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केजरीवाल के लिए तिलिस्म बना 8वां फ्लोर, 3 मंत्रियों की जा चुकी है कुर्सी; अब चौथे की बारी

सत्ता के गलियारे में चर्चा है कि सौरभ भारद्वाज को गहलोत की जगह मंत्री बनाया जा सकता है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 10:07 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jan 2018 10:26 PM (IST)
केजरीवाल के लिए तिलिस्म बना 8वां फ्लोर, 3 मंत्रियों की जा चुकी है कुर्सी; अब चौथे की बारी

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली सरकार का मुख्यालय यानी प्लेयर्स बिल्डिंग का 8वां फ्लोर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं के लिए शुभ नहीं है। शायद यही वजह है कि इस फ्लोर पर आने वाले मंत्री अक्सर बदले जा रहे हैं। कैलाश गहलोत तीन साल में इस ऑफिस में बैठने वाले AAP के चौथे मंत्री हैं। जिस ऑफिस में गहलोत बैठ रहे थे, वहां पहले जल मंत्री रहते हुए कपिल मिश्र बैठते थे।

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बता दें कि कपिल मिश्रा मई 2017 में उन्हें हटाया गया। इसके बाद जितेंद्र सिंह तोमर आए, लेकिन फर्जी डिग्री मामले में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इसी फ्लोर पर बैठने वाले मंत्री आसिम अहमद खान बिल्डर से पैसे लेने के आरोप में बर्खास्त हो गए।

कैलाश गहलोत ने 19 मई को ली थी मंत्रिपद की शपथ

बता दें कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 19 मई, 2017 को कैलाश गहलोत को मंत्रिपद की शपथ दिलाई थी। उसी दिन शाम को सीएम केजरीवाल ने मंत्रियों का बंटवारा करते हुए परिवहन मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण महकमा दिया था। अब नियमों के मुताबिक, कैलाश गहलोत छह माह तक ही मंत्री बने रह सकते हैं।

केजरीवाल के करीबी हैं कैलाश गहलोत

अब अयोग्य विधायकों में शुमार होने के बाद इनकी कुर्सी भी जाना तय माना जा रहा है। ऐसे में इस धारणा को बल मिल पा रहा है कि इस फ्लोर पर बैठने वाले मंत्रियों की कुर्सी चली जाती है। बता दें कि कैलाश गहलोत को अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबियों में गिना जाता है। 

हालांकि, नजफगढ़ से विधायक रहे कैलाश गहलोत को आगे भी मंत्री बनाए रखने की तैयारी दिल्ली सरकार कर रही है। इसके लिए कानूनी राय ली जा रही है। कैलाश गहलोत मात्र आठ माह ही मंत्री पद पर रह पाए। इन्हें भी संसदीय सचिव बनाया गया था। 20 विधायकों के साथ इनकी भी सदस्यता रद हो गई है। वह परिवहन, सूचना एवं तकनीक, प्रशासनिक सुधार, कानून एवं न्याय व प्रशासनिक मामलों के मंत्री थे।

दिल्ली विधानसभा और लोकसभा में सचिव रहे एसके शर्मा कहते हैं कि सरकार चाहे तो गहलोत को छह माह तक मंत्री बनाए रख सकती है। मगर इसके लिए सरकार को फिर से गहलोत को मंत्री बनाने की फाइल चलानी होगी। उपराज्यपाल से शपथ दिलवानी होगी। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो उन्हें अवैध माना जाएगा और उनके लिए गए फैसले मान्य नहीं होंगे।

सौरभ भारद्वाज के नाम की भी चर्चा

सत्ता के गलियारे में चर्चा है कि सौरभ भारद्वाज को गहलोत की जगह मंत्री बनाया जा सकता है। वह 49 दिनों की सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके हैं। वह ग्रेटर कैलाश क्षेत्र से विधायक हैं। यहां पर बता दें कि सत्ता के गलियारे में चर्चा है कि सौरभ भारद्वाज को गहलोत की जगह मंत्री बनाया जा सकता है।

यहां पर बता दें कि लाभ का पद मामले में फंसे आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की सदस्यता रद हो गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन विधायकों को अयोग्य करार देने की चुनाव आयोग की सिफारिश पर मुहर लगा दी है। 

ये सभी विधायक 13 मार्च, 2015 से 8 सितंबर, 2016 तक संसदीय सचिव पद पर थे, जिसे "लाभ का पद" माना गया है। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप की सरकार भले ही अभी गिरेगी नहीं मगर इसके लिए यह अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक झटका है।

आप ने विधायकों की सदस्यता रद करने का पूरा दोष चुनाव आयोग पर मढ़ते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने इस फैसले को "असंवैधानिक तथा लोकतंत्र के लिए खतरा" बताया। वहीं, आप के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने कहा कि राष्ट्रपति से न्याय की उम्मीद थी।

पार्टी ने उनसे मुलाकात का समय भी मांगा था। लेकिन, राष्ट्रपति के सामने हमें अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया गया। वहीं भाजपा और कांग्रेस ने इस फैसले को सही ठहराया है। चुनाव आयोग ने जून 2016 में इन विधायकों के खिलाफ आई शिकायत को सही ठहराते हुए शुक्रवार को सदस्यता रद करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की थी।

आप ने विधायकों के वेतन या सुविधा नहीं लेने का हवाला देते हुए लाभ का पद होने से इन्कार किया था। लेकिन, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जया बच्चन केस का हवाला देते हुए आप के तर्कों को खारिज कर दिया।

आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा कि संसदीय सचिव के तौर पर विधायकों ने वेतन या सुविधाएं ली हैं या नहीं यह अप्रासंगिक है।

इसमें अहम बात यह है कि कोई पद लाभ के दायरे में आता है, तो फिर कानून के मुताबिक सदस्यता जाएगी। चुनाव आयोग द्वारा अपनी सिफारिशें राष्ट्रपति के पास भेजे जाने के तुरंत बाद शुक्रवार को ही इन विधायकों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

अब आगे क्या

- 20 विधायकों की सदस्यता रद होने के बाद भी अरविंद केजरीवाल सरकार को कोई खतरा नहीं है।

- 70 सदस्यीय विधानसभा में आप के अब 46 विधायक हैं। इनमें बागी एमएलए कपिल मिश्रा भी शामिल हैं।

- सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है। आप ने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात कही है।

- कानूनी लड़ाई की अड़चन नहीं आई, तो इन सभी 20 सीटों पर छह माह के भीतर उप चुनाव होंगे।

इस तरह फंसे आप विधायक

फरवरी 2015 के चुनाव में आप की भारी जीत में सत्ता और पद का लोभ नहीं होने के उसके वादे की खास भूमिका थी। मगर सत्ता में आने के कुछ ही महीने के भीतर विधायकों में पद की ललक फूटने लगी। पार्टी में किसी तरह की भगदड़ रोकने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को सरकार के तमाम मंत्रालयों में संसदीय सचिव नियुक्त कर दिया। लेकिन, ये सभी विधायक लाभ के पद मामले में फंस गए। इनमें एक विधायक जरनैल सिंह ने पिछले साल पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था।

इन 20 विधायकों की सदस्यता हुई रद

1. आदर्श शास्त्री, द्वारका

2. जरनैल सिंह, तिलक नगर

3. नरेश यादव, महरौली

4. अल्का लांबा, चांदनी चौक

5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा

6. राजेश ऋषि, जनकपुरी

7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर

8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर

9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर

10. अवतार सिंह, कालकाजी

11. शरद चौहान, नरेला

12. सरिता सिंह, रोहताश नगर

13. संजीव झा, बुराड़ी

14. सोम दत्त, सदर बाज़ार

15. शिव चरण गोयल, मोती नगर

16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर

17. मनोज कुमार, कोंडली

18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर

19. सुखबीर दलाल, मुंडका

20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़।


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