ये है वो मास्टर प्लान 2021 जिसकी वजह से सीलिंग के कहर में है दिल्ली
जिस सीलिंग को लेकर इतना हो-हल्ला मचा हुआ है उसके पीछे दरअसल, दिल्ली के मास्टर प्लान को एक बड़ी वजह बताया जा रहा है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। दिल्ली में इन दिनों सीलिंग की वजह से हाहाकार मचा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर दिल्ली में धड़ल्ले से सीलिंग चल रही है। इसकी चपेट में कुछ सरकारी ऑफिस से लेकर प्राइवेट पीजी, दुकानें वगैरह आ रही हैं। सीलिंग को लेकर सबसे बड़ी चिंता कारोबारियों को सता रही है। वहीं दूसरी तरफ इसको लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है। भाजपा हो या आम आदमी पार्टी दोनों ही एक दूसरे पर इसको लेकर दोषारोपण करने में जुटी हैं। सीलिंग के विरोध में पिछले दिनों कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दिल्ली बाजार बंद का आह्वान किया था। इसके अलावा एक अन्य कारोबारी संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) ने भी अलग से बाजार बंद की घोषणा की थी। लेकिन जिस सीलिंग को लेकर इतना हो-हल्ला मचा हुआ है उसके पीछे दरअसल, दिल्ली के मास्टर प्लान को एक बड़ी वजह बताया जा रहा है।
देर से आया मास्टर प्लान
ये मास्टर प्लान 2001 में आना चाहिए था, लेकिन वो 2007 में आया। इस प्लान में हर पांच वर्ष के बाद इसकी समीक्षा का भी प्रावधान था। लेकिन चूंकि ये आया ही देरी से था लिहाजा समीक्षा भी जनवरी 2007 से शुरू हुई। जनवरी 2012 से ही इसमें बदलाव के लिए जनता से सुझाव मांगे गए थे। इन सुझावों की समीक्षा के लिए अलग अलग चैप्टर के मुताबिक मैनेजमेंट एक्शन कमिटी भी बनाई गई थीं। इन्होंने सुझावों की व्यवहारिकता को देखते हुए इनका विश्लेषण किया और फिर मास्टरप्लान में बदलाव किया था, जिसे बाद में डीडीए बोर्ड ने पास किया था। डीडीए के इस मास्टरप्लान के तहत दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाना है, जिसमें शहरवासियों को हर सुख सुविधा मिल सकेगी।
अवैध कब्जा विकास में बाधा
इसके बावजूद एक तरफ दिल्ली का मास्टरप्लान तो दूसरी तरफ दिल्ली में लगातार बढ़ रहा अवैध कब्जा इस दिशा में दिल्ली की सबसे बड़ी रुकावट बन रहा है। लेकिन इन सभी से पहले यह जान लेना जरूरी है कि जिस मास्टरप्लान की दुहाई देकर दिल्ली में सीलिंग चल रही है वह आखिर है क्या। हम आपको बता दें कि मास्टर प्लान शहर के सतत योजनाबद्ध विकास का मार्गदर्शन करने के लिए एक योजना होती है। इसमें योजनागत दिशानिर्देश, नीतियां, विकास कोड और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों के लिए जगह की आवश्यकताएं शामिल हैं। इस मास्टरप्लान को बनाते समय यह बात भी ध्यान में रखी जाती है कि जिस समयावधि के लिए यह बनाई जा रही है उस वक्त शहर की आबादी क्या होगी।
मास्टर प्लान में 18 क्षेत्रों पर फोकस
दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के प्रमुख प्रावधानों राजधानी में भविष्य के रियल एस्टेट विकास पर एक बड़ा असर होगा। इस मास्टरप्लान में 18 ऐसे क्षेत्रों को फोकस किया गया है जो दिल्ली को वर्ल्डक्लास सिटी बनाने में सहायक साबित होंगे। मास्टरप्लान में इन्हें बाकायदा वर्गीकृत किया गया है। इनमें भू-नीति, सार्वजनिक भागीदारी और योजना के कार्यान्वयन, पुनर्विकास, आश्रय, गरीबों के लिए आवास, पर्यावरण, अनधिकृत कॉलोनियों, मिश्रित उपयोग विकास, व्यापार और वाणिज्य, अनौपचारिक क्षेत्र, उद्योग, विरासत का संरक्षण, परिवहन, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, शैक्षणिक सुविधाएं शामिल हैं। इसके अलावा आपदा प्रबंधन, खेल सुविधाओं के लिए प्रावधान और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
2021 में 225 लाख होगी दिल्ली की जनसंख्या
हमने आपको बताया था कि मास्टरप्लान बनाते समय शहर में भविष्य की जनसंख्या को ध्यान में रखा जाता है। दिल्ली की जहां तक बात है 2021 तक दिल्ली की आबादी अनुमानित तौर पर 225 लाख तक पहुंच जाएगी। मास्टरप्लान के मुताबिक इस आबादी को घर बनाने के लिए, योजना एक तीन-आयामी रणनीति को अपनाना होगा। इसमें लोगों को उपनगरों में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करना, शहर की सीमा का विस्तार, मौजूदा क्षेत्रों की आबादी-धारण क्षमता को बढ़ाकर उन्हें पुनर्विकास किया जाएगा। इसके अलावा शहर में और शहर के आस-पास पड़ी खाली जगहों को भी चिंहित किया जाएगा जिससे वह विकास में सहायक साबित हो सकें।
60 वर्ष की अधिक आयु के होंगे 24 लाख लोग
2021 में योजना के मुताबिक, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 24 लाख से अधिक होने की उम्मीद है जो कुल आबादी का 10.7 प्रतिशत हिस्सा होगा। जब 2005 में सार्वजनिक विचारों को आमंत्रित करने के लिए ड्राफ्ट को अधिसूचित किया गया था, तब उसे 7,000 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए जबकि 611 लोगों / संगठनों को इस पर व्यक्तिगत सुनवाई दी गई थी। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 2007 में इस योजना के वर्तमान रूप को मंजूरी दे दी थी। क्षेत्रों के विकास के लिए नियम शहर के अन्य क्षेत्रों से अलग होंगे। योजना के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) में कोई नया केंद्रीय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कार्यालय नहीं बनाए जाएंगे। योजना के अनुसार, दिल्ली में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या आबादी में बढ़ोतरी, शहरीकरण, जीवन शैली और उपभोग के तरीके और यहां से निकलने वाले कचरे से निपटने के लिए लैंडफिल की स्थापना का प्रस्ताव भी किया गया है।
कचरे का निपटारा और मिश्रित उपयोग का एरिया
सैनिटरी लैंडफिल साइट्स सहित विभिन्न तकनीकों के जरिए ठोस कचरा निपटान के लिए आवश्यक क्षेत्र, क्षेत्रीय योजनाओं में आरक्षित होगा। आवास के लिए बने क्षेत्रों में गैर-आवासीय गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, योजनाओं में एक मिश्रित उपयोग नीति बनाई जाएगी। हालांकि, लूटियन जोन में मौजूद बंगलों, सिविल लाइंस बंगला जोन, सरकारी आवास, सार्वजनिक और निजी एजेंसियों की संस्थागत और विरासत संरक्षण समिति द्वारा सूचीबद्ध इमारतों में मिश्रित उपयोग की अनुमति नहीं दी गई है।
क्या कहते हैं ये
उपराज्यपाल ने हमें सीलिंग के मुद्दे पर शहरी विकास विभाग के मंत्री को अपने सुझाव भेजने का निर्देश दिया है, जबकि यह मसला डीडीए से भी जुड़ा है। सीलिंग का एक कारण एफएआर ( फ्लोर एरिया रेशियो) भी है जिसे मास्टर प्लान-2021 में संशोधन करके बढ़ाया जा सकता है और सीलिंग को रोका जा सकता है। मास्टर प्लान-2021 में केवल डीडीए द्वारा ही संशोधन किया जा सकता है। इसका दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग से कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल डीडीए द्वारा ही किया जा सकता है जो भाजपा शासित केंद्र सरकार के अधीन आता है और उपराज्यपाल ही डीडीए की अध्यक्षता करते हैं।
-सौरभ भारद्वाज, आप विधायक
दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने नोटिफिकेशन के लिए चिह्नित किए गए 351 सड़कों के सर्वे के संबंध में तीनों निगमायुक्तों को बुलाया तो उन्होंने सर्वे रिपोर्ट देने के लिए दो दिन की मोहलत मांगी। बकौल शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन निगमायुक्तों ने गुरुवार को सर्वे रिपोर्ट देने की बात कही है, इसके बाद ही उन सड़कों को व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए सरकार नोटिफिकेशन जारी करने का फैसला लेगी।
- दिल्ली सरकार