरी बन गए। दोनों का गुर्जर बिरादरी व नोएडा से तल्लुक हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा था कि जोगिंदर, गहलोत व पायलट की लड़ाई में सचिन का साथ देंगे। लेकिन जब गहलोत ने सचिन को पटखनी देने के लिए जब नंबर गेम की चाल चली तो सचिन खेमे के रणनीतिकारों का गणित पूरी तरह से गड़बड़ा गया।
पहली बार विधायक चुने गए हैं अवाना
सचिन अपने समर्थक कांग्रेस के 18 विधायकों के साथ गहलोत के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं तो वहीं जोगिंदर अवाना पांच विधायकों के साथ गहलोत के पक्ष में ताल ठोककर खड़े हैं। जोगिंदर अवाना के समर्थकों का कहना है कि सचिन पायलट लंबे समय से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय है। हालांकि, वे विधायक पहली बार बने हैं, लेकिन दो बार सांसद रह चुके हैं। जोगिंदर अवाना पहली बार राजस्थान से विधायक चुने गए।
समर्थकों का कहना है कि पायलट ने कभी जोगिंदर को तवज्जो नहीं दी। जोगिंदर के प्रति उनका व्यवहार ठीक नहीं था, इसलिए जरूरत के समय वे उनके खेमे के बजाय गहलोत के साथ चले गए। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने जोगिंदर अवाना समेत बसपा के छहों विधायकों के कांग्रेस में विलय को हाईकोर्ट में चुनौती देकर उनकी मुश्किल बढ़ा दी है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए सोमवार को दिन मुकर्रर किया है। इससे राजस्थान की सियासत का पारा और चढ़ गया है।
मदन दिलावर का आरोप है कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय में कानूनी प्रक्रिया सही तरीके से नहीं अपनाई गई। उन्होंने बसपा विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की है। बसपा विधायकों का नेतृत्व जोगिंदर अवाना ही कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि यदि उनकी सदस्यता समाप्त होती है तो गहलोत सकरार को बड़ा झटका लगेगा। संख्या बल कम होने से सीधा फायदा सचिन खेमे को मिलेगा।