चिदंबरम के खिलाफ कोई सबूत नहीं उन्हें जमानत मिलनी चाहिए, वो रंगा-बिल्ला नहीं हैं
INX media case पी. चिदंबरम ने जमानत याचिका खारिज किये जाने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। INX media case: पिछले 99वें दिनों से जेल में बंद पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम (P Chidambaram) ने आइएनएक्स मीडिया मनी लांड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत की गुहार लगाते हुए बुधवार को कहा कि उनके खिलाफ एक भी सबूत नहीं है उन्हें जेल मे रखना ठीक नहीं है, जमानत दी जाए। चिदंबरम की ओर से बुधवार को जमानत अर्जी पर बहस पूरी कर ली गई। गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रखेंगे।
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हो रही बहस
पी. चिदंबरम ने जमानत याचिका खारिज किये जाने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने चिदंबरम पर लगे आरोपों को गंभीर बताते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
दस्तावेजों में छेड़छाड़ की आशंका
बुधवार को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति आर भानुमति, बीएस बोपन्ना और ऋषिकेश राय की पीठ से चिदंबरम को जमानत देने की गुहार लगाते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले मे यह माना है कि चिदंबरम के न तो भागने की आशंका है न ही गवाहों को प्रभावित करने अथवा दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने की। इसके बावजूद हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
हाई कोर्ट ने खारिज की थी जमानत याचिका
हाई कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा है कि अगर उन्हें जमानत दे दी जाएगी तो देश में गलत संदेश जाएगा। सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट यह कैसे कह सकता है कि जमानत देने से देश में एक गलत संदेश जाएगा। क्या चिदंबरम कोई रंगा बिल्ला जैसे क्रिमनल हैं। सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम को इस मामले में सरगना बना दिया गया, जबकि उनके खिलाफ कोई भी दस्तावेजी सबूत नहीं है। चिदंबरम की ही ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी भी पेश हुए। सिंघवी ने कहा कि चिदंबरम पिछले 99 दिन से जेल में हैं। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनकी जमानत खारिज कर दी है कि उन पर गंभीर आरोप हैं। लेकिन कोई मामला गंभीर है कि नहीं यह उस अपराध में तय सजा से निर्धारित होता है।
पेशी पर दिया जोर
सात साल से ज्यादा की सजा वाले अपराधों को गंभीर अपराध कहा जाता है और सात साल की सजा से कम के अपराध कम गंभीर अपराधों की श्रेणी में आते हैं। इस मामले में चिदंबरम को जमानत मिलनी चाहिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि जमानत का सिर्फ एक उद्देश्य होता है कि अभियुक्त की पेशी सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि जमानत पर विचार करते समय मामले की मेरिट पर विचार नहीं करना चाहिए। सिंघवी ने कहा कि अगर जमानत के समय ही कोर्ट केस की मेरिट पर विचार करेगा तो ट्रायल में क्या तय होगा।